ईमान खलीफ – हमे सब पता है

Please Share :
Pin Share

ईमान खलीफ – हमे सब पता है

 

जब मैं जवान था , सही सुना मैं भी कभी जवान था , तब मेरे ऑफिस में एक महिला थी जो क्रेन चलती थी । चलो उसका नाम भावना मान लेते हैं । काफी हेल्थी थी और क्रेन चलाने के मामले में एक्सपर्ट थी, अच्छा काम करती थी । हालांकि हमारा कभी नाइट मैच नहीं हुआ इसीलिए पता नहीं लेकिन संभव है की में नाइट मैच में उसका मुकाबला कर पाता । आज कई साल गुजर गए और अचानक मेरे सामने सवाल आया की अगर मैं उससे कुश्ती का मैच रखूं तो क्या मैं उसके मुकाबले कहीं टिक सकूंगा । वैसे मुझे जीतना छोड़ो सामने टीके रहने की भी कोई संभावना नहीं दिखती ।

लगभग उसी समय ऑफिस में एक और महिला कर्मचारी भी थी । उसका काम था मेरे और मेरे जैसे अधिकारियों के ऑफिस की साफ सफाई करना । वो भी हेल्थी थी , हालांकि भावना जैसी नहीं लेकिन स्वस्थ महिला थी । बेशक नाइट मैच में वो मेरे मुकाबले की थी लेकिन अगर कुश्ती लड़ी जाए तो शायद वोह मेरे सामने एक मिनट भी न टिक सके ।

मेरे आसपास हजारों आदमी है जिनमे से कुछ मेरे सामने दुबले पतले कमजोर से है जबकि कुछ मुझसे ताकतवर भी है । एक लंबी लाइन है जो जीरो से शुरू होकर सौ तक जाती है ।

मेरे आसपास हजारों महिलाएं भी है जो एक लंबी लाइन बनाती है । वही जीरो से शुरू हुई लाइन सौ तक जाती है ।

अगर छोटे में कहा जाए तो सिर्फ इतना कहना चाहिए की में सबसे ताकतवर नहीं हूं और न ही सबसे कमजोर । अगर मैं कुश्ती लड़ूं तो कुछ लोगों को पीट सकता हूं और कुछ लोग मुझे पीट सकते है ।

ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए ?

अगर मुझे जवाब देना हो तो एक लाइन का जवाब है की हार हार होती है उसे स्वीकार कर लेना चाहिए । लेकिन जाहिर है की मेरा जवाब कोई यूनिवर्सल तो है नहीं जो सबका वही जवाब हो । अलग अलग लोग अलग अलग तरह से जवाब देंगे ।

एक प्रजाति ऐसी भी है जो एकमत से जवाब देने में माहिर है , सब महिलाएं एक ही तरह का जवाब देती है । हाल ही में ओलंपिक में एक महिला को दूसरी महिला ने पीट डाला । सही सुना एक महिला को दूसरी महिला ने पीट डाला ईमान खलीफ महिला है फिर चाहे जैसे मर्जी देख लो । दो महिलाओं का मामला है आपस में सुलझा लेंगे हमारा इसमें कोई लेना देना नहीं लेकिन समस्या खड़ी हुई वहां जहां एक महिला को महिला मानने से ही इंकार कर दिया गया और हमेशा की तरह पुरुषों के खिलाफ जंग का एलान कर दिया । अरे भाई दो महिलाओं एक जैसी नहीं होती हार को स्वीकार करना सीखो , हार को पचाना सीखना चाहिए न की जीतने वाली को महिला मानने से ही इंकार कर देना चाहिए । जिसे पुरुष कह कर अपनी हार मानने से इंकार कर रही हो उसने पहले भी कई मैच लड़े और हारे है , कई बार पिटी है वो दूसरी महिलाओं से , जब तक पीट रही थी तब तक वो महिला थी जब पीट डाला तब एकदम से पुरुष बन गई ।

लेकिन यह कोई विशेष मसला नहीं है । बेकार का ड्रामा करना तो महिला प्रजाति की आदत है । चिक चिक करके आदमी का दिमाग खराब रखना , और जब वो अपने तरीके से जवाब दे डोमेस्टिक वायलेंस चिल्लाना । अच्छे भले आदमी को शराबी बना देना और जब वो शराबी बन जाए तो उसे बिगड़ा हुआ कह कर चीखना चिल्लाना । यह सब तो डेली रूटीन में शामिल है महिलाओं के ।

हमें सब पता है और अब वक्त बदल रहा है । वो वक्त गुजर गया जब हम प्रोपेगेंडा में फस कर कुछ भी करते थे । अब ऐसा नहीं है इसीलिए वक्त रहते सुधर जाओ ।

जब तुम डोमेस्टिक वायलेंस चिल्लाती हो तब हमे पता होता है की तुमने झगड़ा शुरू किया था और जब सामने वाले ने जवाब दिया तब तो डोमेस्टिक वायलेंस चिल्ला रही हो ।

जब तुम शराबी शराबी चिल्लाती हो तब हमे पता होता है की उसे शराबी तुमने ही बनाया है ।

जब तुम दहेज दहेज चिल्ला रही होती हो तब हमे पता रहता है की तुम्हे अब ज्यादा अमीर प्रेमी पाल लिए है ।

जब तुम रेप रेप चिलाती हो तब भी हमे पता होता है की चेक बाउंस हुआ है ।

जब तुम किसी के पास टिकी हुई हो तब भी हमे पता है की तुम्हे अधिक अमीर प्रेमी नहीं मिल पा रहा ।

जब तुम बराबरी बराबरी चिलाती हो तब हमें पता रहता है की तुम स्पेशल स्टेटस एंजॉय कर रही हो और उस स्टेटस को बनाए रखने के लिए, उसके छीन जाने के डर से चिल्ला रही हो ।

जब तुम ईमान खलीफ को आदमी बता रही हो तब भी हमे पता है की तुमसे हार बर्दास्त नहीं हो रही ।

अब छिपने को कुछ नहीं है तुम्हारे सब राज खुली किताब है इसीलिए वक्त रहते सुधर जाओ क्योंकि हमें सब पता है ।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*