02.रंग बिरंगे लोग

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02.रंग बिरंगे लोग

मृत्यु अपने आप में एक मजेदार शब्द है । इसे सुनते ही अक्सर लोग विचलित दिखाई देते है परंतु इसके कई अपवाद भी है । वैसे अपवाद कहना सही नहीं है क्योंकि जिन लोगो ने मृत्यु को सहज स्वीकार किया उनकी संख्या वर्तमान में बेशक नगण्य हो परंतु गुजरे कल में बहुत अधिक है । इतने उद्धरण है की शायद गिनते गिनते कई वर्ष गुजर जाएं इसीलिए अपवाद कहना सही नहीं होगा ।

मृत्यु की तैयारी करने का अर्थ यह नहीं है की वसीयत या अन्य कार्य कर लिए जाए । इसका अर्थ सिर्फ इतना है की मृत्यु को सहज स्वीकार किया जाए । वैसे वसीयत तैयार करने का अर्थ है को इस तरफ एक कदम बढ़ा दिया गया ।

वसीयत सिर्फ इसीलिए नहीं को जानी चाहिए क्योंकि करनी है बल्कि इसे करने वाले के व्यक्तित्व का प्रतिनिधि होना चाहिए । कुछ ऐसे लोग मेरी जानकारी में है इस कसोटी पर खरे उतर सके है परंतु अधिकांश लोगों के लिए वसीयत सिर्फ प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का साधन मात्र है । कुछ ऐसे लोग जिनको मैं व्यक्तिगत तौर पर जनता हूं उनके बारे में बात करने की अपेक्षा क्यों न कुछ ऐसे उद्धरण चुने जाए जो साहित्य में या ओपन फॉर्म पर उपलब्ध है । वसीयत को लेकर कई मजेदार किस्से मशहूर है ।

एक साहब की मृत्यु हुई उस वक्त उनके पास करोड़ो या संभव है अरबों की व्यक्तिगत प्रॉपर्टी थी और रिश्तेदार के नाम पर सिर्फ पत्नी । पति पत्नी का संबंध अच्छा ही था बस कुछ मुद्दों को छोड़ कर । साहब सोशल ड्रिंकर थे हर रोज 2 या 3 पेग लिया करते थे । जब शादी की तो पत्नी को शराब से नफरत थी लिहाजा जालिम पत्नी ने साहब के पीने पर पाबंदी लगा दी । बदला लिया साहब ने वसीयत के जरिए । स्पष्ट वसीयत कर दी की पत्नी प्रॉपर्टी की वारिस तभी बन सकती है जब वो हर रोज 2 से 3 पेग ले ना कम न ज्यादा ।

एक अन्य साहब हुए जिन्होंने अपने आखिरीं 2000 डॉलर मोहल्ले के बार को दिए ताकि वो मोहल्ले के जवानों को हर रोज एक पेग पीला सके जब तक की 2000 डॉलर खतम नहीं हो जाते ।

वैसे सिर्फ शराबी ही नहीं कुछ अन्य लोग भी इस कड़ी में शामिल हैं।

हमारे यहां शव को जलाने की परंपरा है परंतु कई धर्मो में दफनाया जाता है और स्टोन लगा दिया जाता है । ऐसे ही एक साहब ने वसीयत की और बताया की उनकी मृत्यु के बाद उनकी संपति में से 50000 डॉलर स्टोन खरीदने पर खर्च किए जाए । पत्नी शायद अधिक व्यावहारिक थी या लालची थी उसे 50000 डॉलर स्टोन खरीदने पर खर्च करना व्यर्थ लगा लेकिन वसीयत तो पूरी करनी थी लिहाजा पत्नी ने स्टोन (डायमंड) खरीदा और अपने गले में पहन कर वसीयत की शर्त पूरी कर दी ।

एक साहब अपनी तारीफ या दूसरो को अपना परिचय देकर प्रसन्न होने थे लिहाजा उन्होंने वसीयत कर दी उनका मकान पत्नी को मिले और उसके ड्राइंग रूम में उनकी तस्वीर लगाई जाए एवम हर आनेवाले को उनका परिचय दिया जाए । पत्नी ने तुरंत अपने देवर से शादी की ड्राइंग रूम में साहब का फोटो लगाया और परिचय यह हमारे स्वर्गीय जेठ है ।

वसीयत के बहुत किस्से मशहूर है इसका कोई अंत नहीं और शायद मेरी अपनी वसीयत भी कहीं न कहीं ऐसे ही किस्सों से प्रेरित कहीं जा सकती है ।

अपने जीजा को कैंसर से लड़ते और उनकी मृत्यु को देखते हुए मेरा निजी विचार इतना ही बन सका है की यदि कभी मुझे ज्ञात हुआ को मुझे कैंसर है तो शायद मैं कीमो या ऐसे किसी इलाज करवाते हुए कुछ साल जिंदा रहने की अपेक्षा स्वस्थ रहते हुए चंद महीने की जिंदगी का चुनाव करूंगा ।