वैज्ञानिक 03
हर व्यक्ति की जिंदगी में जितने हंसी के पल है उतने ही गमी के भी है । इसका कोई अपवाद नहीं ना मैं और ना ही रोमी। परंतु अक्सर जब रोमी से मुलाकात होती तब वो पल ना हंसी के होते ना गमी के वो पल होते शुद्ध विज्ञान के । वक्त ही एक ही पहचान है की वो बदल जाता है एक सा नहीं रहता ।
अब रोमी से जब मुलाकात होती अक्सर वो कुछ परेशान और उदास सा दिखता । काफी पूछने पर उसने बताया कि वो पिछले दो सालों से सपने देख रहा है । सपने सभी देखते है परंतु रोमी के सपने सच हो रहे थे ।
वैसे तो सपने का सच होना या नहीं होना विशेष मायने नहीं रखता परंतु डे टू डे लाइफ इससे प्रभावित हो सकती है । जैसे की यदि सपने में कोई दुर्घटना होती दिखे और यकीन हो की सपने सच हो रहे है तो पूरा दिन दुर्घटना की स्ट्रेस के साथ गुजरेगा ।
ऐसा ही रोमी के साथ हो रहा था उसे सपने आ रहे थे और सपने सच भी हो रहे थे। सच होते सपनो के कारण रोमी लगातार स्ट्रेस में था । लंबे समय से चला आ रहा स्ट्रेस अब उसके चेहरे और व्यवहार से झलकने लगा था ।
इसीलिए मैंने उससे कारण पूछा तो वो अपने हालात विस्तार से बताने लगा । कहना मुश्किल है की उस वक्त रोमी के लिए प्रसन्न था अथवा अप्रसन्न परंतु इतना अवश्य कह सकता हूं की जो भी भावना थी प्रसन्नता के अधिक नजदीक थी ।
ऐसा नहीं है की रोमी के हालात पर प्रसन्न था परंतु रोमी के सामने एक ऐसी परिस्थिति थी जिसे अनसुलझे रहस्य कहना अधिक उचित होगा । विज्ञान वास्तव में अनसुलझे रहस्य को सुलझाने का नाम ही है । ऐसे में रोमी नाम के वैज्ञानिक को अब विज्ञान का सहारा लेना ही लेना था । बस यही मेरी हल्की सी प्रसन्नता का राज था ।
एक बार फिर रोमी ने मुझे निराश किया मैं उससे अनसुलझे रहस्य को सुलझाने का प्रयास करते देखना चाहता था और वो मुझे भूत भगाने वाले ताबीज जिसे उसने गले में डाल रखा था और उस ताबीज देने वाले बाबा के बारे में बता रहा था ।
मैं जिंदगी भर अनसुलझे रहस्य की तलाश में भटकता रहा और वैज्ञानिक रहस्य को सामने पाकर भी उसे भूत कहकर दूर भागता रहा ।