Keshav & Sharma 084
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केशव : नमस्कार शर्मा जी किस सोच मैं डूबे हुए है
शर्मा : नमस्कार केशव जी
केशव : किन सोचों मैं डूबे हुए है
शर्मा : कुछ नहीं केशव जी बस यही सोच रहा था की जमाना कहाँ से कहाँ आ गया
केशव : सही बात है परन्तु इसमें सोचने वाली क्या बात है
शर्मा : अब देखिये न रमेश नीता के साथ रह रहा है
केशव : हां रह तो रहा है
शर्मा : बिना शादी के
केशव : कोई ज़बरदस्ती थोड़े ही रह रहा है
शर्मा : नहीं जबरदस्ती तो नहीं
केशव : तो क्यों न ऐसा कहा जाये की नीता रमेश के साथ रह रही है
शर्मा : हाँ ऐसा भी कह सकते है
केशव : तो फिर अब कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए
शर्मा : क्या मतलब
केशव : आपको रमेश के नीता के साथ रहने मैं दिक्कत थी अब आप जान गए की नीता रमेश के साथ रह रही है
शर्मा : नहीं मुझे यह दिक्कत नहीं थी
केशव : तो दिक्कत क्या थी
शर्मा : आज नीता से मुलाकात हुई थी
केशव : बहुत प्यारी और हसमुख लड़की है
शर्मा : हां आज रो रही थी
केशव : क्यों
शर्मा : बता रही थी की जब भी नीता रमेश से शादी की बात करती है तो वह बात का जवाब ही नहीं देता
केशव : भला क्या जवाब देना चाहिए
शर्मा : अरे भाई उसे अब शादी की तैयारी करनी चाहिए और अगर नहीं होता तब परन्तु सोचने वाली बात है की रमेश को कैसे मजबूर किया जाये जिससे वह शादी के लिए तैयार हो सके
केशव : क्यों
शर्मा : आखिर तो शादी करनी ही है
केशव : किसने कहा
शर्मा : कौन कहेगा भला
केशव : अरे शर्मा जी रमेश ने शादी नहीं लिव इन रिलेशन को चुना है
शर्मा : अरे पर आखिर शादी तो करनी ही है
केशव : अगर रमेश ने शादी को चुना होता तब आपकी बात सही हो सकती है परन्तु उसका चुनाव लिव इन था और नीता उससे सहमत थी
शर्मा : परन्तु अब नीता शादी करनी चाहती है
केशव : तो क्या रमेश नीता की बात मानाने के लिए मजबूर है
शर्मा : इतने साल एक साथ रहे है
केशव : हां परन्तु शादी के लिए नहीं लिव इन मैं अगर नीता को शादी करनी है और रमेश भी उत्सुक है तो शादी हो जाएगी
शर्मा : और अगर रमेश उत्सुक नहीं है तो
केशव : जाहिर है रमेश को मजबूर तो नहीं किया जा सकता
शर्मा : परन्तु
केशव : कुछ परन्तु नहीं है शर्मा जी सीधी बात है अगर दोनों राजी है तो शादी हो जाएगी
शर्मा : और अगर रमेश राजी नहीं होता तब
केशव : तब या तो नीता लिव इन मैं जब तक गुजर सके गुजरना चाहिए या फिर रमेश से अलग होकर किसी और से शादी करे
शर्मा : परन्तु नीता एवं रमेश के शारीरिक सम्बन्ध भी तो है
केशव : बिलकुल होंगे
शर्मा : तो क्या रमेश की जिम्मेदारी नहीं है की वह नीता से शादी करे
केशव : नहीं शर्मा जी जब रमेश ने लिव इन के लिए यस खा तो लिव इन के लिए ही यस कहा था शादी के लिए नहीं
शर्मा : परन्तु नैतिक दायित्व
केशव : क्या नीता के रमेश के अलावा किसी और से शारीरिक सम्बन्ध नहीं रहे
शर्मा : कैसी बात कर रहे है केशव जी लड़की के बारे मैं ऐसी बात
केशव : शर्मा जी हम दोनों जानते है की रमेश से पहले नीता के सम्बन्ध अशोक से थे और दोनों अक्सर होटल सम्राट मैं रात गुजरते थे
शर्मा : आपकी बात सही है
केशव : तो क्या नीता ने अशोक से शादी की
शर्मा : नहीं
केशव : क्यों
शर्मा : अशोक को अच्छी नौकरी नहीं मिल पायी और नीता अच्छी जॉब कर रही है
केशव : मतलब की नीता ने अशोक से सम्बन्ध तोड़े क्योंकि नीता शादी नहीं करना चाहती थी
शर्मा : हां सही है
केशव : और आप चाहते है की रमेश नीता से शादी करे क्योंकि नीता ऐसा चाहती है
शर्मा : हां
केशव : क्या हमेशा नीता की मर्ज़ी ही चलनी चाहिए
शर्मा : नहीं परन्तु वह महिला है अगर रमेश नीता से शादी नहीं करेगा तो कौन करेगा आखिर नैतिक मूल्य
केशव : नैतिक मूल्य तो दोनों पर एक बराबर लागु होने चाहिए
शर्मा : हां होने चाहिए
केशव : तो फिर नीता को अशोक से शादी करनी चाहिए
शर्मा : सोचने वाली बात है
केशव : बिलकुल सोचने वाली बात नहीं है साफ़ सुथरी बात है की अगर रमेश शादी नहीं करना चाहता तो शादी नहीं होनी चाहिए
शर्मा : परन्तु नैतिक मूल्य
केशव : शर्मा जी हमारा वक़्त नहीं है आज के वक़्त के नैतिक मूल्य हमारे समय से अलग है हमारे समय के नैतिक मूल्य के हिसाब से तो ना तो नीता – अशोक का और न ही नीता – रमेश के सम्बन्ध नैतिक है
शर्मा : आप सही कहते है
केशव : मानते है
शर्मा : हां मानता हूँ
केशव : तो फिर यह भी मानिये की रमेश सही है नीता को कोई हक़ नहीं बनता की वह रमेश को शादी के लिए मजबूर करे
शर्मा : शायद आप सही कहते है
केशव : मैं तो हमेशा सही कहता हूँ शर्मा जी बॉस आप मानते बहस के बाद है
शर्मा : हा हा हा हा