Raja Rani – Crime & Punishment
Dr. G. Singh
प्रथम आयाम
आकाश ने बचपन से ही पढ़ाई मैं अच्छा प्रदर्शन किया और अंत मैं MBA उत्तीर्ण कर लेने के बाद अच्छी कंपनी मैं जॉब हासिल करने मैं कामयाब हो गया | नौकरी के शुरूआती दौर मैं ईमानदारी एवं जोश दोनों थे नतीजा उसे तरक्की पर तरक्की मिलती रही और आज २० साल बाद वह बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर मैं शामिल था |
यक़ीनन आकाश की तरक्की का सफर बहुत ही शानदार रहा परन्तु इसे बेदाग़ नहीं कहा जा सकता | नौकरी के शुरुआत मैं आकाश ईमानदारी से अपना काम कर रहा था जिसका प्रतिफल उसे मिलता रहा | समय गुजरने के साथ साथ काम के प्रति जोश तो कायम रहा परन्तु ईमानदारी कायम नहीं रख सका | जैसे जैसे तरक्की होती गयी उसके हाथ मैं ऐसे मोके आने लगे जहाँ पर अगर आकाश चाहता तो अच्छा पैसा बना सकता था | कुछ समय तक आकाश सयम से रहा परन्तु धीरे धीरे उसने छोटे छोटे घोटाले करने आरंभ कर दिए | जब पकडे जाने का डर दूर हो गया तो घोटाले भी बढ़ने लगे | बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर मैं शामिल हो जाने के बाद तो आकाश के पास ऐसे अवसर थे जहाँ अगर वह चाहता तो करोड़ों के घोटाले कर सकता था |
आखिर वह दिन आ हो गया जब आकाश खुद पर नियंत्रण नहीं रख सका और उसने 50 करोड़ का घोटाला कर दिया | न केवल घोटाला कर दिया बल्कि कमाए हुए काले धन को अच्छी तरह से छिपा भी दिया | अपनी समझ के मुताबिक हर वह निशान मिटा दिया जो उसे दोषी साबित कर सकता था | एक बार सफलता मिलने पर आकाश की हिम्मत बढ़ गयी और उसने और नए घोटाले करने शुरू कर दिए |
पाप का घड़ा आखिर तो भरना ही था | आखिर वह दिन आ ही गया जब आकाश अपनी पूरी कोशिशों के बाद भी न तो घोटाले की रकम छिपा सका और न ही घोटाले मैं अपने शामिल होने के सबूत | आकाश को सस्पेंड कर दिया गया | सस्पेंड होकर आकाश अपने घर नहीं जा सका क्योंकि जाँच अधिकारी ने 14 दिन का रिमांड माँगा जोकि उसे मिल गया | आकाश 14 दिन के लिए जेल चला गया | 14 दिन बाद फिर से 7 दिन का रिमांड जाँच अधिकारी को मिल गया | आखिर जाँच अधिकारी ने उसके खिलाफ FIR दाखिल कर दी |
आकाश उम्मीद कर रहा था की जल्द ही उसे जमानत मिल जाएगी और वह अपने घर जा सकेगा परन्तु यह हो न सका | कोर्ट ने आकाश को घोटाले की रकम की 50 % कैश जमा करने के लिए एवं 50 % के बराबर प्रॉपर्टी दाखिल करने की शर्त पर जमानत देना तय किया | इतनी बड़ी रकम जमा करना आकाश के लिए संभव नहीं था अतः उसे लम्बे समय तक जेल मैं ही रहना पड़ा |
आकाश का मुकदमा तकरीबन 2 साल चला और उसे सात वर्ष की सख्त सजा सुना दी गयी | इसके अलावा घोटाले की रकम वसूल करने के लिए उसकी समस्त प्रॉपर्टी भी जब्त कर ली गयी | क्योंकि समस्त प्रॉपर्टी जब्त करने से भी पूरी रकम वसूल नहीं हो सकी इसीलिए 7 साल के अलावा 1 और साल की सजा आकाश को भुगतनी पड़ी | आकाश की सहयोगी घोटलेजाज निशा सिर्फ 2 साल की सजा पाकर आजाद हो गयी |
आकाश ने अपने किये की सजा पाई
दूसरा आयाम
निशा ने बचपन से ही पढ़ाई मैं अच्छा प्रदर्शन किया और अंत मैं MBA उत्तीर्ण कर लेने के बाद अच्छी कंपनी मैं जॉब हासिल करने मैं कामयाब हो गयी | नौकरी के शुरूआती दौर मैं ईमानदारी एवं जोश दोनों थे नतीजा उसे तरक्की पर तरक्की मिलती रही और आज २० साल बाद वह बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर मैं शामिल थी |
यक़ीनन निशा की तरक्की का सफर बहुत ही शानदार रहा परन्तु इसे बेदाग़ नहीं कहा जा सकता | नौकरी के शुरुआत मैं निशा ईमानदारी से अपना काम कर रहा थी जिसका प्रतिफल उसे मिलता रहा | समय गुजरने के साथ साथ काम के प्रति जोश तो कायम रहा परन्तु ईमानदारी कायम नहीं रख सकी | जैसे जैसे तरक्की होती गयी उसके हाथ मैं ऐसे मोके आने लगे जहाँ पर अगर निशा चाहती तो अच्छा पैसा बना सकता थी | कुछ समय तक निशा सयम से रही परन्तु धीरे धीरे उसने छोटे छोटे घोटाले करने आरंभ कर दिए | जब पकडे जाने का डर दूर हो गया तो घोटाले भी बढ़ने लगे | बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर मैं शामिल हो जाने के बाद तो निशा के पास ऐसे अवसर थे जहाँ अगर वह चाहती तो करोड़ों के घोटाले कर सकता थी |
आखिर वह दिन आ हो गया जब निशा खुद पर नियंत्रण नहीं रख सकी और उसने 50 करोड़ का घोटाला कर दिया | न केवल घोटाला कर दिया बल्कि कमाए हुए काले धन को अच्छी तरह से छिपा भी दिया | अपनी समझ के मुताबिक हर वह निशान मिटा दिया जो उसे दोषी साबित कर सकता था | एक बार सफलता मिलने पर निशा की हिम्मत बढ़ गयी और उसने और नए घोटाले करने शुरू कर दिए |
पाप का घड़ा आखिर तो भरना ही था | आखिर वह दिन आ ही गया जब निशा अपनी पूरी कोशिशों के बाद भी न तो घोटाले की रकम छिपा सकी और न ही घोटाले मैं अपने शामिल होने के सबूत | निशा को सस्पेंड कर दिया गया | सस्पेंड होकर निशा अपने घर चली गयी | जाँच अधिकारी ने 14 दिन का रिमांड माँगा जोकि उसे नहीं मिल सका | कोर्ट ने निशा को जाँच अधिकारी के साथ सहयोग करने ने निर्देश मात्र देकर छोड़ दिया | कोर्ट ने एक महिला अपराधी के प्रति नरम रुख अखित्यार किया | रिमांड की अवधि के दौरान अक्सर निशा शहर के बाहर घूमने चली जाती इसी कारण जाँच अधिकारी FIR दाखिल नहीं कर पाया | जाँच अधिकारी ने कोर्ट मैं रिमांड के लिए आवेदन किया परन्तु कोर्ट एक महिला की रिमांड देने के लिए तैयार नहीं हुई | इस बार निशा को शहर मैं बने रहने एवं जाँच मैं सहयोग करने के निर्देश दिए गए | आखिर जाँच अधिकारी ने उसके खिलाफ FIR दाखिल कर दी |
निशा उम्मीद कर रहा थी की जाँच अधिकारी उसके खिलाफ कमजोर FIR पेश करेगा | इसके लिए निशा ने जाँच अधिकारी को पैसा भी पेश करना चाहा यहाँ तक की निशा ने स्वयं को भी जाँच अधिकारी के हवाले कर देना चाहा | परन्तु जाँच अधिकारी निशा के व्यवहार से बहुत चिड़ा हुआ था नतीजा उसने FIR बहुत ईमानदारी से बनायीं |
निशा का मुकदमा तकरीबन 2 साल चला और उसे दो वर्ष की सजा सुना दी गयी | कोर्ट ने निशा के वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया की निशा एक महिला है अतः उसे सख्त सजा न सुनाई जाये | इसके अलावा घोटाले की रकम वसूल करने के लिए उसकी समस्त प्रॉपर्टी भी जब्त कर ली गयी | क्योंकि समस्त प्रॉपर्टी जब्त करने से भी पूरी रकम वसूल नहीं हो सकी इसीलिए 2 साल के अलावा 2 महीने की अतिरिक्त सजा निशा को भुगतनी पड़ी | निशा के सहयोगी घोटालेबाज़ आकाश को 7 वर्ष की सजा भुगतनी पड़ी
निशा बहुत सस्ते मैं छूट गयी कानून उसे सजा देने मैं असफल रहा |