कैदी नंबर 306 – रिटर्न्ड
कुछ दिन बाद एक बार फिर नाथू से मुलाकात हुई
नाथू : राम राम रामभरोसे जी
राम : राम राम भाई
नाथू : आइये आज कुछ देर मेरे साथ भी बैठिये
राम : क्यों नहीं | आज क्या बात है खुश दिखाई दे रहे हो
नाथू : ख़ुशी जैसी तो कोई बात नहीं बस हालत का सामना करने का हौंसला पैदा कर लिया है
राम : बहुत बढ़िया
नाथू : राम भाई उस दिन आपकी कहानी अधूरी रह गयी थी
राम : हां रह तो गयी थी
नाथू : तो आज पूरी सुनाइए ना
राम : ऐसा है नाथू भाई कहानी तो अभी अधूरी है ऐसा करते है जहाँ तक है उतनी सुनाता हूँ
नाथू : बिल्कुल ठीक
राम : तो उस दिन कहानी कहाँ छोड़ी थी
नाथू : पुलिस ने आपको अभियुक्त बना लिया
राम : हां ठीक तो अब आगे सुनो
हा तो नाथू भाई कुछ ऐसा हुआ की जैसे ही हमको महसूस हुआ की पुलिस ने गलत लड़कों को पकड़ लिया था तो हमारा जमीर जाग उठा और हम हमारे जानकार भंडारी जी के पास पहुँच गए बताने के लिए की हम दोनों लड़कों के साथ थे | जैसे ही हम भंडारी जी के टेबल पर पहुंचे तो भंडारी जी चाय की चुस्किया लेते हुए बगल में खड़े हवलदार को बता रहे थे की कैसे हमने दोनों लड़कों को ट्रैन से खिंच कर उतार लिया |
राम : भंडारी जी
भंडारी : अरे रामभरोसे जी आप अभी यही है
राम : मैं बस जा ही रहा था आपको बताने आया था की कल रात दोनों लड़के मेरे साथ थे
भंडारी : कौन दोनों लड़के
राम : वही जिनको आप लोगों ने पकड़ा था और बाद में भीड़ द्वारा मार डाले गए
भंडारी : जी हाँ साहब
भंडारी जी कुछ देर तो समझ ही ना पाए की वह क्या सुन रहे है फिर जैसे ही समझे उछाल कर मेरी गर्दन पकड़ ली और उनके साथ ही 2 और हवलदार टूट पड़े | बस चारों तरफ शोर मच गया की बलात्कारियों का एक और साथ पकड़ में आ गया | तुरंत ही मुझे घसीटते हुए सलाख़ों लगे छोटे से कमरे में बंद कर दिया और दरवाज़ा पर 6 या शायद 7 पुलिस वाले जम गए |
नाथू : अरे किसी ने आपकी पूरी बात नहीं सुनी
राम : मुझे भी यही लगा था पहले पहल
नाथू : अच्छा
राम : परन्तु उसी रात मेरी सब ग़लतफहमी दूर हो गयी
नाथू : कैसे
राम : सुनो
में जेल की सलाख़ों के पीछे से भंडारी जी को पुकार रहा था और भंडारी जी बगल वाले कमरे में अपने बड़े अधिकारी के साथ बातचीत कर रहा था | फिर भंडारी बाबू और उनके बड़े साहब मोटरसिक्ले पर कहीं चले गए | कई घंटो बाद भंडारी बाबू वापिस लोटे और साथ में लाये पुलिस की बस और बहुत सरे हथियार बंद पुलिस वाले | और मुझे धकियाते हुए पुलिस की बस में डाल दिया | वैसे तो सुनने में आया था की मुझे सुरक्षा के लिए बड़े थाने में ले जाया जा रहा है परन्तु अँधेरा हो रहा था कौन जाने कहाँ ले जा रहे थे |
नाथू : अच्छा आपको क्या लगा कहाँ ले जा रहे है
राम : मुझे तो लगा था की कहीं ले जा कर ठोक देंगे
नाथू : परन्तु आपको तो सही सलामत रखा
राम : नहीं नाथू भाई यह बात सही नहीं है
नाथू : तो सच क्या है
राम : सच तो मुझे अगली रात में पता चला
नाथू : अच्छा अगली रात क्या हुआ |
उस वक़्त तो मुझे बड़ी शराफ़त के साथ बड़े वाले थाणे में बंद कर दिया और अगले दिन कोर्ट में पेश कर दिया | अब ऐसा है कोर्ट में बिना कुछ कहे सुने 14 दिन का रिमांड दे दिया | मुझे लगा था की कोर्ट में बहस होगी परन्तु उस दिन के अखबार तो पिछले दिन की घटनाओं से भरे पड़े थे और जज साहब भी जैसे कुछ सुनने के मूड में नहीं थे | सरकारी वकील ने पेपर जज के सामने रखे और जज से 14 दिन की रिमांड मांगी | जज साहब ने घूर कर मुझे देखा और 14 दिन की रिमांड का आदेश कर दिया
नाथू : अरे आपके वकील से कुछ नहीं पुछा
राम : मेरा कौनसा वकील था वहां पर
नाथू : तो आपने कुछ कहा होता
राम : कोशिश की थी नाथू भाई
नाथू : फिर
राम : फिर क्या पहली बात तो कभी कोर्ट कचहरी गए नहीं थे कुछ पता ही नहीं था फिर डरे हुए भी थे |
नाथू : मतलब की आपसे कुछ ना बोलै गया
राम : नाथू भाई कुछ तो बोले ही
नाथू : फिर
राम : जज साहब कहाँ सुनने को तैयार थे जैसे ही मैंने कुछ बोलना शुरू किया उन्होंने सरकारी वकील से कह कर मुझे कोर्ट से बाहर निकलवा दिया | खेर तुम आगे सुनो
पुलिस वाले कोर्ट से थाने वापिस ले आये हमको और फिर से जेल में बंद कर दिया | अब रिमांड था तो हम सोच रहे थे की कोई पुलिस वाला आएगा और सवाल जवाब करेगा | पुलिस हवलदार आया भी परन्तु सवाल जवाब करने नहीं बल्कि चाय की प्याला लेकर | उससे ही कुछ बात चित हुई
हवलदार : ताऊ लो चाय पिओ
राम : हवलदार साहब यह सवाल जवाब कौन करेगा और कब करेगा
हवलदार : कौनसे सवाल जवाब ताऊ
राम : वही जिसके लिए रिमांड लिया है
हवलदार : ताऊ पहली बार जेल आया लगता है
राम : हां भाई में शरीफ आदमी हूँ
हवलदार : अच्छा मैंने तो सुना था की रिपोर्टर हो
राम : में क्राइम रिपोर्टर नहीं हूँ में तो अखबार में कहानियां लिखता हूँ या फिर कोई धार्मिक प्रोग्राम हो तो उसको कवर करता हूँ
हवलदार : ठीक ताऊ अब चाय पी ले
राम : बताया नहीं सवाल जवाब कौन करेगा और कब करेगा
हवलदार : ऐसा है ताऊ कोई सवाल जवाब करने ना आ रहा | अभी चाय पी ले और रात में तेरी अच्छी खातिर करेंगे |
राम : वह सब तो ठीक है परन्तु अगर सवाल जवाब ना करने तो रिमांड किस लिए लिया
हवलदार : ताऊ दिमाग ख़राब मत कर मेरा बस खातिर ढंग से करवा लियो बाकि सब पुलिस खुद कर लेगी |
नाथू : हा हा हा हा ……. लगता है राम भाई आपने खातिर का मतलब समझा नहीं
राम : हाँ उस वक़्त तो नहीं समझा था
नाथू : रात में समझ आ गया होगा
राम : पूरी तरह से आ गया अब आगे सुनो पूरी बात का खुलासा कैसे हुआ
रात में बढ़िया खाना खाने को मिला | खाने के बाद SP साहब के बुलावे पर मुझे एक ऑफिस जैसे कमरे में ले गए वहां पर अपने भंडारी बाबू भी थे | बाकायदा बैठने के लिए कुर्सी दी गयी | मैंने सोचा की SP साहब सवाल जवाब करेंगे और हमने भी खुद को तैयार किया सच बताने के लिए | तभी भंडारी बाबू ने लिखे हुए कुछ कागज मेरे सामने रख दिए और उस पर सिग्नेचर करने को बोलै | मैंने सोचा शायद कुछ नियम कायदे लिखे होंगे और उठा कर पड़ने लगा | तभी भंडारी बाबू ने कहा की रामखिलावन सिग्नेचर कर दो पढ़ने में क्या रखा है |
नाथू : तो आपने सिग्नेचर कर दिए
राम : नहीं अब तक यही तो सीखा था की बिना पढे कहीं सिग्नेचर मत करो
नाथू : फिर
जैसे जैसे हम पेपर पड़ते गए हमारी तो आंखे खुली रह गयी | वह तो मेरा पूरा बयान था | बयान में यह तक दर्ज़ था की कैसे में उस लड़की का पीछा कई दिनों से कर रहा था कैसे मैंने लड़की को उठा कर भूतों वाले बाग़ में ले जाने में सहायता की यह भी लिखा था सबसे पहले लड़की का रेप मैंने किया | उस पत्थर तक का जीकर था जिसे उठा कर मैंने लड़की के सर पर मार दिया जिससे की लड़की मर गयी | सब पढ़ कर मेरी तो आंखे खुली रह गयी |
नाथ : फिर
फिर मैंने SP साहब को संबोधन किया और उनसे कहा की साहब यह बयान गलत है ना तो मैंने ऐसा कुछ किया है और ना ही मेरे कहने का वह मतलब था जो भंडारी साहब ने समझ लिया |
SP : राम साहब आप सिग्नेचर करेंगे या नहीं
राम : साहब यह बयान तो गलत है
SP : आप शायद सोचना चाहते है कुछ टाइम चाहिए
राम : नहीं साहब मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है इसीलिए में सिग्नेचर नहीं करूंगा
SP : भंडारी राम साहब अगले 48 घंटे तक आपके पास है
भंडारी : आप फ़िक्र ना करें 48 घंटे से बहुत पहले ही सिग्नेचर हो जायेंगे
SP : जब हो जाये तो मुझे खबर कर देना
भंडारी : जी साहब
और फिर SP साहब उठ कर चले गए और भंडारी बाबू ने मुझे मेरे सलाखों वाले कमरे में भिजवा दिया | में सोच रहा था की अब पुलिस तो मेरी बात सुन ही नहीं रही इसीलिए कोई अच्छा वकील कैसे किया जाये ताकि कोर्ट में अपनी बात रखी जा सके | बस यही सोचते सोचते आँख लग गयी | आँख खुली जब 2 हवलदार झपट मार कर उठा लिए और घसीटते हुए एक तरफ ले जाने लगे | खूब चिल्लाये परन्तु दोनों ने ले जाकर एक दूसरे बंद कमरे में पटक दिया | कमरा क्या था बस छोटी सी कोठरी थी कोई खिड़की या रोशनदान नहीं बस छोटा सा दरवाज़ा और तेज़ रौशनी वाला बल्ब और बड़ी अजीब अजीब चीज़ें जैसे की टायर, टूटी हुई कुर्सी, शराब की बोतल आदि | और बदबू भी थी मैंने सोचा की शायद स्टोर रूम में बंद कर दिया | यह ग़लतफहमी दूर हुई जब भंडारी बाबू कमरे में आये | भंडारी बाबू के हाथ में चमड़े की बेल्ट और दूसरे हाथ में तेल पिलाया हुआ डंडा |
अब नाथू भाई में ठहरा छोटे मोटे फंक्शन की रिपोर्ट करने वाला रिपोर्ट या बहुत हुआ तो कोई इंटरव्यू छपने वाला या बस कभी कोई कहानी वगैरह लिख दी मुझे भला पुलिस के काम करने के तरीके के बारे में क्या पता पर फिर भी फिल्मो में टीवी पर या अख़बारों में पुलिस की थर्ड डिग्री के बारे में पढ़ा तो था ही | बस जब भंडारी बाबू के हाथ में चमड़े का बेल्ट और तेल पिलाया डंडा देख तो अपने तो भाई देवता कूच कर गए |
नाथू : तो मतलब की खूब मार पीट हुई
राम : वह तो होनी ही थी
नाथू : तो फिर आपने सिग्नेचर कर दिए
राम : इतनी आसानी से तो नहीं किया
नाथू : क्या किया आपने
राम : सुनो
नाथू भाई चमड़े का बेल्ट और तेल पिलाया डंडा देख कर अपने देवता तो कूच कर ही गए थे फिर भी हिम्मत जुटा कर मैंने भंडारी बाबू से बातचीत करने की कोशिश की उनको अपनी दोस्ती का वास्ता भी दिया उनको समझने की कोशिश की उनको बताने का प्रयास किया की मैं वास्तव में क्या कहने जा रहा था और उन लोगों ने क्या समझ लिया | यहाँ तक की भंडारी बाबू को उन 1 लाख रुपये का वास्ता भी दिया जो मैंने उन तक पहुँचाए थे | बस भंडारी बाबू का दिमाग तो 1 लाख का जिक्र सुनते ही घूम गया और टूट पड़े मुझ पर ऐसे जैसे की वह तो एकदम दूध के धुले हो और कभी रिश्वत ही न ली हो और 1 लाख का इलज़ाम तो मैंने उनको बदनाम करने के लिए लगा दिया हो | जब भंडारी बाबू थक गए तो 2 घंटे की छुट्टी करके चले गए और पहरे पर बैठा गए एक हवलदार को |
हवलदार बेचारा भला आदमी थे या शायद उसे वहां बैठाया ही इस लिए गया था ताकि भला आदमी बन कर मुझसे सिग्नेचर करवा सके | पता नहीं परन्तु उसने बीड़ी वगैरह भी दी पीने को और बातें भी बड़ी मीठी मीठी की | उसी से पता चला की घटना जब घाटी तब डिपार्टमेंट में बड़ी हलचल हुए फिर चिंता हुई की जैसे ही खबर बहार जाएगी तो हंगामा हो जायेगा | राजधानी बातचीत की गयी तो वहां से निर्देश मिले की जल्द से जल्द मुल्जिम को पकड़ा जाये और किसी भी कीमत पर शांति भांग नहीं होनी चाहिए | ऊपर से कहा गया था की किसी भी कीमत पर शांति भांग नहीं होनी चाहिए और हमारे SP साहब ने इस बात को समझा और आदेश दे दिया की कोई भी दो या तीन लोगों को पकड़ लाओ और आरोप लगा कर गिरफ्तार कर लो ताकि हंगामा ना हो | बाकि सबुत कोर्ट कचहरी वगैरह में कई साल लग जाने है इसीलिए कोई चिंता नहीं | SP साहब खुश थे जब ऊपर से शाबाशी दी जाने लगी परन्तु गड़बड़ हो गयी जब मुखबिर से पता चला की ऑपोसिट पार्टी के नेता जी अपनी राजनीती चमकाने के लिए SP साहब पर आरोप लगाने वाले है की उन्होंने बिना सबूत दो मासूमों को गिरफ्तार कर लिया है | बस SP साहब ने एनकाउंटर करने का फैसला कर लिया | आजकल एनकाउंटर बहुत हो रहे है इसीलिए हर एनकाउंटर पर झूठे होने के आरोप भी लगते है और जाँच भी होती है और ज्यादातर एनकाउंटर झूठे पाए भी जाते है इसीलिए हमारे SHO साहब ने हल निकला की एनकाउंटर ना किया जाये बल्कि लोगो को भड़का दिया जाये और मामला ख़तम | हुआ भी सब सही लोग भड़क गए और पुलिस ने उनको मौका भी दे दिया और भड़की हुई जनता ने किस्सा भी ख़तम कर दिया | सब ठीक था बस आपने गड़बड़ कर दी पता नहीं कहाँ से आ टपके और SP साहब के लिए मुसीबत खड़ी कर दी आपने अब बताइये आपको कैसे छोड़ा जा सकता है ? आपको तो फांसी पर चढ़ना ही पड़ेगा तभी तो पुलिस की नाक बचेगी | अब आप खुद सोच लीजिये हड़िया तुड़वा कर फांसी पर चढ़ना है या सही सलामत हाड़ियाँ लेकर |
नाथू : इतनी बड़ी साज़िश
राम : बिलकुल और हम सोच रहे थे की भंडारी बाबू ने हमारी बात का गलत मतलब निकल लिया
नाथू : फिर आपने क्या किया
राम : सिग्नेचर तो नहीं किया हमने
नाथू : बहुत मार पीट हुई होगी
राम : मार पीट तो खैर होनी ही थी परन्तु मुझे आशा की एक किरण दिखाई दे रही थी इसलिए हिम्मत नहीं हारी मैंने
नाथू : कौनसी आशा की किरण
राम : ऑपोसिट पार्टी के नेता जी
नाथू : परन्तु वह तो अपनी राजनीति चमकाने चाहते थे
राम : बिलकुल सही
नाथू : फिर वह आपकी आशा की किरण कैसे हो सकते थे
राम : वह ऐसे नाथू भैया की यदि उनको पूरी साज़िश के बारे में पता चल जाये तो वह सरकार और पुलिस के खिलाफ आवाज़ उठा सकते थे और उनकी राजनीति मेरे बेगुनाह होने से बहुत चमक सकती थी
नाथू : हां यह बात तो सही है
राम : नेता जी की राजनीति में मेरा उद्धार हो सकता था बस यही आशा की किरण थी
नाथू : फिर आपने क्या किया
राम : नेता जी से संपर्क का प्रयास
नाथू : हो पाया संपर्क
राम : संपर्क भी हुआ और सहायता का पूरा आश्वासन भी मिला
नाथू : फिर
राम : फिर क्या बस आश्वासन ही तो था कब कहाँ कैसे टूट गया पता ही नहीं चला |
नाथू : जरा विस्तार से बताइये
राम : तो सुनो
काफी प्रयासों के बाद विपक्ष के नेता जी से बात हो पायी और उनके जरिये एक बड़े वकील साहब भी आये सलाह देने के लिए | पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने सलाह सी की मुझे हाड़ियाँ तुड़वाने की बजाये सिग्नेचर कर देने चाहिए | मुझे समझ नहीं आया की वकील साहब मुझे बचा रहे है या फसा रहे है तब उन्होंने समझाया की पुलिस के सामने दिए बयान का कोई महत्व ही नहीं है कोर्ट में बयान देना की मारपीट कर जबरदस्ती सिग्नेचर करवा लिए गए थे | काफी सोच विचार के बाद बात मुझे जची और मैंने सिग्नेचर कर दिए |
लोअर कोर्ट में मुकदमा शुरू हुआ तो वकील साहब शहर के बाहर से बुलवाना पड़ा और फीस देने के काफी पैसा खर्च हुआ | परन्तु फिर भी हर तारीख पर लगता की वकील मेरी बात सही तरीके से जज के सामने नहीं रख पा रहा | और यह अहसास उस वक़्त और बाद जाता जब जज साहब की आँखें घूरती महसूस होती | परन्तु कर क्या सकते थे |
कुछ तो किया ही जाना चाहिए था और किया भी , यहाँ खाली टाइम में पढ़ने के लिए किताबों का जुगाड़ किया और कानून पड़ना और समझाना शुरू कर दिया | थोड़ा मुश्किल लगा परन्तु आखिर धीरे धीरे ही सही कानून की बारीकियां समझ में आने लगी थी | और उसी समझ के आधार पर वकील साहब को समझाना शुरू किया, वकील साहब बढ़िया आदमी थे मेरी बात समझने लगे थे परन्तु जब सिस्टम ही मेरे खिलाफ था तो भला क्या किया जा सकता था | धीरे धीरे मुकदमा पूरी तरह अपने कंधो पर ले लिए और वकील साहब को बाहर से बुलवाना छोड़ दिया | कोर्ट की तरफ से एक सरकारी वकील साहब मिले जोकि मजबूरी में ही मेरी तरफ से पेश हुए बाकि उनका बस चलता तो मुझे फांसी पर चढ़वा देते | आखिर लोवर कोर्ट ने मुझे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और मैं जेल मैं बंद हूँ | परन्तु क्या मामला खत्म हो गया ? नहीं साहब मैंने भी हाई कोर्ट मैं अपील की हुई है और जल्द ही हाई कोर्ट का फैसला आने वाला है |
हाई कोर्ट के फैसले का तो इंतज़ार करना ही पड़ेगा मुझे नहीं पता हाई कोर्ट क्या फैसला लेगा परन्तु लोअर कोर्ट मैं तो सब मेरे खिलाफ ही रहा | पुलिस ने तो मेरे खिलाफ केस बनाया ही था फिर पता नहीं कहाँ से 2 ऐसे गवाह भी पुलिस की तरफ से आ गए जिन्होंने गीता की कसम खाने के बाद कहा की उन्होंने मुझे घटना स्थल के नज़दीक दोनों लड़कों के साथ देखा था | वकील साहब ने मेरा पक्ष रखा और मैंने अपना पक्ष खुद भी रखा | ऐसा नहीं है की मैं कानून जानता हूँ या बहुत बड़ा विद्वान् हूँ परन्तु बार कॉउंसल ने बाकायदा प्रेस मीट करके घोषणा की थी की कोई वकील मेरा केस नहीं लड़ेगा ऐसे में कोई बाहर से आया हुआ वकील कितना कर सकता था | वकील की बात छोड़िये साहब सारा शहर ही मेरे खिलाफ था | मेरे खिलाफ धरने प्रदर्शन और पता नहीं क्या क्या हो रहा था | इन कार्यकर्मो के लिए पैसा पता नहीं कौन दे रहा था |
जो भी हो वकील के बिना तो केस लड़ा नहीं जा सकता आखिर जब कोई वकील नहीं मिला तो खुद सीखना पड़ा और सरकारी तौर पर मुझे एक वकील दिया गया | जब सब मेरे खिलाफ थे तो भला मुझे मिला सरकारी वकील मेरे पक्ष मैं कैसे हो सकते थे बस वह खानापूरी ही कर रहे थे | आखिरकार मैंने खुद ही अपना केस लड़ने का फैसला किया और कानून की किताबें पड़ने मैं दिन रात एक कर दिया |
हालांकि लोअर कोर्ट ने मुझे सजा सुना दी परन्तु 13 महीने की मेहनत के बाद आज मैं वकील तो नहीं परन्तु जहाँ तक कानूनी जानकारी की बात है बड़े वकीलों से ज्यादा जानकारी मेरे पास है | हाई कोर्ट मैं मैंने खुद अपना केस लड़ा है जल्द फैसला आना है अगर मेरे पक्ष मैं नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट मैं भी लडूंगा |
नाथू : हाई कोर्ट में जीतने की उम्मीद नहीं है ?
राम : ऐसा है नाथू मेरे पास कोर्ट का प्रैक्टिकल ज्ञान है इसीलिए मैं यह जानता हूँ की कोर्ट के फैसले सबूतों के अलावा अन्य बातों पर भी निर्भर करते है जैसे की मेरे मामले मैं लोअर कोर्ट का फैसला ही देख लो |
मेरे पक्ष मैं 2 अकाट्य सबुत आ सकते थे | पहला सबुत थे उस होटल की CCTV फुटेज जिसमे उस शाम हमने खाना खाया था | परन्तु क्या हुआ मैंने CCTV फुटेज निकलवाने के लिए CrPC 91 के तहत एप्लीकेशन लगाई परन्तु हुआ क्या बहुत कोशिशों के बाद जब होटल मैनेजर कोर्ट मैं आया तो उसने CCTV फुटेज होने से ही साफ़ इंकार कर दिया | सबको मालूम है की होटल मैं CCTV कैमरा लगे हुआ है (सरकारी आदेश से) परन्तु पहले तो मैनेजर साहब मुकर ही गए की कैमरा लगा हुआ है और जब मैंने साबित कर दिया की कैमरा लगा हुआ है तो मैनेजर साहब इस बात से ही मुकर गए की कैमरा काम करता है परन्तु हमने भी साबित कर दिखाया की कैमरा काम करता है फिर आखिर मैं मैनेजर साहब ने कह दिया की उनका कंप्यूटर ही ख़राब हो गया है इसीलिए CCTV फुटेज नहीं दे सकते | कोशिश तो बहुत की हमने परन्तु मैनेजर साहब ने फुटेज नहीं देनी थी सो नहीं दी | हमने भी हिम्मत नहीं हारी और रेलवे स्टेशन पर लगे हुए CCTV फुटेज निकलवाने की कोशिश मैं लग गए | आखिर रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम एवं प्लेटफॉर्म पर लगे CCTV फुटेज भी वही काम करती जो होटल की CCTV फुटेज करती | हमें कोर्ट से मेरे पक्ष मैं आर्डर भी मिल गया CCTV फुटेज के लिए परन्तु जिस दिन फुटेज कोर्ट मैं पेश की जानी थी रेलवे स्टेशन के रिकॉर्डिंग रूम मैं आग लग गयी और सब सस्वाहा | इसके अलावा भी कई सबुत थे परन्तु दुर्घटनाओं के कारण कोर्ट तक नहीं पहुँच पाए
मतलब की सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं किया जा सका और मुझे आजीवन कारावास की सजा सुना दी गयी | दुर्घटनाओं के सीक्वेंस को देखकर स्पस्ट पता चल रहा था की मेरे खिलाफ साज़िश रची जा रही है परन्तु कोर्ट के बाहर होने वाली जिंदाबाद मुर्दाबाद के आगे कोर्ट भी प्रेशर मैं आ गया |
नाथू : परन्तु कोर्ट प्रेशर में कैसे आ सकता है उसकी आँखों पर काली पट्टी बंधी होती है
राम : नाथू भाई मैं सिर्फ इतना कहूंगा की आप के पास किताबी ज्ञान है |
नाथू : राम भाई तुम्हारी बात ठीक ही है |
राम : खैर चलिए अभी तो कुछ समय है हाई कोर्ट का फैसला आने में इंतज़ार करना है तो इसलिए जल्दबाज़ी तो कुछ है नहीं बाकि कहानी फिर कभी सुन लेना
नाथू : हां ठीक ही कहते हो |