Today’s Ravan – Casual Misandry 01
मर्द को दर्द नहीं होता
भारतीय समाज मैं अक्सर यह सुनने को मिलता है की
‘मर्द को दर्द नहीं होता’
परन्तु वास्तव मैं सचाई क्या है क्या वास्तव मैं मर्द को दर्द नहीं होता ? अगर तथ्यों पर विचार करें तो यह सोच सचाई से कई कोस दूर दिखाई देती है परन्तु शायद पुरुष समाज इसी बात को सचाई मान बैठ है | ना केवल सचाई मान बैठा है परन्तु इसी सोच को सच साबित करने के प्रयास मैं लगा हुआ है | एक घटनाकर्म का ज़िकर करने से बात शायद ज्यादा स्पस्ट हो पाए | एक पुरुष मित्र से बात हुई तो पता चला की उसकी पत्नी ने उस पर Domestic Violence Act 2005 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ करवाया जिसने उसकी बहनों एवं माता पिता को भी मुल्जिम बनाया गया | पति महोदय का पूरा ध्यान इस बात पर रहा की उसकी बहनों एवं माता पिता को कोर्ट मैं पेश न होना पड़े चाहे उसे इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े |
अगर यह सोच सही होती तो आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले मैं ~3 गुना नहीं होती | इतनी बड़ी संख्या मैं पुरुष आत्महत्या अपने आप मैं साबित करती है की पुरुष को भी दर्द होता है
क्या समाज इस रावण को खत्म कर पायेगा