तीन कपड़े

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तीन कपड़े

Dr.R.Singh

 

भोलू : गिलु जी हमारी लड़की हीरा है परंतु में उसे 3 कपड़ो में विदा करने वाला हूँ मैं दहेज़ विरोधी हूँ

गिलु : बिलकुल हम लोग भी दहेज़ विरोधी है और हम भी बस चंद कपड़ों में विदा करने वाले है

भोलू : में समझ नहीं पाया

गिलु : क्या नहीं समझे

भोलू : आपकी तो कोई लड़की है ही नहीं फिर आप किसे विदा करेंगे

गिलु : आपकी बात पूरी तरह सही नही है परंतु फिलहाल तो में बेटे टिल्लू को विदा करने की बात कर रहा हूँ

भोलू : परंतु टिल्लू तो आपके साथ रहेगा

गिलु : नहीं भाई टिल्लू को पड़ा लिखा दिया हीरा बना दिया अब वो जानें ।  अपनी नोकरी करे कोई काम धंधा करे जो चाहे करे हमारी तरफ से आज़ाद है ।

भोलू : लेकिन जो आपने कमाया वो सब तो टिल्लू का ही है । आपका बंगला शोरूम एजेंसी सब का इकलौता वारिस तो टिल्लू है ।

गिलु : नहीं भाई वो सब तो मेरा और मेरी घरवाली का है और हम उसे अपने हिसाब से खर्च करेंगे

भोलू : आपके बाद तो सब टिल्लू का ही है

गिलु : नहीं हम तो इसे बेदखल कर चुके है और अब हम जो कमाया है इसे खर्च करेंगे और आखिर में जो बचेगा उसे वृदाश्रम को दे जाएंगे

भोलू : आप जा सकते हैं में अपनी लड़की किसी भिखमंगे को नहीं दे सकता । मुझे मेरी हैसियत का दामाद चाहिए ।

गिलु : आपने तो मेरी मन की बात कह दी । जय राम जी की