इशारे और ठहाके

Please Share :
Pin Share

वो चला जा रहा था अपनी मंजिल की तरफ गुनगुनाते हुए । अचानक सड़क किनारे से किसी ने उसे इशारे से कुछ बताने का प्रयास किया । उसने ध्यान नहीं दिया । इशारे लगातार कुछ प्रयास करते रहे । आखिर उसने उन्हें पागल व्यक्ति के पागल इशारे मानकर फिर से गुनगुनाना आरम्भ कर दिया । इशारे अब भी उसे कुछ बताने का प्रयास कर रहे थे और वो अपनी मस्ती में सबको इग्नोर करते हुए आगे बढ़ता रहा । अब इशारों की बजाए उसे चिल्ला चिल्ला कर बताया जाने लगा । वो अब भी उसे पागल की प्रलाप मानते हुए आगे बढ़ता गया ।

अचानक उसका पैर किसी चीज़ से टकराया और वो गिर पड़ा । अब वहां ना तो इशारे थे ना चिल्ला कर बताने का प्रयास अगर कुछ था तो ठहाके । ठहाके उसे उठने और अपने दर्द को भुलाने का संदेश देते महसूस हुए । वो उठा और एक तरफ की दीवार पर बैठ गया ताकि अगले मुसाफिर को सावधान कर सके और अंत में उन के साथ ठहाके लगा सके ।