।।रावण संवाद सिफ वन हेल्पलाइन पर ।।
जी हा मैं रावण! श्री राम से बैर लेने वाला वही रावण,
श्री राम के पुरुषार्थ के दर्शन का सौभाग्य पाने वाला रावण,
स्रुपनखा के रचे छल में घिर जाने वाला रावण,
दैवी सीता के अपहरण का दुस्साहस करने वाला रावण,
कदाचित अपने कीर्ति और यश में चूर रावण,
कायरता नहीं अपितु साहस प्रदर्शन करने वाला रावण,
इस युग में नहीं अपितु उस युग में जन्म लेने वाला रावण,
अपने वंश को मोक्ष प्राप्त कराने वाला वही रावण।।
जी हा मैं रावण! आज के आधुनिक युग के पुरुष कि दुर्दशा देख चिंतित हूं,
पुरुष को पारिवारिक दायतीव में पिसता देख आश्चर्यचकित हूं,
पुरुष को पारिवारिक सुख एवं अपनत्व से वंचित देख दुखी हूं,
पल में स्वावलंबी और पल में अबला बनती नारी के पाखंड स्वरूप देख लज्जित हूं,
आधुनिक युग के सैकड़ों स्रुपनखा के माया जाल एवं छल कि रचना का साक्षी हूं,
जेल बेल एवं झूठे मुकदमों में पुरुष को घिरता देख अचंभित हूं,
दृढ़ता को दर किनारे कर पुरुषों के बिलबिलाते रवैया देख क्रोधित हूं,
लक्ष्मण का पुरुषार्थ त्याग कर पुरुषों के आत्मदाह करने पर हताश हूं।।
जी हा मैं रावण! पुरुष को परिश्रम नहीं अपितु आलस्य में घिरा देख चकित हूं,
कुंभकरण जैसे आज्ञाकारी भाई से वंचित पुरषों का मनोबल गिरता देख कष्टप्रद हूं,
स्रुपनखा के छल में घिरकर पुरुष को पुरुष से लड़ता देख आश्चर्यचकित हूं,
पुरुषों द्वारा सैकड़ों स्रुपनखा को प्रोत्साहन देता देख आहत हूं,
सैकड़ों स्रुपनखा को कानूनी एवं सामाजिक संग्रषण देता देख क्रोधित हूं,
पुरुषों के अधिकार के लिए कोई आयोग ना होता देख हताश हूं।
जी हा मैं रावण! कहा जाऊ किसे बताऊ अपनी यह पीड़ा,
निराश किन्तु पराजित नहीं, आहत किन्तु पस्त नहीं हूं,
पुरुषो के अधिकार की हुंकार सुनकर आश्वस्त हूं,
सेव इंडिया फैमिली मूवमेंट के रचना देख उत्साहित हूं,
भारत के जाने माने पार्क में पुरुषों का संगठन देख निश्चिंत हूं,
प्रत्येक सप्ताह वीकली मीटिंग देख मुग्ध हूं,
पुरुषों को सही राह सही सलाह सुन प्रशंसाचित हूं,
पुरुषों के साहस बढ़ता, जिवन में दृढ़ता देख गर्वित हूं
और अपनी निर्दोषता प्रमाण करने का संकल्प देख संतुष्ट हूं।।
जी हा मैं रावण! निसंकोज ये कथन है मेरी,
है पुरुषोत्म! तुम्हारे लिए अब ना और राम आएंगे, तुम्हारा युद्ध तुम्हे स्वयं दृढ़ता से लड़ना होगा,
उस युग में सत्य विजेता था आज के युग में भी सत्य विजेता रहेगा,
पुरुषोत्म तुम पहले भी अधर्म पर विजय थे और आज भी तुम्हारे पुरुषार्थ कि विजय होगी,
है पुरूष! तुम्हे आत्महत्या कि भावना को दर किनार कर,
तुम्हे जीवन जीना होगा! तुम्हे आगे बढ़ना होगा! तुम्हे विजय प्राप्त करना होगा,
हे पुरुष तुम्हे अपने अंदर के रावण का वध कर तुम्हे विजय प्राप्त करना होगा।।
तुम्हे विजय होना होगा!
तुम्हे विजय होना होगा!
जी हा मैं रावण! जागरूक पुरुषों कि सेना देख भविष्य के प्रति निश्चिंत हूं,
इस निश्चिंतता के साथ आज्ञा चाहता हूं,
फिर मुलाकात के लिए उत्साहित हूं।।
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मेन्स हेल्पलाइन 8882 498 498 पर फोन कर संबोधित करते रावण।
अभय भरूंट