01 – हंगामा

Please Share :
Pin Share

01 – हंगामा

 

सुबह से ही घर के बाहर हंगामा हो रहा था । एक बार बाहर निकल कर देखा भी परंतु ऐसा कुछ नहीं था जिसमे मेरी दिलचस्पी हो बस इसीलिए काफी लेकर टीवी के सामने आसन्न जमा लिया ।

जब काफी देर तक हंगामा बंद नहीं हुआ और डिस्टर्बेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया तब मजबूरन कुत्ते को जंजीरी खोलनी पड़ गई और बस फिर हंगामा दूर होता चला गया । हंगामा सिर्फ दूर हुआ है खत्म नहीं, अब इंतजार है पुलिस के आने का ।

वैसे तो हंगामा बिना वजह ही हो रहा था परंतु यह जिंदगी के मेरे किनारे की बात है दूसरे किनारे के लिए यह बात सही नहीं है । दूसरे किनारे के लोग मुझे दोषी ठहराने के लिए हर हथियार इस्तेमाल कर रहे है और आगे भी करेंगे इसमें कोई शक नहीं । वैसे आज का हंगामा नया नहीं है ।

असली किस्सा तो वैसे शुरू हुआ था तकरीबन एक साल पहले जब मेरी उससे मगनी हुई थी । शादी इस साल होनी थी । एक दिन होने वाले ससुर के घर पर बहुत हंगामा हुआ , इतना हंगामा की मुझे जाना पड़ा । पता चला की होने वाले ससुर की लड़की वैश्या बनाना चाहती है । होने वाले ससुर आग बबूला हो रहे थे । मुझे भि अजीब लगा परंतु उसका फैसला था तो ऐसे में दखल देना उचित नहीं था । लिहाजा उसके फैसले का सम्मान करते हुए मैने ससुर को कह दिया करने दो जो करना चाहती है । होने वाले ससुर ने मुझे घूर कर देखा और फिर शांत हो गए । वो हाई प्रोफाइल वैश्या बन गई ।

कल शाम होने वाले ससुर आए थे शादी की तारीख तय करने । मेरा इंकार सुनकर उखड़ गए बस इसीलिए आज दोनो बाप बेटी सुबह सुबह आकार हंगामा कर रहे थे ।

हंगामे का अंदेशा पहले से ही था क्योंकि पता है उसे दूसरे के फैसले का सम्मान करना सिखाया ही नहीं गया । मेरा जवाब स्पष्ट है उसके फैसले का सम्मान मैने कर दिया उसे भी मेरे फैसले का सम्मान करना चाहिए , परंतु सुनेगा कौन ?

हंगामा फिर होगा, पुलिस भी आयेगी, पेपर मेरे खिलाफ बहुत कुछ छापेंगे, दहेज , डोमेस्टिक वायलेंस, रेप के आरोप भी लगेंगे परंतु आखिर में उसे यह मानना ही होगा की जो फैसला किसी और का अधिकार है उसमे उसका कोई दखल स्वीकार नहीं किया जा सकता ।

वैश्या बनाना या नहीं बनाना उसका अधिकार है, वैश्या से किसी किस्म का संबंध रखना या नहीं रखना मेरा और सिर्फ मेरा अधिकार है ।