अपुन को गर्व है

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अपुन को गर्व है

आजाद परिंदा

 

जमाना खराब है । पक्का खराब है । कोई शक नहीं बिलकुल खराब है । चलो अगर खराब है तो रहे अपुन को क्या लेना देना । अपुन तो अपुन में मस्त है ।

एक दिन की बात है । अरे दिन काहे का अभी कल की ही बात है । तो बात कुछ यूं है की कल किसी ने बताया की उसे खुद पर गर्व है । जब अपुन ने पूछा की गर्व किस बात का तो साहब ने बताया की वो शाकाहारी है इसीलिए खुद पर गर्व करते है ।

अच्छी बात है साहब गर्व है तो करो अपुन को क्या लें देना । तो अपुन साहब को और साहब के गर्व को पीछे छोड़ छाड़ कर दूजे साहब की तरफ बढ़ लिए । अगले साहब ने तो अपुन का भेजा फ्राई कर दिए यह बता कर कि उनको भी खुद पर गर्व है । किस बात का गर्व ? अरे साहब मांसाहारी है न बस उसी बात का गर्व ।

चलो छोड़ो अपुन को क्या अपुन तो अपना भेजा फ्राई लेकर तिजे साहब की तरफ बढ़ लिए । टीजे साहब कोनसा काम थे उन्होंने तो फ्राई भेजे को काट फाट कर एकदम चाट मसाला बना डाला । उनको भी खुद पर गर्व था । दरअसल वो खुद को हिंदू होने पर गर्व कर रहे थे । उनके पड़ोसी भी गर्व से भरे थे क्योंकि वो मुस्लिम थे । और दूसरी तरफ वाले पड़ोसी भी सिख या शायद ईसाई थे इसीलिए गर्व से सीना चौड़ा किए घूमते मिले ।

चौथे साहब दो कदम आगे वो खुद को स्वस्थ होने पर गर्व किए जा रहे थे ।

पांचवे साहब तो सबके बाप निकले वो गर्व पर रहे थे क्योंकि …..

चलो छोड़ो सब गर्व से भरे मटकों ओह सॉरी सॉरी जुबान फिसल गई मैं कहना चाहता था की छोड़ो गर्व से भरे साहबों को और अपुन तो अपुन के बारे में सोचते है ।

तो साहब अपुन भी है तो इसी दुनिया के बंदे तो जब सब साहब गर्व लिए सीना चौड़ा किए घूम रहे है तो अपुन को भी होना चाहिए ना।

कहा न जमाना खराब है तो खराब जमाने में अच्छे बनाने से काम नहीं चलता बस इसीलिए अपुन भी अब गर्व करेगा ।

पर किस पर ?

अपुन भी गर्व करेगा और बिल्कुल नए स्टाइल में करेगा । कॉपी नहीं करेगा । अपना स्टाइल खुद बनाएगा ।

तो अपुन हर रोज नई बात पर गर्व करेगा । तो आज अपुन गर्व करेगा पैर में पहनी चप्पल के छेद पर । और कल इस चप्पल के छेद पर नहीं किसी दूसरी बात पर गर्व करेगा ।

तो आज सारा दिन अपुन पैर की चप्पल के छेद के कारण सीना चौड़ा करके घूमेगा ।

कोई ऐतराज ?