आजाद परिंदा – आत्मनिर्भर
Dr.G.Singh
नमिता सुबह 7 बजे ही ब्यूटी पार्लर पहुँच गयी थी | ब्यूटी पार्लर चलाने वाली महिला उसकी सहेली थी और विशेष तौर पर नमिता के अनुरोध पर ही ब्यूटी पार्लर इतनी सुबह खुला था | ब्यूटी पार्लर मैं नमिता ने पुरे 2 घंटे सजने सवरने में गुजारे थे | लिहाज़ा जब नमिता घर पहुंची तो उसकी भाभी को उसे काला टिका लगाने की जरूरत महसूस होने लगी | नमिता दिखने मैं खूबसूरत थी और आज मेकअप के बाद तो गजब ढा रही थी |
नमिता को सजने सवरने का शोक था परन्तु आज तो उसे अविनाश देखने आ रहा था इसीलिए उसने विशेष तौर पर तैयार होने के निर्देश उसकी माँ ने दिए थे | अविनाश का नमिता की भाभी से बहुत दूर का सम्बन्ध था | सम्बन्ध इतनी दूर का था की भाभी की अविनाश से कभी मुलाकात नहीं हुई थी | रिश्ता तय करने मैं भाभी के माता पिता का महत्वपूर्ण सहयोग रहा | रिश्ते के बारे मैं पंडित जी ने बताया और गहन पूछताछ से मालूम हुआ की अविनाश का भाभी के मायके की तरफ कुछ रिश्तेदारी निकलती है और उसके बाद तो भाभी के माता पिता ने ही बात को आगे बढ़ाया | अविनाश का नमिता को देखने आना एक फॉर्मेलिटी मात्र थी सब बात पक्की हो चुकी थी | अविनाश के माता पिता नमिता को देख चुके थे उसे पसंद भी कर चुके थे यहाँ तक की शगुन भी देने जा रहे थे की तभी किसी ने, पता नहीं किस कलमुहे ने टोक दिया | वैसे बात कुछ विशेष नहीं थी बस किसी ने कह दिया की एक बार अविनाश से बात कर ली जाये | बस इतनी सी बात थी अब क्योंकि बात सही थी और वक़्त की जरूरत थी बस इसीलिए अविनाश की माता जी ने शगुन डालने के लिए आगे का दिन तय कर दिया था और बता दिया था की तारीख से पहले अविनाश आकर नमिता को देख जायेगा | अविनाश की माता जी ने स्पष्ट कह दिया था की अविनाश का देख जायेगा नए ज़माने की फॉर्मेलिटी है बाकि तय तो हो ही चुका है |
हलाकि सब तय था फिर भी कुछ अनिश्चितता तो मन मैं थी ही इसीलिए नमिता के माँ बाप ने अनजान कलमुहे को इतनी गालियां निकाल दी थी की उसकी सात कुलों का नरकगामी होना तो तय हो ही चुका था |
नमिता के माता पिता लखपति थे और नमिता खूबसूरत थी और इसीलिए नमिता के लिए अरब पति घराने की तलाश थी | इससे पहले की करोड़पति घरानों से बातचीत चली और लगभग सब तैयार थे परन्तु नमिता के माता पिता अरब पति की उम्मीद लगाए हुए थे और अविनाश अरब पति से भी कुछ ऊपरी घराने से तालुक रखता था इसीलिए नमिता के माता पिता इस रिश्ते को किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते थे |
अविनाश के माता और पिता अध्यापक थे और उसका लालन पालन मध्यमवर्गीय परिवार मैं हुआ | कॉलेज के समय से ही अविनाश ने अपना व्यापार करने के सपने देखना आरम्भ कर दिया | सिर्फ सपने ही नहीं देखे बल्कि अपने आप को समर्पित कर दिया | नतीजा कॉलेज समाप्त करने के 1 महीने के अंदर ही उसने अपना स्टार्टअप का उदघाटन कर लिया | और फिर अगले 7 साल कब गुज़रे कैसे गुज़रे अविनाश के अलावा कोई और बयान नहीं कर सकता | परन्तु परिणाम तो बहुत बढ़िया तरीके से तराशे हुए हीरे से भी ज्यादा चमकदार है इसीलिए अविनाश के बिना बताये ही उसकी मेहनत दिखाई देती है | अविनाश की कंपनी जी किसी वक़्त एक छोटे से किराये के कमरे से शुरू हुई थी आज देश के सभी बड़े शहरों मैं कंपनी के ऑफिस थे , अरबों का सालाना पप्रॉफिट एवं कई हज़ार कर्मचारी | अविनाश के माता पिता जो कभी पैदल अपनी नौकरी पर जाते थे आज उसके लिए महंगी विदेशी कार वर्दी धरी ड्राइवर के साथ हर वक़्त मौजूद रहती है |
अविनाश ने बहुत मेहनत की आज भी मेहनत करता है इसके बावजूद अपने माता पिता के साथ बैठना उसे अच्छा लगता है और हर हफ्ते कुछ समय निकाल कर वह अपने माता पिता की ख़ुशी और सुविधा जानने के लिए उनके पास बैठता है | इसीलिए अविनाश के माता पिता निश्चिंत है की जैसा उन्होंने तय कर दिया है अविनाश वैसा ही करेगा, देखने जाना तो बस बदलते वक़्त की मात्र फोर्मलिटी है |
वैसे नमिता के माता पिता ने स्वतंत्र साधनों से जितना पता लगाया है उससे उनको यही जानकारी मिली है की अविनाश वही करेगा जो उसके माता पिता तय कर देंगे | इसीलिए नमिता के माता पिता भी निश्चिंत है फिर भी कहीं न कहीं थोड़ी आशंका तो है ही |
परन्तु क्या वास्तव मैं अविनाश वैसा ही करेगा जैसा उसके माता पिता चाहते है ?
यह सवाल जितना पेचीदा है उतना ही रहस्मयी भी है |
जब नमिता के पिता को अविनाश के बारे मैं पता चला तो वह अपने समधी के पास पहुंचे और अपनी मंशा जाहिर कि | पहले तो समधी महाशय अविनाश या उसके माता पिता को पहचान ही नहीं सके | याद दिलवाने पर रिस्तेदारी समझ मैं आयी तो आश्वासन दे बैठे की यदि रिस्तेदारी है तो कोई न कोई जानकर मिल ही जायेगा | और अगले ही दिन समधी साहब वर्मा जी के घर पहुँच गए | वर्मा जी और अविनाश के पिता एक ही गाओं मैं उत्पन हुए थे इसीलिए आज भी मिलने जुलने का सम्बन्ध था | वर्मा जी से ही समधी साहब को जानकारी मिली की अविनाश की शादी तो उसके माँ बाप ही तय करेंगे और अविनाश वही करेगा जो उसके माँ बाप कहेंगे |
वैसे वर्मा जी कभी अविनाश से नहीं मिले थे | जहाँ तक वर्मा जी को याद पड़ता है दो महीने पहले एक बार अविनाश ने तीस फ़ीट दूर से वर्मा जी को हाथ जोड़ कर नमस्ते जरूर की थी और बस इसके अलावा वर्मा जी ने अविनाश की आज्ञाकारिता के किस्से सुने या देखे थे | जैसे की एक बार जब वर्मा जी अविनाश के पिता के पास बैठे थे तब उन्होंने अविनाश को वर्मा जी के लिए पान खरीद कर लेन का हुक्म सुना दिया था | वैसे तो यह काम नौकर करता था परन्तु क्योंकि आदेश अविनाश के नाम लेकर दिया गया था इसीलिए अविनाश तुरंत ही नज़दीकी पान वाले से पान की कई बीड़े पैक करवा लाया | एक तरीके से अविनाश के पिता ने आज्ञाकारिता की परीक्षा ली या यूं कहा जाये की आज्ञाकारिता का प्रदर्शन किया और अविनाश उसमे खरा उतरा | अविनाश के माता पिता अवसर मिलने पर अपने आदेश की शक्ति की परीक्षा अक्सर करते रहते थी और अविनाश ने कभी भी उनको निराश नहीं किया | बस इतनी सी बात थी जिसके कारण वर्मा जी ने कह दिया को होगा वही जो अविनाश के माता पिता तय कर देंगे |
नमिता के पिता ने सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं किया बल्कि अपने स्वतंत्र सोर्स से पता लगाया | उनको पता चला की अविनाश के पुराने मकान के बगल मैं जो निर्मल बाबू रहते है उनके अविनाश से बहुत अच्छे सम्बन्ध है | और निर्मल बाबू नमिता के पिता के दोस्त के ऑफिस मैं क्लर्क है | तो उनको बुलाया गया पूछताछ के लिए और निर्मल बाबू ने इस बात पर पक्की मोहर लगा दी की वही होगा जो उसके माँ बाप तय कर देंगे |
वैसे निर्मल बाबू का किस्सा बस इतना सा है की एक दिन उनको ऑफिस के काम से अविनाश के मुख्य ऑफिस मैं जाना पड़ा | उनको बस कुछ बिल वहां पर एक क्लर्क को देकर आने थे | जब निर्मल बाबू वहां पहुंचे तब किसी पद के लिए इंटरव्यू चल रहा था और प्रार्थियों की लाइन मैं उनके मोहल्ले का एक लड़का भी मौजूद थे | निर्मल बाबू उस लड़के के पास रुक गए | बस एक सयोंग मात्र था की अविनाश के पिता ने निर्मल बाबू को देख लिया और पहचान भी लिया और उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की | अविनाश निर्मल बाबू को बुलाने स्वयं ही नीचे चले आये और अविनाश ने न केवल निर्मल बाबू को अपने पिता का सन्देश दिया बल्कि उनके घुटनों को भी स्पर्श किया (आजकल पाव तक नहीं झुका जाता बल्कि घुटनो तक ही झुका जाता है) और जब निर्मल बाबू अविनाश के पिता से साथ बैठे थे तब अविनाश उनके थोड़ी दूर खड़ा हुआ था | और उस दिन एक मिथक का जन्म हुआ की अविनाश अपने पिता के सामने बैठता नहीं जब तक की पिता आज्ञा न दे | वैसे सच बस इतना ही था की अविनाश उस दिन किसी सोच मैं डूबा हुआ था और उसे बैठने या खड़े रहने का ख्याल ही नहीं था | कुछ सयोग ऐसा रहा की निर्मल बाबू के जानकर का इंटरव्यू सफल रहा और मोहल्ले में यह बात फ़ैल गयी की निर्मल बाबू का अविनाश से बहुत खासम खास सम्बन्ध है | और निर्मल बाबू ने इस अफ़वाह का खंडन नहीं किया | वैसे निर्मल बाबू की अविनाश और उसके पिता से उसके बाद दोबारा कभी मुलाकात नहीं हुआ |
परन्तु निर्मल बाबू जैसे अपने सभी परिचितों को संतुष्ट करते थे वैसे ही नमिता के पिता को भी संतुष्ट कर दिया | शक की कोई गुंजाईश नहीं फिर भी जब अविनाश आ रहा है तो यह महत्वपूर्ण है और उसके लिए सब तेयारिया की गयी है |अविनाश को 11 बजे आना था और ठीक 11 बजकर कुछ सेकंड पर अविनाश की गाडी नमिता के पिता के घर के सामने थी | अविनाश के स्वागत की तैयारी की गयी थी परन्तु जब अविनाश पहुँचा तब कोई भी स्वागत के लिए मौजूद नहीं था किसी को यकीन नहीं था की थीं 11 बजे अविनाश उनके घर की घंटी बजा देगा | दरवाज़ा खोलते ही सामने अविनाश को देखकर एक बार तो नमिता के पिता बोखला गए परन्तु अनुभवी व्यक्ति थे अपनी बोखलाहट छिपाकर स्वागत किया और अविनाश को बढ़िया तरीके से सजे हुए ड्राइंगरूम मैं ले आये | फूल मालाओं एवं गुलाब जल के छिड़काव का इंतज़ाम किया गया था परन्तु परिस्थिति ऐसी बन गयी की बस जुबानी स्वागत ही कर पाए | फिर भी अविनाश का चेहरा देखा कर नमिता के पिता संतुष्ट थे |
नमिता एवं अविनाश के परिवार आपस में मिल चुके थे वर्तमान मुलाकात नमिता एवं अविनाश की ही थी इसीलिए चाय नाश्ते के बाद दोनों को अकेले छोड़ दिया गया | नमिता विशेष रूप से सजी धजी थी जबकि अविनाश लगभग वैसे ही आ गया था जैसे अपने खाली वक़्त में किसी भी सामान्य व्यक्ति को होना चाहिए | नमिता अविनाश से उसकी रुचि खाने पीने की आदतों, वक़्त पास करने के साधनों, उसकी इनकम कितना कुछ था जिस बारे में जानना चाहती थी जबकि अविनाश की इन सब बातों में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी वह बात करना चाहता था भविष्य के प्रोग्राम के बारे में |
अविनाश : हेलो
नमिता : हेलो
अविनाश : हाउ आर यू
नमिता : आई ऍम फाइन एंड यू
अविनाश : ग्रेट
नमिता : आप दिन में कितने घंटे काम करते है
अविनाश : जितनी आवश्यकता हो
नमिता : खाने मैं आपकी पसंद क्या है
अविनाश : वक़्त पर जो मिल जाये
नमिता : और खाली वक़्त मैं क्या करते है
अविनाश : जो इच्छा हो
नमिता : शायद इस बारे में बात नहीं करना चाहते
अविनाश : यह विषय महत्वपूर्ण नहीं है
नमिता : क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है की हम एक दूसरे के बारे मैं जाने जिससे की भावी ज़िंदगी खुश हाल हो सके
अविनाश : क्या एक पोलो खिलाड़ी और शेयर मार्किट का दिग्गज खुश हाल रह सकते है
नमिता : बिलकुल प्रीतपाल एवं रेशमा देश के मशहूर व्यक्ति है (काल्पनिक)
अविनाश : बिलकुल मैं उन्ही दोनों की बात कर रहा था
नमिता : विशेष तौर पर उनकी ही क्यों
अविनाश : दोनों की रुचियाँ बिलकुल अलग है फिर भी खुश हाल है
नमिता : फिर भी एक दूसरे के बारे मैं जानना सहायक हो सकता है
अविनाश : उसके लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी है
नमिता : आपकी नज़र मैं खुश हाल रहने के लिए क्या आवश्यक है
अविनाश : जीवन के प्रति नज़रिया
नमिता : वह कैसे
अविनाश : आपकी पढाई कहाँ तक है
नमिता : M.A.
अविनाश : शायद 2 वर्ष हो गए पढाई छोड़े हुए
नमिता : नहीं अभी P.Hd. में एडमिशन लिया हुआ है
अविनाश : P.Hd. में एडमिशन किस मकसद से लिया
नमिता : माता पिता चाहते थे की शादी कर दी जाये परन्तु सही पार्टनर की तलाश मैं कुछ समय तो लगना तय है ऐसे में कुछ तो करना ही था |
अविनाश : मतलब की P.Hd. करने का मकसद सिर्फ इतना है की खाली दिखाई न दे
नमिता : हा ऐसा ही कुछ
अविनाश : क्या यह समय की बर्बादी नहीं है
नमिता : कैसे
अविनाश : इन दो वर्षों मैं कुछ सकारात्मक भी तो किया जा सकता था
नमिता : जैसे की
अविनाश : जैसे की कुछ ऐसा जिससे बौद्धिक विकास मैं मदद मिल सके या कुछ ऐसा जिससे अपने पैरों पर खड़े होने मैं मदद मिल सके या कुछ ऐसा जिससे किसी ज़रूरतमंद की मदद हो सके
नमिता : समाज सेवा जैसा कुछ
अविनाश : बहुत सारे उपयोगी कामों मैं से यह भी एक है
नमिता : मेरे पिता अनाथ आश्रम को एवं कई मंदिरों को चंदा देते है
अविनाश : जाहिर है उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी काम किया है तो अब कुछ समाज सेवा भी कर लेते है यह अच्छी बात है
नमिता : पिछले महीने ही मेरे नाम से स्वामी जी को मंदिर निर्माण के लिए 2 लाख का डोनेशन दिया है
अविनाश : आपके पिता ने बहुत बढ़िया काम किया
नमिता : चेक मेरे नाम से दिया गया है
अविनाश : दिया तो आपके पिता ने है
नमिता : जाहिर है मेरी अपनी तो कोई कमाई नहीं है
अविनाश : तो क्या दो वर्ष मैं अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास नहीं करना चाहिए था
नमिता : माता पिता शादी करना चाहते थे
अविनाश : मैं अपने पैरों पर खड़े होने की बात कर रहा था
नमिता : मेरे पिता सम्पन व्यापारी है और मेरी शादी एक सम्पन व्यक्ति से ही होगी मुझे कमाने की जरूरत नहीं है
अविनाश : क्या ऐसा होना आवश्यक है
नमिता : हां ऐसा ही होगा
अविनाश : मान लीजिये की आपके पति को व्यापार मैं नुक्सान हो जाये और वह दिवालिया हो जाये
नमिता : आर्थिक ज़िम्मेदारी सामाजिक और कानूनी तौर पर पति की है यदि व्यापार मैं नुक्सान हो भी जाये तो भी उसे कुछ उपाय तो करना ही पड़ेगा
अविनाश : और पत्नी के तौर पर आपकी ज़िम्मेदारी
नमिता : घर की देखभाल और बच्चों की परवरिश
अविनाश : जैसे की
नमिता : खाना बनाना और खिलाना
अविनाश : उसके लिए अच्छे से अच्छे कुक को रखा जा सकता है सिर्फ दस हज़ार में | मेरे घर पर भी दो कुक है और हर सम्पन घराने मैं कुक रखा जाता है | मेरी माता भी रसोई मैं नहीं जाती बस सुबह बता देती है आज क्या बनेगा | ऐसे मैं मेरे घर पर आपके लिए तो कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं है
नमिता : घर पर और भी बहुत काम होते है
अविनाश : जैसे की
नमिता : घर की सजावट , रिश्तेदारों से मेल मिलाप , बच्चों की पढाई आदि
अविनाश : इनमे से कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसके लिए पत्नी की आवश्यकता हो यह सारे काम नौकर करते है | जैसे की सजावट आजकल डेकोरेशन एजेंसीज करती है | बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छे से अच्छे स्कूल मौजूद है |
नमिता : रिश्तेदारों से मेल मिलाप भी
अविनाश : रिश्तेदारों से मेल मिलाप के लिए एक डेडिकेटेड व्यक्ति की आवशकता तो नहीं होती
नमिता : ऐसे ही और भी कई काम है जो नौकर नहीं कर सकते
अविनाश : ऐसे बहुत सारे काम है
नमिता : बस वह सारे काम ही एक पत्नी की ज़िम्मेदारी है
अविनाश : हो सकता है | मान लीजिये मैं सड़क पर जाती हुई किसी भी लड़की से शादी कर लेता हूँ तो वह सारे काम तो वह लड़की भी कर लेगी
नमिता : कहना क्या चाहते है आप
अविनाश : सिर्फ पूछना चाहता हूँ की आप में क्या विशेषता है जिसके कारण मुझे आपसे शादी करनी चाहिए
नमिता : मैंने M.A. किया है और P.Hd. कर रही हूँ
अविनाश : हर साल हज़ारों लड़कियाँ M.A. करती है और P.Hd. आपने खुद कहा की टाइम पास है
नमिता : तो आप अपनी पत्नी मैं क्या विशेषता चाहते है
अविनाश : वही जो हर व्यक्ति मैं होनी चाहिए आत्मनिर्भरता
नमिता : मैं जब चाहे अच्छी नौकरी या अच्छा बिज़नेस चालू कर सकती हूँ
अविनाश : हां ऐसा संभव है परन्तु आपने आत्मनिर्भरता की अपेक्षा P.Hd. मैं एडमिशन लेकर वक़्त बर्बाद करना उचित समझा | आत्मनिर्भर होने का अर्थ नौकरी करना या व्यापार करना नहीं है |
नमिता : तब आत्मनिर्भरता क्या है
अविनाश : आत्मनिर्भरता एक अहसास है जो आपको बताता है की आपके पास दो हाथ काम करने के लिए , दो पैर भाग दौड़ करने के लिए , दो आँखें देखने के लिए , दो कान सुनने के लिए है आप स्वयं अपने पालन पोषण के लिए जिम्मेदार है न की आपका पति या कोई और आपको कमा कर खिालने के लिए जिम्मेदार है |
नमिता : तो आप चाहते है की आपकी पत्नी काम करे न की घर की देखभाल
अविनाश : क्या घर की देखभाल आत्मनिर्भरता का हिस्सा नहीं है ? यदि कुक नहीं है तो मैं खुद खाना बनाने के लिए रसोई मैं मेहनत भी कर लेता हूँ जरूरत होने पर साफ़ सफाई भी कर लेता हूँ
नमिता : तो आप अपनी पत्नी से क्या चाहते है
अविनाश : सिर्फ इतना की उसे यह पता हो की मैं ATM card नहीं हूँ बल्कि एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप मैं मैंने जन्म लिया है मेरी अपनी ज़िंदगी है और वह अपनी ज़िंदगी को अपने तरीके से तराशना जानती हो
नमिता : क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती ?
अविनाश : आप स्वयं कुछ बनने की बजाये अपना वक़्त बिता रही है ताकि कोई सम्पन व्यक्ति आपसे विवाह करके ले जाये और आपकी सब ज़िम्मेदारी उठाये
नमिता : तो आप मुझसे शादी करने से इंकार कर रहे है
अविनाश : स्पष्ट शब्दों मैं कारण सहित इंकार कर रहा हूँ
नमिता : क्या आपको यकीन है आप ऐसी पत्नी पा सकेंगे जैसी आप चाहते है
अविनाश : हो सकता है न पा सकूं
नमिता : तब आप क्या करेंगे किसी मेरी जैसे से ही शादी करेंगे
अविनाश : शादी करना मजबूरी तो नहीं है
नमिता : शारीरिक जरूरतें
अविनाश : हर किसी की शारीरिक जरूरतें है और पूरी भी होती है मेरी भी होती है
नमिता : आपके किसी से नाज़ायज़ सम्बन्ध है
अविनाश : सहमति के सम्बन्ध | ठीक वैसे ही जैसे आपके सुमित से है
नमिता : सुमित ने मुझे बहकाकर धोखे से ………
अविनाश : नहीं आप दोनों के सम्बन्ध सहमति के थे उसे वैसा ही रहने दीजिये
नमिता : ओह तो यह कारण है शादी से इंकार का
अविनाश : यदि यही कारण होता तो मुझे यहाँ आने की जरूरत नहीं थी मैंने फ़ोन पर ही इंकार भिजवा दिया होता | खेर मैंने अपना निर्णय आपको बता दिया है चलकर आपके पिता को अवगत करवा दिया जाये
नमिता : मेरा ख्याल था की आपके जाने के बाद आपके पिता फ़ोन पर इंकार करेंगे
अविनाश : यह मेरा निर्णय है और इसे मुझे ही घोषित भी करना चाहिए मेरे पिता मेरे निर्णय से सहमत या असहमत हो सकते है परन्तु निर्णय का पालन तो मुझे ही करना है |
नमिता एवं अविनाश के बीच लगभग 2 घंटे तक बातचीत हुई | नमिता बातचीत से संतुष्ट थी | नमिता के परिवार वाले लम्बी बातचीत के कारण लगभग मान चुके थे की अविनाश नमिता को पसंद कर चुका है | इस बीच अविनाश के पिता भी नमिता के पिता से फ़ोन पर बात कर चुके थे और उन्होंने शादी की तारीख भी तय कर रखी थी सिर्फ अविनाश को बताने की जरूरत थी | सब कुछ सही था |
सब कुछ सही था परन्तु यदि कोई व्यक्ति पूर्ण रूप से निश्चिंत थे तो वह थे अविनाश | अविनाश ने जाने से पहले नमिता के पिता से मुलाकात की और उनसे स्पष्ट शब्दों मैं कहा की में इस बात की आवश्यकता नहीं समझता की घर जाकर अपने माता पिता के माध्यम से सन्देश भिजवाऊं बल्कि जो निश्चय है उसे यही कह देना आवश्यक समझता हूँ मेरे विचार से मैं स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर हूँ और वैसी ही पत्नी चाहता हूँ | नमिता अच्छी लड़की है परन्तु उसमे आत्मनिर्भरता के नाम पर सिर्फ कुछ परिभाषाओं की जानकारी है अपनी लाइफ में उसने आत्मनिर्भरता को न तो अपनाया है और न ही अपनाने की आवश्यकता समझती है | उसे पत्नी के रूप मैं अपने अधिकारों के बहुत अच्छी जानकारी है परन्तु उसे आत्मनिर्भरता का कोई ज्ञान नहीं है | ऐसे में नमिता के लिए मेरा महत्व सिर्फ और सिर्फ उसका खर्च पूरा करने की मशीन जितना ही होगा | इसीलिए में इस विवाह के लिए कभी भी सहमति नहीं दे पाऊंगा |
अविनाश जब घर पहुंचा तब उसके पिता को समस्त घटनाक्रम की जानकारी मिल चुकी थी और सोच पूर्ण मुद्रा मैं बैठे थे | अविनाश का विचार था की उसे अपने पिता को स्पष्टीकरण देना पड़ेगा परन्तु ऐसी आवश्यकता नहीं पड़ी क्योंकि उसके पिता न केवल अविनाश के जन्म दाता थे बल्कि अविनाश की विचारधारा के जन्म दाता भी वही थे |
इस घटनाक्रम को तकरीबन 10 वर्ष गुजर चुके है इन 10 वर्षों में काफी कुछ हो चुका है | जैसे की नमिता की शादी करोड़पति घराने मैं हो गयी और आज 90 किलो वजन की सेठानी और दो बच्चों की माँ है | उसका पति उसके ख़र्चों से परेशान है परन्तु खर्च देते रहा उसकी मजबूरी है |
और आकाश 5 वर्ष पहले अपना व्यापार देश के बाहर विदेशों में ले गया और आज देश विदेश के व्यापार जगत का जाना माना नाम है | और अविनाश का वैवाहिक जीवन ? अविनाश ने 6 वर्ष पहले शादी की और उसका वैवाहिक जीवन एक आदर्श नहीं परन्तु एक पहेली अवश्य है, एक खूबसूरत पहेली | परन्तु उस बारे मैं किसी और वक़्त बात करेंगे आज बस यही विदा लेते है |