जी-वॉर (G-War) – 03
डॉक्टर प्रशांत ने जब सहायता टीम के पास मौजूद कप्तान रमाकांत एवं मनोज को सुरक्षित देखा तो उन्हें ख़ुशी का अनुभव हुआ साथ ही अपना दिल बैठता हुआ सा महसूस हुआ परन्तु डॉक्टर प्रशांत इस वक़्त भावनाओं में नहीं बह सकते थे उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से ठोस कदम उठाने थे | कप्तान रमाकांत एवं मनोज को तहखाने से बाहर नहीं आना चाहिए थे क्योंकि दोनों समय यात्रा के दौरान कुछ ऐसे वायरस का वाहक हो सकते थे जो वर्तमान सभ्यता के लिए घातक हो सकते थे | इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती थी | दोनों को क्वारंटाइन में रखा जाना और उनकी सम्पूर्ण जाँच किया जाना आवश्यक था |
सामने का दृश्य दिखने में जितना सामान्य दिख रहा था वास्तव में उतना ही भयावह था परंतु दृश्य की भयानकता सिर्फ डॉक्टर ही समझ सकते थे । डॉक्टर समझ सकते थे कि कप्तान का सुरक्षित बच जाना जितना महत्वपूर्ण है उससे अधिक महत्वपूर्ण है उनका क्वारंटाइन होना । उनका इस तरह खुली हवा में मौजूद होना किसी अनजाने खतरे की दस्तक हो सकता है । हालात जो इस वक़्त सामान्य दिख रहे है वो जल्द ही ऐसी करवट बदल सकते है जहां सिर्फ अवसोस करने के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं होगा । कप्तान को तुरंत ही क्वारंटाइन कर दिया जाना आवश्यक था इसके साथ ही तहखानों में मौजूद व्यक्तियों को निकालने के बाद उनको भी क्वारंटाइन किया जाना आवश्यक था | तहखानों में अभी भी कई खतरनाक चीज़ें हो सकती थी इसीलिए तहखानों को दुबारा सील कर दिया जाना भी आवश्यक था ।
डॉक्टर प्रशांत लगभग भागते हुए टीम के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी देखरेख में कप्तान रमाकांत और मनोज को क्वारंटाइन में भिजवा दिया | यह तो सिर्फ शुरुआत थी जिस तहखाने में कप्तान रमाकांत को अवं मनोज को रखा गया था उसी के अन्य सेक्शन में हज़ारों किस्म के वायरस का संग्रह था जिसमे से कई ऐसे थे जो जानलेवा हो सकते थे |
डॉक्टर प्रशांत अपने सामने आपातकालीन सुरक्षा टीम के सदस्यों को काम करते देख रहे थे और अपने दिशा निर्देशों से उन्हें सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ने में सहायता भी कर रहे थे | जहाँ आवश्यकता पड़ती स्वयं आगे बढ़ कर सुरक्षा सुनिश्चित करते ।
जो हो चुका उसके विषय में डॉक्टर कुछ नहीं कर सकते थे परंतु अभी भी उन्हें बहुत कुछ करना था इसीलिए तुरंत ही डॉक्टर प्रशांत भी सहायता टीम के सदस्यों के साथ मिलकर सुरक्षा उपायों में जुट गए । धीरे धीरे कई दिन की मेहनत के बाद सभी प्रकार के वायरस को सुरक्षित तरीके से अन्य सुरक्षित लेब में भिजवाया गया और तहखानों को सुरक्षा कारणों से प्लाज्मा टोर्च द्वारा साफ़ किया गया और फिर से सभी तहखानों को सील कर दिया गया |
हालांकि सभी सुरक्षा उपाय किये गए थे इसके बावजूद अभी निश्चित रूप से कुछ भी कह पाना संभव नहीं था | आने वाले कुछ सप्ताह बहुत महतवपूर्ण हो सकते थे शायद इसीलिए डॉक्टर प्रशांत अपने लैब के ध्वस्त होने के बावजूद अगले कई सप्ताह तक टेम्प्ररी इंतज़ाम के साथ घटना स्थल पर ही मौजूद रहे | आने वाला हर रात उनके लिए अनिश्चितत्ता का माहौल लेकर आती गुजरने वाला हर दिन शांति की उमीदों को बड़ा रहा था |
कई सप्ताह तक डॉक्टर प्रशांत ने अपनी टीम के साथ ना केवल लैब बल्कि आस पास की आबादी पर भी नजर बनाये रखी और अंततः उनको स्वीकार करना पड़ा की खतरा टल गया है | उन्होंने रिपोर्ट तैयार करके अपने उच्चाधिकारियों तक पहुँचा दी और अगले आदेश का इंतज़ार करने लगे |
उच्चाधिकारी चाहते थे की डॉक्टर प्रशांत अपनी रिसर्च को आगे बढ़ाएं परन्तु तूफान के कारण उनकी रिसर्च गतिविधियों की काफी नुकसान हुआ था इसके अलावा अब वह लैब भी धवस्त हो चुकी थी जहाँ वह अपना काम किया करते थे | और लैब को दुबारा कार्य करने लायक बनाने में कई वर्ष का समय लगने वाला था लिहाज़ा डॉक्टर प्रशांत को फिलहाल बंगलोरे में रहकर अपने कार्य को आगे बढ़ाने का आदेश दे दिया गया | डॉक्टर प्रशांत को तब तक बंगलोरे में रहना था जब तक की उनकी लैब तैयार नहीं हो जाती |
बैंगलोर में डॉक्टर प्रशांत को एक छोटी लैब में काम करना था जहां उनके पास सीमित संसाधन थे और फिलहाल इसकी चिंता उन्हें नहीं थी क्योंकि फिलहाल उन्हें अपने पुराने काम को रिस्टोर करने एवं व्यवस्थित करने का महत्वपूर्ण काम करना था |
इस दौरान कप्तान रमाकांत एवं मनोज को भी सभी प्रकार की जाँच प्रक्रिया से गुजरने के बाद छुट्टी दे दी गयी थी | फिलहाल दोनों को भी बैंगलोर में ड्यूटी पर लगाया गया था जिसका मुख्य कारण था की उन्हें कुछ और समय तक डॉक्टर प्रशांत के ऑब्जर्वेशन में रखा जाए इसके अलावा डॉक्टर प्रशांत भी उनके अनुभवों को विस्तार से संग्रहित करना चाहते थे |
डॉक्टर प्रशांत खुद को बंगलोरे में स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे | उनके पिछले कई वर्ष लैब में गुजरे थे ऐसे में बंगलोरे की छोटी लैब में कम संसाधनों के बीच काम का बोझ कुछ हल्का होने के कारण डॉक्टर खुद को अधिक तरोताज़ा एवं सुकून से भरा हुआ महसूस कर रहे थे | कप्तान रमाकांत एवं मनोज से हुए वार्तालाप डॉक्टर प्रशांत को एक तरफ उलझन में डालते थे वहीँ उन्हें आशा की नयी किरण भी दिखाई देती थी | हलाकि रमाकांत एवं मनोज की समय यात्रा अभी साबित होना बाकि था बल्कि अभी ऐसा हो पाना संभव नहीं था परन्तु जितना डॉक्टर प्रशांत दोनों से वार्तालाप करते उतना ही उन्हें प्रयोग की सफलता पर विश्वास बढ़ता जा रहा था | यदि कहीं कुछ अवांछित महसूस हो रहा था तो सिर्फ वह दृशय जिनका वर्णन कप्तान रमाकांत अवं मनोज कर रहे थे | इस प्रकार के दृशय भविष्य की धरती पर होना लगभग असंभव था | इस सबके बावजूद फिलहाल डॉक्टर प्रशांत शांत जीवन जी रहे थे |
उन्हें इस बात का अहसास बिलकुल भी नहीं था की सुकून के यह पल उनसे बहुत जल्दी छीन जाने वाले है और सुकून के इन पलों पर धीरे धीरे आतंक का साया पड़ता जा रहा है |