006. एक था गुरु – एल्बम
बाहरी कमरे के साथ साथ बैडरूम के सभी रैक से किताबें गायब थी परंतु अभी भी वहां छोटा मोटा कुछ सामान बेतरतीब सा रखा हुआ था । थोड़ा ध्यान देने पर एक कोने में रखे हुए दो छोटे छोटे एल्बम ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया ।
हर घर में एल्बम देखे जा सकते है । एल्बम देखकर अक्सर लोग उठा कर देखना आरम्भ कर देते है । इंतज़ार करते हुए एल्बम टाइम पास करने का अच्छा साधन हो सकता है । परंतु यहां पर रखे हुए एल्बम देखकर एक बार तो तबियत हुई जोरदार ठहाका लगाकर हँसने की परंतु सिर्फ मुस्कुराकर रह गया और कदम खुद बखुद ही एल्बम की तरफ बढ़ गए । दोनो एल्बम के साथ साथ बगल में रखा हुआ टेबलेट भी उठा कर देखना शुरू कर दिया ।
संभव है कि दोनों एल्बम गुरु ने अभी यहाँ रखे हो या यह भी संभव है कि दोनों एल्बम बहुत पहले से यहां हो परंतु किताबों के ढेर में दिखाई ना दिए हो । चाहे जो हो मैन यहां इस जगह पर फ़ोटो एल्बम के दिखाई देने की अपेक्षा बिल्कुल नहीं कि थी ।
बहुत पुरानी बात है जब गुरु पहली बार मुझे पिक करने मेरे घर पर आया था । जिस वक्त गुरु की गाड़ी मेरे घर के सामने रुकी मैं अभी नहाने की सोच ही रह था । हालांकि गुरु ठीक वक़्त पर आया था ऐसा भी नहीं है कि मैंने देरी कर दी हो । मैन इस उम्मीद से गुरु को टाइम दिया था कि वो देरी कर ही देगा परंतु गुरु सही टाइम पर आ गया । लिहाज जब गुरु की कार मेरे गेट पर आकर रुकी तब मैंने तैयार होना शुरू भी नहीं किया था । कुछ बहाना सा बना कर गुरु को ड्राइंग रूम में बैठाया और खुद नहाने के लिए बाथरूम में चला गया । बाथरूम में जाने से पहले गुरु के हाथ में एक मोटी सी एल्बम पकड़ा दी जिससे कि उसका टाइम अच्छे से व्यतीत हो जाये ।
वापिस आकर देखा तो एल्बम एक तरफ उपेक्षित सी पड़ी थी और गुरु दीवारों और छत को देख रहा था । तुरंत ही एक और मोटी सी एल्बम गुरु के हाथ में पकड़ा दी और कपड़े बदलने के लिए एक बार फिर दूसरे कमरे में चला गया । लगभग 10 मिनट बाद देखा कि दूसरी एल्बम भी उपेक्षित सी एक तरफ पड़ी थी और गुरु एक बार फिर दीवारों को घूर रहा था ।
तीसरी एल्बम पकड़ा कर एक बार फिर विदा ली और वापिस आकर देखा तो तीसरी एल्बम भी उपेक्षित सी एक तरफ पढ़ी थी ।
उसी दिन मेरी धारणा बन गयी कि गुरु को फ़ोटो एल्बम या फोटोग्राफी पसंद नहीं है । संभव है फ़ोटो एल्बम गुरु को बोर कर देते हो । इसीलिए जब गुरु के ड्राइंग रूम में एल्बम दिखाई दी तो मुस्कुराए बगैर नहीं रहा गया और एल्बम का रहस्य जानने के लिए दोनो एलबम और टेबलेट उठा बैठा ।
दोनो एल्बम काफी पुराने थे और किसी हिल स्टेशन के थे । पहली फोटी देख कर ही जगह का नाम जाना जा सकता था । दोनो एल्बम हिल स्टेशन के नज़ारों से भरे हुए थे । टेबलेट भी कुछ ऐसा ही था । टेबलेट में भी बहुत सारे फोटोग्राफ थे । सभी फोटोग्राफ नेचुरल ब्यूटी का नमूना कहे जा सकते थे ।
गुरु का फोटो ना तो किसी एल्बम में मिला और ना ही टेबलेट में । यहाँ तक कि गुरु के पारिवारिक सदस्यों के फोटो भी गायब थे । एल्बम और टेबलेट में कई जगह कई लोगों के फोटो मौजूद थे परंतु सब अनजान लोगों के और नेचुरल ब्यूटी से संबंधित ही थे । किसी परिचित के फोटो नहीं दिखाई दिए ।
शायद सारे फ़ोटो गुरु ने स्वयं ही खिंचे थे । कम से कम फ़ोटो देख कर कहा जा सकता था कि फ़ोटो किसी एक्सपर्ट द्वारा नहीं खिंचे गए बल्कि किसी साधारण फोटोग्राफर द्वारा शोकियां तौर पर खिंचे गए है ।
गुरु से पुछने पर पता चला कि वो सारे फ़ोटो गुरु ने ही खिंचे थे और हिल स्टेशन पर वो अपने परिवार के साथ गया था और सबके फ़ोटो भी खिंचे गए थे परंतु धुलवा कर जिसके फ़ोटो थे उनको दे दिए गए एल्बम में सिर्फ वही फ़ोटो जगह पा सके जो यादगार होने योग्य थे ।
एक बार तो बात समझ नहीं आयी कि आखिर पारिवारिक सदस्यों के फोटो एल्बम में क्यों नहीं थे । काफी देर तक बातचीत के बाद पता चला कि वो लोग हिल स्टेशन पर नेचुरल ब्यूटी देखने गए थे और उसी नेचुरल ब्यूटी के समेट कर एल्बम का रूप दिया गया । जहां कहीं पारिवारिक सदस्य फोकस में रहे वहां नेचुरल ब्यूटी तो गायब ही हो गयी इसलिए उन्हें संजो कर नहीं रखा गया ।
आज वक़्त भी था और मौका भी इसीलिये पूछ ही लिया कि आखिर पहली बार घर आने पर उसने तीनो एल्बम उपेक्षित से अलग क्यों रख दिये । गुरु ने स्पस्ट रूप से कहना पसंद किया कि जो एल्बम मैन उसे पकड़ाई थी वो तीनो पारिवारिक एल्बम थी उसमें कहीं मैं खुद और कहीं मेरे परिवार के सदस्य आनंद लेते दिखाई दे रहे थे और गुरु को मेरे परिवार के आनंद में क्या दिलचस्पी हो सकती थी । इस बात के लिए गुरु ने मुझे मूर्ख तक कह दिया ।
गुरु की बात अच्छी लगना संभव नहीं था परंतु मुझे आज मेरी मूर्खता का अहसास भी हो रहा था । वास्तव में मेरे ड्राइंग रूम में रखी एल्बम मेरे पारिवारिक एल्बम है उसका किसी अन्य व्यक्ति से कोई मतलब नहीं । संभव है कुछ लोग तारीफ भी करें परंतु वास्तव में यह एल्बम मेरे अहम को संतुष्ट करने के अलावा और कुछ नहीं करते ।
शायद अधिकांश लोग यही गलती करते है । अपने अहम की संतुष्टि के लिए इंतज़ार करने वाले के इंतज़ार को कठिन बना देते है ।
टेबलेट में भी बहुत सारे फ़ोटो एल्बम थे जो किसी ना किसी यात्रा से संबंधित थे । शायद डिजिटल फोटोग्राफी का जमाना आने के साथ साथ एल्बम की जगह टैबलेट ने ले ली और कैमरे की जगह मोबाइल कैमरे ने ।
संभव है कि आने वाले दिनों में एल्बम शायद गायब ही हो जाये परंतु टैबलेट या डिजिटल एल्बम तो रहेगी ही ऐसे में क्या संजो कर रखने योग्य है और क्या नहीं यह निश्चय ही व्यक्तिगत मामला हो सकता है परंतु किसी मेहमान को टाइम पास करने के लिए क्या दिए जाने योग्य है क्या नहीं यह अवश्य ही सोचने योग्य है ।