समय का पहिया
Abhinaw Sachan
उर्वशी अपने आप में इस कदर खोई हुई थी कि महिलाओं की हंसी ठिठोली का शोर भी उसे ख्यालों से बाहर नहीं ला सका। वो अपनी बहू के कारण परेशान थी। उसके बेटे के सामने माँ अथवा पत्नी में से किसी एक को चुनने का सवाल खड़ा था और उर्वशी समझ नहीं पा रही थी कि वो कैसे बहू को साथ रहने के लिए समझाए।
ठीक यही सवाल उर्वशी ने लगभग 30 साल पहले अपने पति के सामने खड़ा किया था और उसके पति ने अपने माँ बाप का से अलग न होने का फैसला करके उर्वशी को अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया था ।
आज 30 साल बाद वही घटनाक्रम उर्वशी के साथ दोहरा रहा था और इस बार बेटे को खोने का डर उर्वशी को था।