आफताब और प्रीति

Please Share :
Pin Share

आफताब और प्रीति

अनाम

आफताब वैसे तो कुछ खास नहीं एक अपराधी मात्र है । हर अपराधी की तरह उसने  भी अपने अपराध को छिपाने का प्रयास किया और  सफल नहीं हो सका, पकड़ा गया ।
परंतु जितनी हाय तोबा सोशल मीडिया पर विशेष तौर पर लेखक लेखिकाएं (आजकल अधिकांश असफल लेखक लेखिकाएं इसी लाइन पर चल कर अपनी जमीन तलाश करने के प्रयास में है) के ग्रुप ने मचा रखी है (ऐसा लगता है की लेखक समुदाय को प्रोपेगंडा फैलाने के अवसर की तलाश थी और उन्हें वो मिल गया) उससे लगता है की जैसे यूनिवर्स की समाप्ति की राह पर चल पड़ा हो ।
इस वक्त दो विशेष प्रोपेगंडा फैलाने का प्रयास चल रहा है जिसमे से पहला है एक पुरुष द्वारा एक महिला पर हुआ अत्याचार ।  और दूसरा प्रोपेगंडा है एक मुस्लिम द्वारा हिंदू महिला पर अत्याचार या जिसे चंद लोग जिहाद का नाम भी दे रहे है ।
जहां तक पुरुष द्वारा महिला पर अत्याचार का मामला है तो साहब यहां पर प्रोपेगंडा मास्टरों ने एक अन्य घटना को पूरी तरह इग्नोर कर दिया जहां पर एक प्रीति शर्मा नामक महिला ने अपने लाइव इन पार्टनर को गला काट कर हत्या कर दी और फिर उसकी लाश ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस में भर कर चल पड़ी रेलवे स्टेशन जहां पर पकड़ी गई । अब क्योंकि यहां एक महिला के द्वारा हत्या की गई और लाश ठिकाने लगाने के प्रयास में पकड़ी गई लिहाजा प्रोपेगंडा नहीं बनता और लेखक समुदाय आंखें बंद करके आफताब की तरफ देखने में व्यस्त है ।
अब दूसरा मामला है एक मुस्लिम द्वारा हिंदू पर अत्याचार तो यहां भी प्रीति शर्मा को इग्नोर किया जाना स्वाभाविक है क्योंकि एक हिंदू महिला ने मुस्लिम पुरुष की हत्या की है लिहाजा एक बार फिर प्रोपेगंडा में चमक नहीं आती । और जहां चमक न हो वहां लेखक समुदाय आंखें बंद किए सोए होने का दिखावा करने की पुरानी आदत पर ही चलेगा ।
वैसे जहां तक आफताब की बात है तो इसका धर्म अभी तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि बैल पिटीशन में उसने अपना धर्म पारसी बताया है (मेरी बेहतरीन जानकारी के मुताबिक) । तो लगता है की रिकॉर्ड्स के मुताबिक आफताब मुस्लिम नहीं बल्कि पारसी है (आफताब नाम पारसियों में भी कॉमन है) । इसके साथ ही ऐसी खबर भी है की किसी इंस्टाग्राम में आफताब खुद को मुस्लिम बता रहा है, वैसे तो सोशल मीडिया अपने आप में ही नकली दुनिया है तो ऐसे में संभव है इंस्टाग्राम वीडियो में जो कहा गया वो किसी एक्टिंग का हिस्सा हो परंतु यह भी संभव है की आफताब ने अपना धर्म बदल लिया हो । या यह भी संभव है की आफताब मुस्लिम ही हो ।
चाहे जो हो परंतु जो स्पष्ट दिखाई देता है वो यह है की जितने पुरुष अपराधी है उतनी ही महिला अपराधी भी है, जितने मुस्लिम अपराधी है उतने ही हिंदू अपराधी भी है परंतु वर्तमान लेखक समुदाय समाज को आइना नहीं दिखाकर अपने प्रोपेगंडा फैलाने में व्यस्त है । वर्तमान पीढ़ी लेखकों से वैसे तो दूर ही है परंतु आवश्यक है की सभी जीवित लेखकों का ऑफिशियल बॉयकॉट किया जाए ।
मैं यानी की समाज का एक सामान्य नागरिक, समाज की भलाई के लिए प्रण करता हूं की आज के बाद भारत की किसी जीवित लेखक अथवा लेखिका की कोई किताब खरीद कर पड़ने से पूरी परहेज करूंगा, यदि पायरेटेड (बॉयकॉट से बड़ा नुकसान) कहीं मिले तो रुचि अनुसार पडूंगा भी 😁😁😁