उलझन

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उलझन

 

युवा महिला मंच की प्रधान होने के नाते भाषण देना उसके लिए रोजमर्या की बात थी । किसी मंच पर भाषण देते वक्त ना तो उसे झिझक होती थी और ना ही दुविधा ।

परंतु आज वो दुविधा में थी और उसे कई साल पहले दिया अपना भाषण रह रह कर याद आ रहा था ।

कई वर्ष पहले उसने पुरुषों द्वारा कई विवाह करने के विरोध में जोरदार भाषण दिया था । उसने पूरी तैयारी की थी । जहां तक उसके पास उपलब्ध आंकड़े थे यही दिखता था कि महिला और पुरुष आबादी लगभग एक जैसी ही थी ।

ऐसे में पुरुष एक से अधिक विवाह कैसे कर सकते थे ?

उसका मानना था कि बहुत पहले जब युद्ध और युद्ध में पुरुषों का मारे जाने उतना ही सामान्य था जितना कि सांस लेना उस वक़्त हो सकता है कि महिला आबादी पुरुष आबादी से बहुत अधिक दो गुना या चार गुना हो गयी हो और पुरुष कई विवाह करते रहे हों ।

वैसे उसके पास एक और थ्योरी भी थी परंतु उसे स्वीकार करना उसे पसंद नहीं था । उसके पास दूसरी थ्योरी को गलत साबित करने के लिए कोई तर्क नहीं था बस उसे यह थ्योरी पसंद नहीं थी बस इसीलिए स्वीकार भी नहीं थी । उसे लगता था कि समाज के अमीर लोग (1% से 5%) एक से अधिक विवाह करते हो । हालांकि उसे यह तर्क पसंद नहीं था क्योंकि इसमे दो समस्याएं थी । पहली समस्या थी कि ऐसे लोग बहुत कम थे और दूसरी समस्या यह थी कि महिलाओं की वरीयता गरीब की पहली पत्नी बनाने की अपेक्षा अमीर की दूसरी या तीसरी या चौथी पत्नी बनाने में थी । उसे यह तर्क पसंद नहीं था इसीलिए इसे नकार देने के लिए उसने तर्क सोच लिए थे ।

चाहे जो हो उसे आपत्ति थी घोर आपत्ति पुरुषों द्वारा कई विवाह करने पर , और उसने मंच पर पूरे जोर शोर से आवाज़ उठाई थी ।

वो बहुत भाग्यशालिनी थी कि उस दिन किसी ने उसके भाषण पर कोई आपत्ति नहीं कि और ना ही किसी ने उसे आंकड़े पेश करके चेलेंज किया , बल्कि लोगों ने ताली बजा कर उसका उत्साह वर्धन किया । उस दिल उसे अहसास हुआ कि सामने खड़ी भीड़ मूर्खों का एक बड़ा झुंड मात्र है । आगे की ज़िंदगी में उसका यही मूल मंत्र रहा ।

आज कई वर्ष बाद एक बार फिर उसे अपने शहर के उसी मंच पर भाषण देना था । आज का विषय उसे थोड़ी उलझन में डाल रहा था , आज उसे महिलाओं द्वारा कई संबंध रखने के पक्ष में भाषण देना था । उसने आज एक बार फिर कुछ तर्क तलाश कर लिए थे ।

आज एक बार फिर वो बहुत भाग्यशाली रही क्योंकि आज भी भीड़ में कोई समझदार नहीं था । किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई । जैसे कई वर्ष पहले लोगो ने मान लिया था कि पुरुषों को कई संबंध नहीं रखने चाहिए , ठीक वैसे ही आज लोगों ने मान लिया कि महिलाओं को कई संबंध रखने चाहिए ।