किस्मत

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किस्मत

आज छूटी के दिन सोचा कि कुछ नए पेंट्स और शर्ट्स लेने जरूरी है इसीलिए सुबह चाय नाश्ते के बाद ही गाड़ी लेकर शहर की तरफ निकल गया । दिमाग के किसी कोने में कहीं कोई विचार नहीं था कि कहां से लेना है बस इतना सोचा था कि मुख्य बाजार चला जाए और वहीं किसी दुकान से कपड़ा लेकर किसी दर्जी को दे दिया जाए ।

अभी शायद 12 या 13 किलोमीटर ही गया था कि एक दुकान खुली दिखाई दी और दुकान के बाहर एक खूबसूरत स्त्री समान साफ करते और सजाते हुए दिखाई दी । हालांकि मुख्य बाजार अभी काफी दूर था और आसपास की दुकानों अभी बंद थी लेकिन स्त्री जिसकी सिर्फ एक झलक ही दिखाई दी थी काफी खूबसूरत थी । लिहाजा कुछ आगे जाने के बाद यू टर्न लेकर वापिस आया और दुकान में चल गया ।

मुझे वह स्त्री भी पसंद आई और दुकान का सामान भी लिहाजा वहीं से तकरीबन 8 हजार के पेंट्स और शर्ट्स की और वही सिलने के लिए दे दिए ।

संभव है कि कुछ लोग इसी किस्मत का खेल कहेंगे लेकिन मैं इसी रैंडम घटनाओं का एक साथ घटित होना ही कहूंगा । संभव है कि वह महिला 1 मिनिट बाद बाहर आती या 1 मिनिट पहले अंदर चली जाती , या शायद मैं महिला की झलक ही नहीं देखता , या शायद यू टर्न लेकर वापिस ही नहीं आता , बहुत सारी बातें थी कि मैं उस दुकान पर नहीं जाता और मुख्य बाजार की किसी दुकान पर जाता । लेकिन मैं गया और वहां से शॉपिंग भी की । सुबह सुबह 8 हजार की बिकवाली पर महिला के चेहरे की मुस्कुराहट भी देखने योग्य थी ।

कहते है कि किस्मत बड़ी कुट्टी चीज है । मैं हमेशा पूछता हूं कि कौनसी किस्मत ? सब रैंडम घटनाओं का एक क्रम में होना है जिस वजह से मैने वहां शॉपिंग की इसमें किस्मत कहां से आ गई ।

कहते हैं कि हर प्राणी अपनी किस्मत के हाथों मजबूर है । लेकिन यह सिर्फ एक थ्योरी है जो जरूरी नहीं कि सही ही हो । बहुत पहले किसी पंडित ने मेरे जीवन के बारे में चंद बातें बताई थी जोकि सही साबित हुई । तो क्या वह पंडित मेरी किस्मत पढ़ पा रहा था ?

जरूरी नहीं है । लेकिन इस बारे में फिर कभी और सही ।

दुनिया भर में होने वाली सभी घटनाओं का पूर्वानुमान संभव है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि यह किसी बाहरी शक्ति द्वारा संचालित घटनाक्रम है या किस्मत है ।

दुनिया रैंडम घटनाओं का संकलन मात्र भी हो सकती है । और इसी सिद्धांत को आधार मान कर पहले हो चुकी और होने वाली सभी घटनाओं का विश्लेषण एवं पूर्वानुमाम संभव है ।

एक सड़क पर चलता हुआ ट्रैफिक हमेशा सामान्य चलता रहता है । किसी एक दिन अचानक सड़क पर एक्सीडेंट हो जाता है और मोटरसाइकिल वाला मर जाता है ।

तो क्या मोटर साइकिल वाले की किस्मत यही थी ?

रैंडम घटनाक्रम का सिद्धांत न केवल एक्सीडेंट का समय बल्कि मोटर साइकिल वाले की मृत्यु को बता पाने में सक्षम है । और अगर बता सकता है तो समय पर शायद एक्सीडेंट से पहले ही अगर मोटर साइकिल वाले को रोक कर या एम्बुलेंस बुलवा कर उसे बचाने में भी सक्षम है । ऐसे में इसे मोटर साइकिल वाले की किस्मत कैसे कहा जा सकता है ?

फिर भी कभी कभी किसी विशेष को देखकर लगता है कि किस्मत जैसी कोई चीज तो है जो आदमी के साथ चलती है , उसे दिशा निर्देश देती है ।

मेरा अपना पूरा बचपन इस कोशिश में निकल गया कि मेहनत करके आगे बढ़ना है, पैसा कमाना है । जवानी में मेहनत रंग लाई और अच्छा पैसा भी कमाया , लेकिन मेहनत करनी पड़ी । अब सब कुछ है लेकिन आज भी मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर रात को सुकून की नींद आती है ।

अब भी मेरा एक ही सवाल रहता है कौन किस्मत ? आखिर सब मेहनत से मिला तो किस्मत कहां से आ गई । किसी ने कहां की शायद मेहनत से मिलना ही किस्मत में लिखा हो । मुझे बस इस बचकानी बात पर हंसी आ गई । अरे भाई अगर किंतु परंतु था तो किस्मत कैसे हुई ?

कुछ ऐसे लोग भी है जो मेहनत नहीं करते लेकिन फिर भी ऐश करते है । ऐसे लोगों को देख कर ही लगता है कि किस्मत भी कोई चीज है ।

आत्माराम एक ऐसा ही व्यक्ति था । जब मैं छोटा था शायद स्कूल में और मेहनत से पढ़ाई कर रहा था , उस वक्त वह कॉलेज में था । पूरी तरह ऐश करना, घुमाना फिरना , शराब पीना , सिनेमा देखना मतलब की हर वो काम करना जिसे एंटरटेनमेंट कहा जाता है उसकी दिनचर्या का हिस्सा था । ऐसा नहीं है कि वह किसी अमीर घर से था वह सामान्य घर से था ।

जब मैं कॉलेज में पहुंचा तब वह नौकरी तलाश कर रहा था । मैं कॉलेज में क्लास और लेब के बीच चक्कर लगाता था और वह हर रोज शाम को ठेके पर चक्कर लगाता था । वह नौकरी तलाश जरूर कर रहा था कहते है कि उसे कई जगह से बुलवा आया भी लेकिन उसने कोई नौकरी ज्वाइन नहीं की ।

मैं कॉलेज से निकल कर नौकरी की तलाश में लगा तब भी वो अपने पुराने दैनिक कार्यों में व्यस्त था । अरे वही काम जिसे एंटरटेनमेंट कहते है ।

उसने अपनी 70 साल के जीवन में कभी कोई काम नहीं किया । बीच में कभी कभी वो कुछ नौकरी जैसा कुछ कर लेता था , दो या शायद तीन बार मैने भी उसे नौकरी पर लगवाया लेकिन उसने कभी कोई नौकरी दो महीने से ज्यादा की ही नहीं । वह हर बार छोड़ कर चला गया ।

उसने कभी एक पैसा नहीं कमाया लेकिन ऐसा भी कोई दिन नहीं गुजरा जब उसकी जेब खाली हो । उसका घर मजे से चलता रहा , उसके शराब की जरूरत पूरी होती रही । बच्चों की शादी भी उसने कर दी, बच्चों के भी बच्चे हो गए । मतलब की उसने हर वो काम किया जो एक सामान्य आदमी अपने जीवनकाल में करता है और वोह भी बिना एक पैसा कमाए । कोई यह नहीं कह सकता कि उसने कंजूसी की , उसका हर काम अच्छा और बढ़िया रहा । जब उसे 10 लाख की जरूरत पड़ी तब कहीं न कहीं से 10 लाख आ गए । जबकि मुझे 10 लाख के लिए भागदौड़ करनी पड़ती ।

शायद उसकी किस्मत थी । आत्माराम को देख कर लगता है कि शायद किस्मत भी कुछ है ।

तकरीबन 3 महीने पहले आत्माराम की मृत्यु हो गई । अचानक सब बदल गया । किस्मत , शायद आत्माराम के साथ ही किस्मत भी खत्म हो गई ।

आत्माराम के एक लड़की और एक लड़का है । लड़की शादी करके चली गई और लड़का , जहां तक मैने देखा वो अपनी बाप यानी कि आत्माराम की राह का ही राही है । हालांकि उसके काम आत्माराम से अलग है जहां आत्माराम का हर कदम एंटरटेनमेंट और शराब की तरफ बढ़ा वही लड़के का हर कदम गुरुद्वारा की तरफ बढ़ता दिखाई देता है । लेकिन नौकरी के मामले में दोनों एक जैसे ही है ।

लड़का पढ़ाई करने के बाद इंडिगो में ठीक ठाक नौकरी पर लग गया । जहां तक मेरा ख्याल है उसे नौकरी करते रहना चाहिए था लेकिन एक दिन छोड़ कर घर आ गया, ठीक वैसे ही जैसे बाप करता था । लड़के पर भी और आत्माराम पर भी विदेश जाना का नशा चढ़ा हुआ था । उस वक्त मेरी कुछ छोटी मोटी जानकारी थी और उसका ऑस्ट्रेलिया जाना संभव हो सकता था , लेकिन उसे इंग्लैंड जाना था । लिहाजा ऑस्ट्रेलिया जाने का मेरा प्रस्ताव ठुकरा दिया और दो साल की मेहनत के बाद लड़का इंग्लैंड पहुंच गया , स्टडी वीजा पर जैसे कि सभी जाते हैं ।

तकरीबन 28 या 29 लाख खर्च करके पूरे ढोल बाजे के साथ लड़का एक साल पहले इंग्लैंड रवाना हुआ था । एक साल बाद छुट्टियों के दौरान लड़का वापिस आया । जिस दिन लड़के को रवाना होना था उससे एक दिन पहले आत्माराम बीमार होकर हॉस्पिटल पहुंच गया और फिर वापिस नहीं आया । लड़के का जाना टल गया , और एक महीने बाद यूनिवर्सिटी ने उसका दाखिला भी कैंसल कर दिया । यानी कि तकरीबन 28 लाख पहले साल और 8 लाख दूसरे साल लगा कर अब लड़का घर पर वापिस आ गए ।

इंग्लैंड में पढ़ाई के साथ कुछ पार्ट टाइम नौकरी भी करता था जोकि छुट्टियों के दौरान भी करता रहा लेकिन इंग्लैंड जाने से पहले ही रिजाइन कर दिया । आत्माराम की मृत्यु के तकरीबन 3 से 4 महीने के अंदर ही सब बदल गया । शायद किस्मत या कुछ और ।

पिछले हफ्ते ही फोन पर बात हुई तब पता चला कि वह किसी पंडित के पास जाने वाला है पूछने के लिए कि आखिर गड़बड़ क्यों हो रही है ।

किस्मत ?

तो क्या आत्माराम ने जो ऐश बिना काम धंधा किए की उसे उसकी किस्मत कहा जा सकता है ? उसका लड़का जो काम धंधे के मामले में अपने बाप जैसा ही है क्या उसके साथ किस्मत नहीं है ।

या शायद आत्माराम के साथ रैंडम घटनाओं का संयोग ऐसा बैठा कि वह बिना मेहनत के ऐश करता रहा और उसके लड़के के साथ नहीं बन पा रहा । फिर भी सवाल बाकी है कि आखिर आत्माराम के मरते ही संयोग क्यों बिगड़ गया ।  आज तो नहीं लेकिन शायद कभी जवाब मिल जाए ।

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