Today’s Ravan – Casual Misandry 02

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Today’s Ravan – Casual Misandry 02

 

पिता बच्चों की देखभाल अच्छे से नहीं कर सकता

भारतीय समाज मैं अक्सर यह सुनने को मिलता है की पुरुष बच्चों की अच्छी देखभाल नहीं कर सकता |  इसी सोच का खामियाज़ा पुरुष को वैवाहिक विवाद की अवस्था मैं उठाना पड़ता है | अधिकांश वैवाहिक विवादों मैं बच्चों की कस्टडी माता को दे दी जाती है एवं पुरुष को सिर्फ बच्चों के खर्च उठाने के लायक समझा जाता है | बच्चों का सम्पूर्ण खर्च उठाने के पश्चात् पिता के तौर पर बच्चों के साथ चंद घंटे बिताने का अवसर दिया जाता है कई मामलों मैं वह भी नहीं दिया जाता |  परन्तु यह धरना सत्य नहीं है अगर तलाश की जाये तो शायद एक भी पिता ऐसा नहीं मिलेगा जो अपने बच्चों के बारे मैं न सोचता हो

 

क्या कोई इस धारणा के पीछे छिपे रहस्य को बता सकता है | हां कुछ लोग यह अवश्य कह सकते हैं की पुरुष घर के बाहरी कामों जैसे की नौकरी को करने मैं समर्थ है | शायद यह बात आज से 80 या 90 वर्ष पहले कही जाती तो समझा जा सकता था आज के समाज मैं जहाँ महिलाओं को नौकरी करने मैं समर्थ मान लिया गया वही पुरुष के प्रति समाज का दृष्टिकोण नहीं बदल पा रहा |  समाज की इस सोच मैं बदलाव लाने की आवशयकता है | ना केवल समाज को बल्कि अदालतों को भी यह स्वीकार करने की आवशयकता है की पुरुष बच्चों की देखभाल उतनी ही अच्छि तरह कर सकता है जितना की कोई महिला अतः शेयर्ड पेरेंटिंग के प्रावधान को आवशयक बनाये जाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए