गुलाब – एक मर्डर मिस्ट्री
आजाद परिंदा
कहानी सत्य घटना पर आधारित है एवं मेरे सामने घटित हुई घटनाओं अथवा विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी पर आधारित है | कल्पना का इस्तेमाल सिर्फ उतना ही है जितना कहानी की निरंतरता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है
- गुलाब
- विवाद
- भूत
गुलाब
घर के बाहर एक छोटे से बगीचे की देखभाल एक माली के हवाले है । उस खूबसूरत बगीचे में मेरा योगदान सुबह शाम वहां बैठ कर चाय नाश्ता तक सीमित रहा । वहीं बगीचे के पास ही चार गमले रखे हुए है इन गमलों की देखभाल पूरी तरह से मेरी जिम्मेदारी है । हालांकि गमलों की बहुत देखभाल और समय भी दिया परंतु किसी कारणवश चारों गमले कुछ विशेष प्रगति नहीं कर पाए । निराश होकर देखभाल करना ही छोड़ दिया ।
कई दिनों बाद देखा तो सभी गमलों में तुलसी का साम्राज्य था । एक और प्रयास की इच्छा जाग गयी । बार बार प्रयास करना हार नहीं मानना शायद यही मानवीय गुण है । इस बार गुलाब के पौधे लगाए गए । एक बार फिर पूरी मेहनत के बाद गुलाब ने अपनी खूबसूरती चारो तरफ बिखेर दी । परंतु अधिक दिन नहीं चल सका और अंत में पौधे ऐसे दिखने लगे जैसे कोई मरियल कुत्ता नहाने के बाद दिखता है । दूसरी असफलता ने मुझे गमलों के प्रति उदासीन कर दिया । बगीचे का आनंद हर रोज लेने के बावजूद गमले एक कोने में सिमट कर रह गए ।
कई सप्ताह बाद नज़र कोने की तरफ चलो गयी । तीन में से एक पौधा एक बार फिर से प्रयास करता दिखाई दिया । हालात कुछ विशेष अच्छी तो नहीं थी परंतु प्रयास स्वागत योग्य तो थे ही लिहाज़ा मैंने एक बार फिर गमलों में पानी डालने और कुछ समय देने का निश्चय किया ।
आज जब गमले की तरफ देखा तो सामने वही गुलाब का पौधा खिले हुए 4 फूलों के साथ मुस्कुराता महसूस हो रहा है । हालांकि गुलाब अपने प्राकृतिक साइज से काफी छोटा है और खुशबू भी नहीं है परंतु बार बार की असफलता के बाद चार छोटे गुलाब के फूल हासिल कर पाना अपने आप में खुशी भरा विचार लगा । शायद इसीलिए कुर्सी गमले के ठीक सामने रखवा लेने के बाद ही चाय का कप हाथ में लिए ।
खिले हुए गुलाब को देखते देखते अतीत की यादों में कब डुबकी लग गयी पता ही नहीं चल पाया । शायद गमले के गुलाबों का ही कमाल था कि अतीत का गुलाब सामने आ खड़ा हुआ । मुझे नहीं पता कि उसका असली नाम क्या था परंतु मुझे जब उसका परिचय करवाया गया तब गुलाब कह कर ही करवाया गया था । मैं उसे अपना दोस्त कहूँ तो शायद अतिशयोक्ति ही होगी । बस इतना कहा जा सकता है कि गुलाब से मुलाकात एक यात्री की तरह रही जो शायद एक रात एक सराय में इकट्ठा गुजरने के बाद फिर कभी ना मिलने के लिए जुदा हो जाते हैं ।
आज इतने वर्षों बाद जब गुलाब यादों में आ खड़ा हुआ तो उसके बारे में जानने की इच्छा भी जोर मारने लगी । मेरे पास गुलाब की जानकारी निकालने का एकमात्र संपर्क सूत्र मेरी माँ थी शायद इसी कारण से ही आज असमय ही फ़ोन की घंटी बजा दी । मम्मी से पता चला कि गुलाब की मृत्यु कुछ महीने पहले ही हुई है । गुलाब से मेरी सिर्फ एक मुलाकात थी इसीलिए मैं उसे लगभग अनजान व्यक्ति ही कह सकता हूँ और किसी अनजान व्यक्ति के बारे में जानकारी रखना मेरे स्वभाव में नहीं है इसलिए मुझे नहीं बताया गया था ।
गुलाब की शादी मेरी रिश्ते की एक बहन के साथ हुई और उसी शादी के वक़्त ही मुझे गुलाब से एकमात्र मुलाकात करने का अवसर मिला था । मुझे नहीं पता उनका जन्म कब हुआ या कहाँ हुआ था | बस इतना ज्ञात है की उनका जन्म किसी ग्रामीण इलाके में हुआ और वहां पर उनका बचपन गुजरा | उनका नाम गुलाब किसने रखा यह भी अज्ञात है परन्तु उसकी खूबसूरती को देखने के बाद यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है की आखिर गुलाब ही क्यों रखा गया |
मेरी जिस बहन से गुलाब की शादी हुई वो लगभग मेरी हमउम्र ही है । वैसे मैं यह दावा तो नहीं कर सकता कि हम इकठे खेलते हुए बड़े हुए परंतु फिर भी गर्मी की छुटियों में अक्सर मुलाकात होती रहती थी । उस बहन के विषय में यह कई बार सुनने को मिला कि उसका दिमाग थोड़ा सा कम विकसित है । उस वक़्त मेरी उम्र इस योग्य नहीं थी कि पूरी बात समझ में आती । वक़्त गुजरता गया और धीरे धीरे सब अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए । अब यदा कदा मुलाकात हो जाती तो वो भी बस हाय हेलो तक ही सीमित थी । अंदर खाते अभी भी सुनने में अभी भी यही आता कि लड़की थोड़ी कम अकल है । परंतु ना तो मैंने कभी विस्तार में जाने का प्रयास किया और ना ही इतना वक़्त था ।
फिर एक दिन उसी बहन की शादी का कार्ड आ गया । तब मम्मी और डैडी शादी से एक या दो दिन पहले ही चले गए और मैं भी पहुंचा परंतु शादी के दिन ही । और यही वो जगह और दिन था जब गुलाब से पहली और आखिरी बार मुलाकात हुई ।
एक मुलाकात में किसी को अधिक जान पाना संभव नहीं परंतु जितना जान पाना संभव था उतना तो जाना ही । बहन के विषय में भी कुछ अधिक जानकारी हासिल हुई । पता चला कि बहन वास्तव में थोड़ी सी कम विकसित बुद्धि वाली महिला थी । हालांकि उसे पागल या वैसा कुछ नहीं कहा जा सकता परंतु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि उसमें प्रजेंस ऑफ माइंड अधिक नहीं था । उसे यह भी पता नहीं चलता था कि कौन सी बात कहने योग्य है और कौनसी नहीं ।
गुलाब मुझे एक होनहार युवक जो शराब जुआ या किसी अन्य व्यसन से बहुत दूर लगा । ग्रामीण पृष्ठभूमि से आया गुलाब और उसका परिवार बहुत ही साधारण हैसियत का समझदार परिवार था ।
इसके विपरीत बहन का परिवार अपने आप में अमीर परिवार कहा जा सकता था । सभी रिश्तेदारों में बहन का परिवार सबसे अमीर था । जिस वक्त अधिकांश लोग साइकिल की यात्रा करते थे या बहुत हुआ तो स्कूटर या मोटरसाइकिल ले लिए उस जमाने में मौसा के पास जीप हुआ करती थी ।
गुलाब का जीवन स्तर और मौसा का जीवन स्तर कही भी एक समान नहीं था । सोचने से समझ आ सकता था कि आखिर क्यों मौसा मौसी ने अपने लेवल से निचले लेवल के गुलाब और उसके परिवार से संबंध जोड़े । परंतु उस वक़्त ना तो इतना सोचने की क्षमता थी और शायद जरूरत भी नहीं ।
आज इतने वर्ष गुजर जाने के पश्चात यह अहसास शिद्दत से महसूस होता है कि शादी की जब बात हो और लड़के और लड़की का परिवार हैसियत के हिसाब से एक समान नहीं हो तो जांच पड़ताल बहुत बारीकी से की जानी चाहिए अन्यथा जीवन भर पछताने के अलावा कुछ किया जाना शायद संभव नहीं हो ।
गुलाब अपने तीन भाइयों और पिता के साथ एक वर्कशॉप पर काम करता था । उसका परिवार संयुक्त परिवार कहा जा सकता था । परिवार में तीन भाई और उनकी पत्नियों के अलावा माँ बाप थे । बहनों की शादी पहले ही हो चुकी थी । जीवन यापन के लिए वर्कशॉप का काम था । इसके अलावा बहुत थोड़ी सी ज़मीन भी थी । जमीन पर चारों भाई मिल कर खेती कर लिया करते और खाने योग्य अनाज और सब्जी वगैरह उगा लिया करते । गांव में बना हुआ एक मकान भी था जहां पूरा परिवार रहता था । शायद पशुपालन भी करते हो परंतु मुझे जानकारी नहीं है ।
जैसे जैसे मेरा रिटायरमेंट नज़दीक आ रहा है, अरे भाई उम्र के हिसाब से नहीं इच्छा के हिसाब से तो मैं प्रयासरत हूँ एक ऐसा मकान बनाने के लिए जिसमे रहने के अलावा कुछ सब्जी, गाय, आदि का इंतज़ाम भी किया जा सके । तो मैं शायद यूं कहूंगा कि गुलाब कुछ वैसी ही ज़िंदगी जी रहा था जो में आज जीना चाहता हूँ ।
गुलाब की शादी अच्छी तरह से निबट गयी और सभी मेहमान अपने अपने घरों को चले गए । मैं भी अपने घर पर आ गया । उसके बाद मेरा उस बहन से संपर्क लगभग खत्म सा ही हो गया और गुलाब से मुलाकात भी नहीं हुई । बस कभी कभार घर पर मम्मी डैडी के बीच होने वाली बातचीत से कुछ हल्का फुल्का मालूम हुआ भी तो मैंने ध्यान नहीं दिया ।
गुलाब की शादी को तकरीबन 18 वर्ष गुजर गए और आज जब गुलाब के बारे में पता करने का प्रयास किया तो पता चला कि उसकी मृत्यु हाल में ही हुई है । मैं यह तो नहीं कह सकता कि गुलाब की मृत्यु से मुझे आघात लगा परंतु गुलाब की मृत्यु की कहानी सुनकर मन खट्टा अवश्य ही हो गया ।
क्रमशः