मैं भी हूँ आज की नारी
न अबला, न बेचारी
अपने दम पर जीती हूँ मैं
न जीवन से कभी मैं हारी
पर सवाल मेरा है उस नारी से
जो खुद को कहती बेचारी
हर बात में देती दोष पुरुष को
जैसे हो समाज की मारी
वो कहती है मैं दुर्गा,
मैं सीता का रूप हूँ
वो कहती है मैं राधा,
मैं काली का स्वरूप हूँ
ये बोल हैं आज की नारी के
माँ बाप की उस दुलारी के
जो खुद को सीता बतलाती है
पर झूठ को सच बनाती है
जो राम को कहती अत्याचारी
पर खुद तोड़े मर्यादा सारी
जो कृष्ण को ग़लत ठहराती है
खुद हर गलती दोहराती है
100 बार झूठ बोल कर भी जो
अंत मे सीता बन जाती है
अरे तुम क्या जानो माँ सीता को
जो पूर्ण त्याग की मूरत थी
कैसे कह दूं तुझको राधा
जो निष्ठा प्रेम की सूरत थी
तू ईर्ष्या से है भरी हुई
ममता प्रेम से बिल्कुल खाली
तू कहलाएगी माँ दुर्गा?
जो बड़े बुज़ुर्ग को देती गाली
माँ दुर्गा है जगत की माता
ममता और स्नेह की गाथा
नहीं आसान है ऐसा बनना
देवी स्वरूप के जैसा बनना
आज की नारी का यही विचार
पति माँ बाप को करे दरकिनार
पैसे का लालच भरा हुआ
संसार है इनसे डरा हुआ
कानून को ये समझे बच्चा
घबरा जाए इनसे अच्छा अच्छा
नशा है करती, शराब भी पीती
पैसे के लिये झूठ बोलती
100 पाप कर के यदि उंगली उठे
अपना असली रूप खोलती
दुर्गा राधा या हो सीता
जीवन इनकी पूजा में बीता
देवी के नाम से न खुद को जोड़
एक दिन होगा तेरा भंडा फोड़
मैं भी औरत और माँ का रूप
बहन बेटी और ममता खूब
पर कड़वा सच एक बताती हूँ
झूठी महिलाओं सिखाती हूँ
न करो बदनाम भगवान को
राम कृष्ण के नाम को
समर्पित थे ये संसार को
सच्ची भक्ति और प्यार को
तुम देती हो इनको ही गाली
शर्म करो ए कलयुग वाली
मेरा बस ये एक कथन है
जीवन मे बस ये ही वचन है
तुम नही बन सकती दुर्गा या काली
कार्य करती सारे बवाली
बिल्कुल गलत है ये तुलना करना
पड़ेगा तुझे उस भगवान से डरना
कथन ये मेरा नहीं है ऐसा
जो हर महिला को कहे बुरा
मेरी लड़ाई बन उस महिला से
जो झूठ बोल बने दुर्गा
ऐसी नारी को मेरा सन्देश
नारी शब्द को न कर बदनाम
बेटी बहन और माँ है औरत
न कर खराब तू उनका नाम