गैरजिम्मेदार
Dr. G.Singh
नर्स ने कमरे में कदम रखा तब हरनाम सिंह का पूरा ध्यान किताब में थे । हरनाम सिंह ने किताब एक तरफ रख दी और मुस्कुरा कर नर्स का स्वागत किया । हरनाम की जांच के बाद नर्स बगल वाले बेड पर मौजूद जोशी जी की जांच के लिए चली गयी । जोशी जी के उदास चेहरे को देख कर हरनाम सिंह एक बार फिर से गहरी सांस लेने के लिए मजबूर हो गए ।
5 दिन पहले हरनाम सिंह और जोशी जी एक साथ ही कोरोना के कारण वार्ड में भर्ती हुए थे ।
जोशी जी अपनी चिंता में इस कदर धूबे हुए थे कि जब हरनाम सिंह ने जोशी जी से बात करने का प्रयास किया तब जोशी जी बस हा ना में ही जवाब दे कर खामोश हो गए ।
आखिर हरनाम सिंह ने जोशी जी से बात करने का प्रयास बंद कर दिया और अपने मन बहलाने के अन्य साधन तलाश कर लिए ।
5 दिन बाद हरनाम सिंह स्वस्थ की तरफ बढ़ रहे थे वहीं जोशी जी लगातार अपनी उदासी का शिकार होते जा रहे थे ।
जोशी जी की जांच के बाद नर्स हरनाम सिंह के पास आई और धीमे आवाज़ में हरनाम सिंह से जोशी जी के मन बहलाने की प्रार्थना करने लगी जिसे हरनाम सिंह ने सहर्ष स्वीकार कर लिया ।
हरनाम सिंह ने नर्स की प्रार्थना स्वीकार करते हुए एक बार अपनी किताब की तरफ देखा और फिर से एक प्रयास का निश्चय कर लिया ।
हरनाम सिंह और जोशी जी का साथ सिर्फ 5 दिन का था परंतु हरनाम सिंह अच्छी तरह समझ चुके थे कि जोशी जी एक ग़ैरजिमेदार बुजुर्ग है जिसकी नज़र में सिर्फ एक चीज़ मायने रखती है और वो यह कि इस वक़्त उसने बच्चे उनके पास नहीं है । कोरोना वार्ड के नियम, बच्चों के स्वस्थ के लिए खतरा, उनके स्वयं के स्वस्थ के लिए खतरा, अन्य स्वस्थ व्यक्तियों के लिए इंफेक्शन, देश के हालात आदि सब व्यर्थ है बस जोशी जी के लिए महत्व इस बात का है कि वो कोरोना वार्ड में अकेले है । जोशी जी ने जिंदा रहना सीखा ही नहीं था ।
हरनाम सिंह ने जोशी जी की तरफ मुह करके उसको आवाज़ दी और जोशी जी ने पलट कर हरनाम सिंह की तरफ देखा । जोशी जी की उदास आंखों से आंखें मिलते ही हरनाम सिंह समझ गए कि वो एक बार फिर असफल होने जा रहे है ।