उसे पता ही नहीं

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उसे पता ही नहीं

 

वैसे तो मेरे रिटायर होकर शांत जिंदगी शुरू होने में अभी शायद 10 से 15 साल है , लेकिन एक सच यह भी है कि आखिर वह दिन आयेगा ही आयेगा । उस विशेष दिन की तैयारी पहले से की जाना जरूरी है अन्यथा हाल राव साहब जैसा हो जाएगा । राव साहब दो साल पहले रिटायर हुए और दो महीने बाद ही वापिस आए यह जानने के लिए कि क्या वह दुबारा आ सकते है , वक्त ही नहीं गुजरता ।

मैने भी तकरीबन दो साल पहले रिटायरमेंट की तैयारी की शुरुआत की थी एक छोटा सा फॉर्म हाउस लेकर ,तकरीबन दो महीने पहले उसे ठीक ठाक करके पौधे लगाने की तैयारी की ताकि जब मैं रिटायर होकर वहां जाऊं तब फलों के पेड़ फल देने लायक हो चुके हो । इसके लिए पानी का इंतजाम करने के लिए एक हैंडपंप लगवाया जाना था । वैसे तो आजकल लोग हैंडपंप नहीं मोटर लगवाते है परंतु मैने हैंडपंप लगवाया ताकि थोड़ी एक्सरसाइज की गुंजाइश बनी रहे ।

हैंडपंप लगवाने के लिए एक ठेकेदार से बात की और उसने दो आदमी भेज दिए । हैंडपंप लगने के बाद शाम के वक्त उन्हीं दोनों के साथ बैठ कर ना केवल पैग लगाया बल्कि डिनर भी किया । इसी दौरान दोनों से बातचीत होती रही ।

पता चला कि उनमें से एक आदमी तकरीबन 80 साल का था , हालांकि दिखने में 55 से अधिक नहीं लग रहा था । उसी आदमी ने बताया कि वह रामपुर (वास्तविक नाम कुछ और बताया उसने) का है लेकिन बहुत पहले जब उसके भाई बहन पढ़ रहे थे तब वो पढ़ाई में रुचि ना होने के चलते पढ़ नहीं पाया जबकि उसके भाई पढ़ कर डॉक्टर इंजीनियर बन गए । एक दिन उसके पिता ने उसे ताना मार दिया कि वह और उसका बेटा दोनों मजदूरी के अलावा और कुछ नहीं बन सकते । बस उस दिन उसने रामपुर छोड़ कर सीतापुर (वास्तविक नाम कुछ और) आ गया और फिर उसने अपने लड़के को पढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा दिया । अब उसका लड़का बैंक में मैनेजर है ।

एक 80 साल का आदमी जिसका लड़का बैंक मैनेजर है वह हैंड पंप लगाने के लिए मेहनत करता है तो सवाल पूछना स्वाभाविक ही है ।

हालांकि उसने वही जवाब दिया जो राव साहब का था कि घर बैठ कर क्या करू । उसने बताया कि उसके पास दो मकान है एक किराए पर दे रखा है और दूसरा रहने के लिए इस्तेमाल करता है , लड़का अलग अपनी बीवी के साथ किराए की कोठी में रहता है ।

वैसे तो मैं उसके फैसले से सहमत हूं कि दोनों मकान उसने अपनी मेहनत से बनाए है तो वह उनका इस्तेमाल कर रहा है ऐसे में अगर लड़के या उसकी पत्नी से नहीं बनती तो वो अपना अलग इंतेज़ाम कर सकते है , इन दोनों मकानों पर उनका कोई हक नहीं बनता ।

मैने उससे कोई सफाई नहीं मांगी लेकिन हर आदमी सफाई देना अपना फर्ज समझता है , उसने भी सफाई दी । उसने बताया कि लड़का और उसकी पत्नी दोनों पड़े लिखे है और वह दोनों पति पत्नी अनपढ़ ग्वार इसीलिए लड़के की पत्नी उन दोनों को पसंद नहीं करती , लेकिन लड़का उनका ध्यान रखता है , पैसे भी देता है ।

उसने बताया कि एक दिन शाम के वक्त वह लड़के के घर चला गए तब लड़के ने अपनी पत्नी से छिपकर उसे बिना गिने अलमारी से निकाल कर पैसे पकड़ा दिए । बाद में गिनने पर पूरे नौ हजार निकले ।

वह अनपढ़ आदमी इसी बात पर गर्व कर रहा था कि उसके लड़के ने अपनी पत्नी से छिप कर उसे पैसे दिए । उसे पता ही नहीं कि उसके लड़के ने खुद को जिस जंजाल में फंसा रखा है उस पर गर्व नहीं शर्म आनी चाहिए । लड़के ने अपनी मेहनत से पैसे कमा रहा है उस पैसे पर उसकी पत्नी का कोई हक ही नहीं है इसीलिए अगर लड़का खुलेआम पैसे देता तो यह गर्व की बात थी । अगर लड़का अपने ही पैसे छिपकर दे रहा है तो यह गर्व नहीं शर्म की बात है ।

अधिकांश लोग दिग्भ्रमित है और अक्सर उस बात पर गर्व कर लेते है जिस पर शर्म आनी चाहिए ।

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