कार का जादूगर

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कार का जादूगर

Dr. G.Singh

 

 

मंजीत ठाकुर एक छोटा सा कार मैकेनिक है और कार के बारे में उसे इतना ज्ञान है की शहर वाले उसे कार का जादूगर कहते है | उसके पास अपने इस्तेमाल के लिए भी एक छोटी सी कार है, ठीक वैसी जैसी की कार मेकानिक के पास होने चाहिए | यहाँ वहां से रंग निकला हुआ दिखने में थोड़ी ख़राब सी परन्तु इंजन और सस्पेंशन ठीक वैसा ही जैसा कार के जादूगर के पास होना चाहिए | जब मंजीत ठाकुर की यह कार सड़क पर उतरती है तब चाहे खूबसूरत न दिखे परन्तु महंगी से महंगी कार की भी पीछे छोड़ देने का दम रखती है | मंजीत ठाकुर भी इस कार की नस नस से वाक़िफ़ है ऐसा लगता है जैसे मंजीत कार की समस्या तलाश नहीं करता बल्कि कार खुद उसे अपनी समस्या बताती है |

आज जैसे ही मंजीत ने कार में बैठ कर इंजन स्टार्ट किया और कार को गैराज से बाहर निकालने की कोशिश की तो अचानक कार दायी तरफ की दीवार की तरफ चल पड़ी | जल्दी से ब्रेक लगाए और दोबारा प्रयास किया और इस बार कार बायें तरफ की दीवार की तरफ दौड़ पड़ी | मंजीत ने कुछ प्रयास किये परन्तु बात नहीं बनी तब मंजीत कार से नीचे उतर आया और टायर से पुछा की क्या दिक्कत है |

टायर : मुझे आजादी चाहिए

मंजीत : तुम गुलाम नहीं हो तुम आजादी ही तो हो

टायर : नहीं मुझे पूर्ण आजादी चाहिए |

मंजीत : वह तो संभव नहीं है

टायर : में कार की गुलामी से पूरी तरह इंकार करता हूँ |

मंजीत ने टायर निकाल कर दीवार पर टांग दिया और दूसरा टायर लगा कर चला गया | अगले 20 दिनों में कार के चारों टायर दीवार की शोभा बड़ा रहे थे और कार नए टायरों पर दौड़ रही थी |

मंजीत आज एक बार फिर से जूझ रहा था इस बार स्टेयरिंग को कार की गुलामी से आजादी चाहिए थी और मंजीत ने स्टेयरिंग को दीवार की शोभा बना दिया और कार नए स्टेयरिंग के इशारों पर दौड़ने लगी |

शाम को मंजीत घर लोटा परन्तु उसने कार को बाहर सड़क पर ही पार्क कर दिया गैराज में नहीं ले गया | गैराज में मौजूद चारों टायर एवं स्टेयरिंग इंतज़ार करते रहे और मंजीत कार बाहर पार्क करता रहा | चारों टायर एवं स्टेयरिंग ने बहुत हो हल्ला मचाया ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘हम गुलामी नहीं करेंगे’, ‘हमें आजाद करो’ आदि नारे भी लगाए परन्तु मंजीत ने कार गैराज में पार्क नहीं की |

कई महीने बीत गए कार ठीक काम कर रही थी | आज मंजीत वाइपर सिस्टम से जूझ रहा था दूर से सुनाई देते नारे और आजादी की डिमांड के कारण अब वाइपर भी आजादी मांगने लगे थे | आखिर मंजीत ने वाइपर को भी गैराज की शोभा बना दिया और गैराज के दरवाज़े अच्छी तरह बंद कर दिए | एक बार फिर मंजीत की कार दौड़ने लगी |

गैराज के अंदर चार टायर , स्टेयरिंग एवं वाइपर सिस्टम दीवार पर टंगे टंगे नारेबाज़ी करते रहे और मंजीत अपनी कार आराम से चलता रहा | आखिर एक दिन मंजीत की पत्नी ने मंजीत से पूछ लिया की आखिर माजरा क्या है क्यों चार टायर , स्टेयरिंग एवं वाइपर सिस्टम दीवार पर टंगे हुए है |

मंजीत ने अपनी पत्नी को बताया की कार एक सिस्टम है और यह सिस्टम तभी काम कर सकता है जब की इसके सभी पार्ट अपनी लिमिटेड आजादी में रहते हुए काम करें और यह चारों  टायर , स्टेयरिंग एवं वाइपर अपनी सीमित आजादी से संतुष्ट नहीं है इन्हे ज्यादा आजादी चाहिए इसीलिए वर्तमान में यह सभी अप्रासंगिक हो गए है और दीवार पर टंगे हुए है |

पत्नी : क्या यह सभी हमेशा के लिए बेकार हो गए है |

मंजीत : नहीं यह सभी कार के सिस्टम के लिए अप्रासंगिक है लेकिन वक़्त के साथ साथ और इनकी नारेबाजी से प्रभावित होकर कार के दूसरे पुर्जे भी आजादी माँगेगे और आखिर एक दिन पूरी कार ही दीवार पर टंगी होगी |

पत्नी : तो क्या पूरी कार अप्रासंगिक हो जाएगी

मंजीत : नहीं मैं एक नया सिस्टम बनूँगा जिसमे यह सभी पुर्जे एक बार फिर से काम आ जायेंगे

पत्नी : तो क्या उस सिस्टम में यह सभी पुर्जे आजाद होंगे |

मंजीत : नहीं कोई भी ऐसा सिस्टम नहीं बन सकता जिसमे पूर्ण आजादी हो यह सरे पुर्जे लिमिटेड आजादी से ही काम करेंगे बस इनको भ्रम रहेगा की यह कार की गुलामी से आजाद हो गए |

पत्नी : और यदि उसके बाद भी इन्होने आजादी की डिमांड जारी रखी

मंजीत : तब इन्हे जंकयार्ड में फेंकना पड़ेगा क्योंकि पूर्ण आजादी वहीँ संभव है |