Dr.G.Singh
प्रथम आयाम : निशा एवं आकाश स्कूल में एक साथ पढ़े उसके बाद कॉलेज में भी एक साथ गये । दोनो के घर भी आस पास थे दोनो सुबह इकठे कॉलेज जाते और कॉलेज के बाद इकठे ही वापिस आते । दिन में भी बहुत सारा समय एक साथ गुजरता था । लंबा समय साथ साथ रहने के कारण आकर्षण होना स्वाभाविक था । धीरे धीरे आकर्षण प्यार में बदल गया । जल्द ही आकाश को एक ही कंपनी मैं नौकरी मिल गयी अच्छा पद और वेतन | आकाश चाहता था की अब शादी की बात आगे बड़े | निशा भी चाहती थी की जल्द से जल्द शादी हो जाये आखिर आकाश अपने पैरों पर खड़ा हो गया था कोई परेशानी नहीं थी | शादी के मामले को कैसे आगे बढ़ाया जाये अभी इस विषय पर विचार किया ही जा रहा था की निशा को भी अच्छी नौकरी का अवसर मिल गया सैलेरी आकाश से अधिक | आकाश खुश था क्योंकि डबल इनकम होने से उनका स्टेटस अधिक अच्छा बन सकता था | जब आकाश ने निशा से बात की तो उसे धक्का लगा क्योंकी निशा ने आकाश से शादी करने से इंकार कर दिया था | उसका तर्क था की निशा की सैलेरी आकाश से अधिक है इसीलिए आकाश उसे उसके स्टेटस के अनुसार लाइफ नहीं दे पायेगा | जब आकाश ने कहा की दोनों की सैलेरी मिलकर हम दोनों अच्छा जीवन बिता सकते है तब निशा ने उसे बड़ी रुखाई से समझा दिया की घर खर्च चलना और स्टेटस बनाये रखना आकाश की ज़िम्मेदारी है और निशा की इनकम पर आकाश की नज़र उसके लालच से अधिक कुछ नहीं | आकाश दुखी होते हुए भी प्रसन्न था क्योंकि कुछ लोग पूरा जीवन ग़लतफहमी मैं गुजार देते है जबकि आकाश को वक़्त से पहले समझ आ गयी थी |
दूसरा आयाम : निशा और आकाश दोनों अच्छी नौकरी कर रहे थे दोनों की नौकरी एक ही शहर मैं थी इसीलिए दोनों इकठे रह सकते थे जिससे खर्चा भी बच रहा था दोनों खुश थे | घर के बिल और दूसरे खर्च आकाश के ज़िम्मेदारी थे और वह इस ज़िम्मेदारी को निभा भी रहा था | निशा की अधिकांश सैलॅरी बैंक मैं ही रहती उसका अपना निजी खर्च के अलावा अन्य कोई खर्च निशा नहीं कर रही थी | फिर एक दिन दोनों ने अपना फ्लैट लेने का विचार किया और एक अच्छा फ्लैट बुक भी कर दिया | इनकम टैक्स एवं अन्य कारणों से फ्लैट निशा के नाम ख़रीदा गया | अब परिस्थितियाँ बदलने के साथ आकाश को एकॉनिकाल सपोर्ट की आवश्यकता महसूस होने लगी इसीलिए आकाश ने निशा से इलेक्ट्रिसिटी एवं कुछ अन्य बिल भरने के लिए कहना शुरू कर दिया | निशा का बैंक बैलेंस बढ़ने की रफ़्तार कम हो गयी जोकि निशा को पसंद नहीं आ रहा था नतीजा उसके स्वभाव मैं चिड़चिड़ापन आ गया और तकरीबन हर रोज़ चिक चिक होने लगी | चिक चिक इस हद तक बाद गयी की निशा और आकाश के पैरेंट को बीच बचाव करना पड़ा परन्तु जब इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ तब मामला पुलिस और कोर्ट तक भी जा पहुँच | लोकल अखबार निशा की दर्दनाक जीवनी से भरे हुए थे और सरकार निशा को सम्मानित करने की तैयारी कर रही थी आखिर निशा ने इकोनोमिकल एब्यूज के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत की थी |