माफी

Please Share :
Pin Share

माफी

डोल्फी अभी कॉलेज के आखिरी चरण में थी । कुछ महीनों बाद उसका कॉलेज खत्म हो जाने वाला था और फिर उसे भी बाकी स्टूडेंट्स की तरह एक अच्छी नौकरी की तलाश करनी थी ।

डोल्फी के सपने बाकियों से कुछ अलग थे वो लेखक बनाना चाहती थी । हज़ारों असफल लेखक जैसे उसके उत्साह को खत्म किये दे रहे थे । शायद यही कारण था कि उसे आगे बढ़ने का रास्ता समझ नहीं आ रहा था ।

फिर एक दिन उसके दिमाग ने एक आईडिया क्लिक किया जिसने उसके जोश को कई गुना बढ़ा दिया और डोल्फी अपनी किताब पर पूरे जोर शोर से काम करने लगी । पूरे तीन महीने की भाग दौड़ के बाद किताब पूरी हो सकी । छपवाने में और एक महीना गुजर गया ।

आखिर किताब के विमोचन का समय आ ही गया और किताब खरीदने वालों की लाइन लग गयी । एक नई लेखिका की पहली किताब के लिए लोगो की भीड़ आश्चर्यजनक थी । किताब बेस्ट सेलर साबित हुई और लगातार लंबे समय तक डिमांड में बनी रही । एक किताब की सफलता ने डोल्फी को ना केवल लेखक के रूप में स्थापित किया बल्कि उसे अमीर लेखकों की श्रेणी में भी ला खड़ा किया ।

डोल्फी ने इस एक किताब की श्रंखला में कई किताबें निकली ।

एक अनजान नई लेखिका की पहली किताब के लिए भीड़ यूं ही नहीं आ गयी थी इसके लिए डोल्फी ने ट्विटर पर घोषणा की थी कि वो किताब उसके अपने जीवन के अनुभवों का नाट्य रूपांतरण है । डोल्फी की एक भावुक अपील भीड़ को बुक स्टोर पर खींच लाई ।

सोलह साल बाद आज एक बार फिर डोल्फी ट्विटर पर घोषणा करने जा रही थी । इस बार उसे माफी मांगनी थी । सोलह साल पहले डोल्फी ने ट्विटर पर घोषणा की थी कि उसके प्रोफेसर ने उसका रेप किया और उसी घटना पर यह किताब लिखी गयी है । प्रोफेसर साहब ने सोलह साल जेल की सलाखों के पीछे गुजरे और पिछली शाम ही बाइज्जत बरी होकर आए थे ।

जज साहब अपने क्षेत्र के बहुत माने हुए जज थे और अपनी न्यायप्रिय के लिए जाने जाते थे । वो प्रोफेसर साहब को बरी करते वक़्त ही असली मुजरिम को सख्त से सख्त सजा सुनाने का हिंट दे चुके थे ।

एक बार फिर डोल्फी ने ट्विटर के इस्तेमाल किया और इस बार एक छोटी सी माफी वाला ट्वीट उड़ चला लोगो के दिलों दिमाग पर काबिज होने ।

रात भर में ही माहौल बदल चुका था । अब एक बार फिर डोल्फी जज साहब के दिल को छू रही थी । जज साहब की नज़र में माफी मांगने के लिए बहादुर होना जरूरी था इसीलिए अब डोल्फी ली किसी सज़ा की आवश्यकता नहीं थी ।

मीडिया डोल्फी की बहादुरी और जज साहब के न्याय और दरियादिली का गुणगान कर रहा था ठीक उसी वक़्त प्रोफेसर साहब अपने बेडरूम में अकेले थे और उनकी नज़र अपने अलमीरा की तरफ बार बार जा रही थी । जहां एक जहर की शीशी के बगल में एक रिवाल्वर भी मौजूद था ।

कानून स्पस्ट तोर पर बता चुका था कि उसके पास प्रोफेसर साहब के लिए कोई न्याय नहीं है ।

नोट : अमेरिका कोर्ट में चले एक मुकदमे का नाट्य रूपांतरण ।