वी आर नॉट फूल
कई दफा सफर मनोरंजन के उद्देश्य से किया जाता है उसने कुछ नया सिखाने की लालसा नहीं होती परंतु फिर भी सीखने को बहुत कुछ मिल जाता है । कभी कभी बिना चाहे भी कुछ मनोरंजक लोचा हो ही जाता है । दिवाली पर सिर्फ घूमने के इरादे से ही सफर शुरू किया परंतु लोचा हो गया ।
दिल्ली एयरपोर्ट पर फ्लाइट बदलनी थी और सिक्योरिटी जांच की लाइन काफी लंबी थी । लाइन के बीच में कहीं मैं और मुझसे आगे 4 या 5 लोग मुझसे आगे थे और उनके आगे थी एक महिला । एक महाशय जिनको एयरपोर्ट पहुंचने में कुछ देरी हो गई थी जल्दी जल्दी सबसे रिक्वेस्ट करते हुए आगे निकलने का प्रयास करते हुए मुझ तक पहुंच गए । मैने भी उन्हें आगे निकल जाने दिया । महिला जो मुझसे कुछ आगे थी वो अड़ गई उनका कहना था की हम मूर्ख थोड़े है (वी आर नॉट फूल) जो लाइन में खड़े है ।
अड़ गई तो अड़ गई क्या किया जा सकता था वैसे बात भी ठीक ही थी । लिहाजा यात्री मजबूरन लाइन में उनके पीछे लगे और जहां तक मुझे जानकारी है उनकी फ्लाइट छूट गई ।
वैसे तो सैंकड़ों चेहरे निगाहों के आगे से हर रोज गुजरते है और याद नहीं रहते परंतु यदि कोई चेहरा किसी घटना से जुड़ा हो तो याद रह भी जाता है । और वो महिला और घटना तो हाल की ही बात थी ।
वापसी यात्रा में वो महिला और मैं एक ही फ्लाइट में दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचे शायद ऐसा संयोग हो या संभव है छुट्टियां के हिसाब से दोनो का प्रोग्राम कुछ एक जैसा ही रहा हो ।
वापसी यात्रा में दिल्ली एयरपोर्ट पर मैं और महिला एक बार फिर लाइन में थे और वो मेरे से पीछे थी । इस बार उनको देरी हो रही थी और वो रिक्वेस्ट कर रही थी ताकि उनको आगे निकल जाने दिया जाए । कुछ लोग उन्हें आगे निकलने की परमिशन दे भी दिए परंतु मैं मूर्ख थोड़े ही हूं (आई एम नॉट फूल) ।
काफी देर बाद पता चला महिला सिक्योरिटी से डिमांड कर रही थी की महिला लाइन अलग होनी चाहिए और मेरे जैसे दुष्ट यात्रियों से बचाव के लिए लाइन में जगह जगह पर गार्ड खड़े होने चाहिए ।