चलते चलते

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चलते चलते

 

आज छुट्टी के दिन चलते चलते राजीव माल तक आ गया | घर से सिर्फ घूमने निकला था सामने जब मॉल देखा तो अंदर चला गया | माल में ही लंच किया और फिर मल्टीप्लेक्स में फिल्म भी देखी |  जब फिल्म ख़तम हुई तब शाम हो रही थी | माल से बाहर आने से पहले अपनी पसंद की जीन एवं टी शर्ट भी खरीदी |

घर दूर नहीं था और पास में समान भी ज्यादा नहीं था, घर तक पैदल ही पहुंचा जा सकता था परन्तु पैदल चलने की इच्छा नहीं थी |  लिहाज़ा राजीव टैक्सी का इंतज़ार करने लगा | तभी :

जूही : ओह माय गॉड तुम तो राजीव हो

राजीव : 100 फीसदी राजीव हूँ हेलो

जूही : पहचाना मुझे

राजीव : न पहचानने का कोई कारण तो नहीं है

जूही : क्या कर रहे हो आज कल

राजीव : वही जो हमेशा करता था ऐश ऐश और ऐश

जूही : मतलब सुधरे नहीं अब तक | पत्नी साथ में है और बच्चे

राजीव : बच्चे बनाने वाली फ़ैक्टरी ही नहीं लगाई

(जूही राजीव का परिचय अपने पति से करवाते हुए)

जूही : डार्लिंग यह राजीव है इसने मुझसे शादी करने से इंकार कर दिया था इसीलिए अभी भी धक्के खा रहा है

राजीव : हेलो (राजीव ने हाथ मिलाने के लिए बड़ा दिया)

अशोक : हेलो (अशोक ने हाथ मिलाया परन्तु उससे पहले अपने हाथों मैं पकडे हुए बहुत सारे पैकेट जमीन पर रखे)

राजीव : और अगर गलती से शादी कर लेता तो गधा बनकर घूमता

जूही : राजीव तुम अशोक को गधा नहीं बोल सकते

अशोक : राजीव समझदार आदमी है उसने मुझे गधा नहीं बोला

राजीव : अशोक भी समझदार आदमी है

अशोक : तो राजीव तुमने बच्चे पैदा करने की फ़ैक्टरी क्यों नहीं लगाई

राजीव : मैं आजाद परिंदा हूँ और आजाद ही रहना पसंद करता हूँ

अशोक : फिर भी

राजीव : फिर भी क्या ?

अशोक : ऑफिस से जब थके हुए घर आये तो साफ़ सुथरा घर और बढ़िया खाना भी तो चाहिए

राजीव : नौकर सिर्फ दस हज़ार लेता है और बिना कोई झंझट बढ़िया मनपसंद खाना बना कर खिलता है

अशोक : कुछ शारीरिक जरूरत होती है

राजीव : बिलकुल होती है

अशोक : तो

राजीव : जूही तुम्हें याद है तुम लोगों की कॉलेज की एक्टिविटीज

जूही : बिलकुल बहुत एन्जॉय करते थे

राजीव : तुम्हें याद है वह प्रदर्शन जिसमे उत्कर्ष कार्य करने के लिए सम्मानित भी किया गया था

जूही : बिलकुल याद है उसकी सब तैयारी मैंने की थी | नारेबाज़ी से लेकर विद्यार्थियों को इकठा करने के लिए प्रोत्साहन भाषण तक मैंने लिखा था

राजीव : विषय क्या था

जूही : छोडो उस बात को

अशोक : छोडो क्यों भई पता तो चलना चाहिए

राजीब : हां तो अशोक वह प्रदर्शन था IPC 497 यानि की शादी के बाहर यानि की पति के अलावा शारीरिक सम्बन्ध की स्वतंत्रता इस स्वतंत्रता पर सामाजिक एवं कानूनी मान्यता पर | उसमे हज़ारों महिलाओं ने भाग लिया था

अशोक : हम्म परन्तु उस प्रदर्शन का जिक्र क्यों आया

राजीव : क्योंकि तुमने शारीरिक ज़रूरतों का मुद्दा उठाया

अशोक : साफ़ साफ़ कहो

राजीव : अरे भई अशोक सीधी बात है हज़ारों महिलाएं प्रदर्शन में मौजूद थी इसके अलावा हज़ारों ऐसी थी जिनका मोन समर्थन था |

अशोक : तो तुम्हारी जरूरत पूरी हो जाती है

राजीव : बड़े आराम से

अशोक : जूही भी तो उस प्रदर्शन में थी

राजीव : प्रदर्शन को लीड किया था जूही ने

अशोक : तो क्या जूही और तुम

राजीव : यह तुम्हारा और जूही का आपसी मामला है

अशोक : बहुत बढ़िया में शाम को तुम्हारे पास आता हूँ बहुत कुछ सिखने को मिलेगा

राजीव : जब चाहे आ जाना

जूही : अशोक तुम कहीं नहीं जाओगे राजीव तो बदमाश है परन्तु तुम शादीशुदा हो

अशोक : रिलैक्स जूही तुमने ही तो सेक्सुअल फ़्रीडम फाइट करके हासिल किया है और मुझे फ़्रीडम देने से इंकार कर रही हो

राजीव : चलो अशोक अब मुझे इजाज़त दो

अशोक : शाम को इंतज़ार करना

राजीव : करुंगा