मुर्दा जिस्म
जंगल के बीचोबीच एक मुर्दा जिस्म पर हजारों या शायद लाखों मक्खियां भिनभिनाते हुए कभी यहां और कभी वहां उछल कूद मचाए हुए थी । एक मक्खी जिसके घर के बाहर नेम प्लेट पर छेदी लिखा था हिम्मत जुटा कर मुर्दा जिस्म की गुलामी से दूर निकल आई ।
उसने अपना नया ठिकाना बनाया एक अन्य मुर्दा जिस्म और घर के बाहर नेम प्लेट पर लिखा गड्ढा । स्वभाव से खोजी गड्ढा अधिक दिन यहां भी गुलामी में न सकी और एक बार फिर उड़ चली नए घर की तलाश में ।
एक बार फिर नया घर बनाया एक अन्य मुर्दा जिस्म पर और घर के बाहर नेम प्लेट पर लिखा सुराख । आजादी के दीवाने अक्सर गुलामी से जल्दी ऊब जाते है लिहाजा सुराख को भी मुर्दा जिस्म की गुलामी रोक नहीं पाई और एक बार फिर सुराख सब जंजीरों को तोड़ कर उड़ चली ।
नए घर के बाहर नेम प्लेट पर लिखा होल । सब सुखद था परंतु ठिकाना तो मुर्दा जिस्म ही था , कैसा रहा जा सकता था वहां पर ? होल के लिए वहां रहना संभव ही नहीं था लिहाजा उसे एक बार फिर अपने पर तोले और उड़ान भरी ।
पहले मुर्दा जिस्म पर मंडराने वाली मैनेजर मक्खी भी इस बार उसके साथ साथ उड़ रही थी । मैनेजर मक्खी जंजीरों को तोड़ कर नहीं आई थी बल्कि जंजीरों को नए सिरे से कस कर बांधने के इरादे से आई थी । उसके पास थी कई नई कहानियां और किस्से पहले मुर्दा जिस्म को चमत्कारी साबित करने के लिए और साथ में थी नई जंजीरें हर रंग की चमचमाती जंजीरें ।
मैनेजर मक्खी को नई कहानियां और नई जंजीरों के रंग पर पूरा यकीन था । वो पहले भी हजारों आजाद हो चुकी होल को दुबारा छेदी बना चुकी थी ।
होल डांवाडोल था परंतु उसमे आजादी के प्रति प्रेम कुछ अधिक ही था । होल डांवाडोल था परंतु उसका जनून उसके लिए गाइड का काम कर सकने में सक्षम था । एक बार फिर होल ने नया घर बनाया एक पुष्प पर और नेम प्लेट लगाई पुष्पराज ।
मैनेजर मक्खी इस बार नाकाम अवश्य हुई परंतु निराश नहीं क्योंकि उसे यकीन था अपनी नई नई कहानियां जो मुर्दा जिस्म को चमत्कारी साबित करके हजारों होल को दुबारा बहका सकती थी और उन्हें छेदी बना सकने में सक्षम थी ।