दिवाला
आज सुबह सुबह रश्मि का आना आश्चर्यजनक था । उसका आना तो सामान्य है बस सुबह सुबह आना आश्चर्यजनक था । फिर भी उसकी शादी का कार्ड देखकर आश्चर्य खत्म होने के साथ साथ खुशी भी महसूस हुई ।
खेर शादी के कार्ड में देखने लायक अगर कुछ होता है तो बस जगह और टाइम बाकी डिटेल में मेरी कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही । अब शादी किससे हो रही कौन कौन जलूल जलूल आना लिख रहा यह सब मेरी नजर में फिजूल है । आखिर मुझे क्या लेना देना रश्मि की होने वाले पति की डिटेल से ।
जैसे हर शादी में जाना शगुन देना और खा पी कर वापिस आ जाना मेरा रुटीन बन गया है उसी हिसाब से उस दिन भी विवाह स्थल पर सही समय यानी की तकरीबन एक घंटा लेट पहुंचा। रुटीन इस बार टूटने जा रहा था वहां जोर का झटका जोर से लगने की तैयारी थी ।
लगा भी जोर से जब देखा कि स्टेज पर अकेली रश्मि सजी धजी विराजमान है । अकेली और कोई नहीं । काफी देर इंतजार किया ताकि पति महाशय भी आ जाए तो शगुन देकर निकल लिया जाए । इंतजार जब हद से गुजर गया तो सोचा कि चलो रश्मि को ही शगुन का लिफाफा पकड़ा कर निकल लिया जाए । धीरे धीरे स्टेज की तरफ कदम बढ़ाए तो खुसुर फुसर सुनाई देने लगी । हालाकि मेरी दिलचस्पी खुसर फुसर में कभी नहीं रही फिर भी इस बार ध्यान देने से रोक नहीं पाया और कान खड़े करके सुनने का प्रयास जारी रखा ।
पता चला की फेरे भी रश्मि ने अकेले ही लिए वहां भी कोई पति नामक प्राणी मोजूद नहीं था । दिमाग खराब हो गया सुन कर इसीलिए सोचा कि छोड़ो इस खुसर फुसर को सीधे रश्मि ने हो पूछ लिया जाए संभव है पति ने कतार या पेन या शायद टाई भिजवाई हो जिसे लोगो ने देखा नहीं हो । खेर रश्मि ही बताएगी सही बात ।
रश्मि से पता चला की उसने एकल शादी की है यानी की खुद ही खुद से शादी की । रश्मि पूछ रही थी की अजीब लग रहा है क्या ?
मैने भी कह दिया की अजीब नहीं बस दिमाग का दिवाला निकल गया लगता है । अगर किसी कुत्ते बिल्ली या किसी रोबोट से भी शादी की होती तो समझा जा सकता है परंतु खुद ही खुद से शादी का कोई अर्थ नहीं निकलता । सिर्फ शादीशुदा कहलाने के लिए खुद से शादी कर लेना इस बात की निशानी है की शादी की जरूरत नहीं है बस शादीशुदा कहलाने का भूत सिर पर चढ़ा हुआ है ।
अब रश्मि की मुझसे बोलचाल बन्द है । वैसे ठीक भी है उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए आखिर हनीमून चल रहा है । बाद का बाद में देखेंगे अभी से दिमाग का दिवाला क्यों निकाला जाए ।