Keshav & Sharma Ji 086
Property Rights
Dr. G.Singh
शर्मा : केशव जी सुप्रीम कोर्ट ने पिता की प्रॉपर्टी मैं बेटियों को बेटों के बराबर हक दे दिया
केशव : शर्मा जी यह पुराना कानून है SC ने सिर्फ एक मामले मैं एक्सप्लनेशन दिया है
शर्मा : इससे तो हमारी सामाजिक व्यवस्था ही बिगड़ जाएगी
केशव : कैसे
शर्मा : भाई बहन मैं झगड़ा होगा प्रॉपर्टी के लिए
केशव : यह तो इस बात पर निर्भर करता है की व्यक्तिगत स्तर पर आप कैसे सोचते है
शर्मा : मतलब
केशव : अच्छा बताइये की क्या आप अपने बेटे और बेटी को बराबर नहीं मानते
शर्मा : मानता हूँ
केशव : तब आपकी सम्पति मैं दोनों का हक बराबर होना चाहिए या नहीं
शर्मा : होना चाहिए
केशव : तो फिर झगड़ा किस बात का
शर्मा : बेटे को इससे प्रॉब्लम हो सकती है
केशव : उसे प्रॉब्लम तब होगी यदि वह आपकी सम्पति मैं अपनी बहन का हिस्सा स्वीकार नहीं करता | यदि आप स्वीकार कर रहे है तो जाहिर है आपके बेटे के विचार आपसे अलग तो नहीं होंगे
शर्मा : बेटियों को उनकी शादी के वक़्त हिस्सा दिया तो जाता है
केशव : किसी ज़माने मैं दिया जाता था
ममता : वर्तमान मैं भी देते है
केशव : वर्तमान मैं जो देते है उसे दहेज़ कहा जाता है और गैर कानूनी है
शर्मा : शादी मैं जो सामान दिया जाता है उसे दहेज़ नहीं स्त्रीधन कहा जाता है
केशव : यह सिर्फ टेक्निकल अंतर है | ऐसा कीजिये पुलिस स्टेशन जाइये और दहेज़ के जितने मामले मिले उनकी FIR देखिये दहेज़ की लिस्ट मैं हर छोटी से छोटी चीज़ लिखी रहती है
शर्मा : वह तो तब होता है जब झगड़ा हो या मामला पुलिस मैं पहुंचे
केशव : मान कर चलिए की हर मामला पुलिस मैं जायेगा
शर्मा : आपका इस बारे मैं क्या विचार है
केशव : पिता के लिए जितना बेटे का महत्व है उतना ही बेटी का भी है इसीलिए मेरे विचार से बेटी पिता की प्रॉपर्टी की नेचुरल हकदार है
शर्मा : और जो हिस्सा शादी मैं एवं शादी के बाद दिया जाता है उसका क्या
केशव : बेटी को हिस्सा शादी के वक़्त सामान के रूप मैं चाहिए, त्योहारों पर कपड़ों के रूप मैं चाहिए या प्रॉपर्टी के रूप मैं यह फैसला हिस्सेदारों को ही करने दीजिये ना |
शर्मा : तो आप कह रहे है की शादी मैं खर्च ना किया जाये और त्योहारों पर देना बंद किया जाये
केशव : यदि वक़्त की आवश्यकता ऐसी है तो ऐसा ही करना चाहिए
शर्मा : माँ बाप की समस्त ज़िम्मेदारी तो बेटा उठता है हमारे यहाँ तो लड़की के घर का पानी पीना भी बुरा माना जाता है
केशव : क्या बात करते है पिछली बार आपकी लड़की के यहाँ बाक़ायदा लंच करके आये थे
शर्मा : आप मज़ाक कर रहे है
केशव : नहीं मेरा कहना है की वक़्त के साथ बदलिए शर्मा जी यदि बेटी को बराबरी के हक दिए जाते है तो बराबरी की जिम्मेदारी भी दीजिये
शर्मा : बेटी दूसरे घर जाती है वह कैसे ज़िम्मेदारी निभाएगी
केशव : यह प्रैक्टिकल मुद्दा है इस पर विस्तृत बहस करेंगे फिर कभी
शर्मा : मान लीजिये मैं बीमार हो गया तो मेरी बीमारी का खर्च बेटा ही तो करेगा
केशव : बिल दोनों बेटा बेटी मैं आधा आधा बाँट लेने मैं क्या दिक्कत है
शर्मा : आप मज़ाक कर रहे है
केशव : नहीं मैं आपको क्रन्तिकारी बनने की रे दे रहा हूँ
शर्मा : और बेटी को उसके ससुराल से प्रॉपर्टी मैं जो हिस्सा दिलवाने की बात हो रही है उसका क्या
केशव : आप शायद IrBM की बात कर रहे है
शर्मा : जी हाँ
केशव : पिता की सम्पति मैं बेटी का हक नेचुरल है और मैं उसका समर्थन करता हूँ जहां तक ससुर की प्रॉपर्टी मैं हिस्से की बात है यह सम्बन्ध पूरी तरह सामाजिक है प्राकृतिक नहीं इसीलिए बेटी का हक का मैं विरोध भी करता हूँ
शर्मा : और पति की सम्पति मैं
केशव : शायद योगदान बहुत महत्वपूर्ण है
शर्मा : समझाइये
केशव : अपने किशोर की पत्नी 3 दिन बाद उसे छोड़ कर चली गयी और तलाक ले लिया
शर्मा : हाँ मुझे पता है
केशव : किशोर की प्रॉपर्टी बनाने एवं ज़िंदगी मैं उसका योगदान कितना है
शर्मा : कुछ भी नहीं
केशव : आपके पाव कब्र मैं लटके है (हसी) और आपकी पत्नी अभी तक आपके साथ है
शर्मा : (ठहाका)
केशव : आपकी प्रॉपर्टी बनाने एवं ज़िंदगी मैं उनका योगदान कितना है
शर्मा : बहुत
केशव : बस इसी तरह के बिंदु ही निश्चय कर सकते है पत्नी का हिस्सा
शर्मा : हमारी संस्कृति एवं परम्पराओं
केशव : संस्कृति एवं परम्पराओं के नाम पर हम बदलाव को तो नहीं रोक सकते
शर्मा : शायद आप सही है