पुरुषों के साथ घरेलू हिंसा

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ब्रिजेशकुमार

किसी भी देश का निर्माण उसके समाज से होता है और समाज का निर्माण उसकी मान्यताओं, परम्पराओं व न्यायिक आधार पर विकसित परिवारों से होता है। हमारे भारतीय समाज में महिला व पुरुष भारतीय परिवारों का आधार स्तम्भ होते हैं। जहाँ हमेशा से ही महिलाओ को देवी का सम्मान दिया गया है और परिवार की पूरी डोर इन्हीं के हाथों में सौंपी जाती है । लेकिन इसके बाबजूद भी आज के समय में वोट बैंक की राजनीति के कारण समाज को लिंग के आधार पर बाँटने का काम लगातार पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है । एक सोची समझी साजिश के तहत पश्चिमी सभ्यताओ को झूठे महिला सशक्तिकरण (पत्नी या प्रेमिका सशक्तिकरण) के नाम पर समाज को तोड़ने के लिए थोपा जा रहा है जिसकी वजह से पुरुषों के अस्तित्व पर खतरा होने लगा है ।

अपराध का कोई लिंग (जेंडर) नहीं होता है लेकिन आज का अंधविकसित समाज जोकि जन्म से महिलावादी है यह सत्य मानने को तैयार नहीं है कि पुरुषों पर महिलाओं द्वारा घरेलू हिंसा की जा रही है । मैं बात कर रहा हूँ पुरुषों पर उनकी पत्नी या प्रेमिका द्वारा घरेलू हिंसा कारित करने की। पर ये जन्म से महिलावादी समाज के साथ-साथ सरकार व ,न्यायपालिका भी ये मानने को तैयार नही है कि, पुरुषों को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है । इस विषय पर न समाज बात कर रहा है, न सरकार बात कर रही है और न ही न्यायपालिका इस बात को स्वीकार कर रही है। देश मे सिर्फ कुछ ही लोग संवाद कर रहे हैं और आवाज उठा रहे है वो लोग हैं सेव इंडियन फैमिली मूवमेंट से जुड़े लोग।

पुरुषों क साथ विभिन्न तरह की घरेलू हिंसा हो रही है जैसे शारीरिक हिंसा, आर्थिक हिंसा,मानसिक हिंसा ,लैंगिक हिंसा,शाब्दिक हिंसा एवं भावुक हिंसा आदि ।

शारीरिक घरेलू हिंसा: कई पुरुषों के साथ उनके साथी (पत्नी ,प्रेमिका या लिव –इन साथी) द्वारा की जाती है जैसे हाथापाई करना ,दांत से काटना ,घरेलू बर्तन ,डंडा ,झाड़ू आदि से मारपीट करना ।

आर्थिक हिंसा : कई पुरुषों के साथ उनके साथी (पत्नी ,प्रेमिका या लिव –इन साथी ) द्वारा की जाती है जैसे अत्यधिक कीमती चीजों कीमती कपड़ों ,कीमती गहनों की मांग या पुरुष की सैलरी छीन लेना या महिला द्वारा अपने मायके वालों क लिए पैसे मांगना ।

लैंगिक हिंसा : कई पुरुषों क साथ अक्सर उसके साथी (पत्नी ,प्रेमिका या लिव –इन साथी) द्वारा कार्यस्थल से थका हरा घर आता है लेकिन उनके साथी जबरन सम्भोग करने की मांग की जाती है । पुरुष के मना करने पर उसे नपुंसक कहा जाता , समाज में उसकी बदनामी की जाती है । पुरुष को उनके साथी द्वारा विभिन्न तरीके से अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध बनाने को मजबूर किया जाता है ।

शाब्दिक हिंसा : कई पुरुषों के साथ उनके साथी (पत्नी ,प्रेमिका या लिव –इन साथी ) द्वारा की जाती है जैसे कि उन्हें गाली देना, उन्हें उल्टा बोलना ,गाली देना ,उनका नाम बिगाड़ना आदि ।

भावुक हिंसा : कई पुरुषों के साथ उनकी साथी (पत्नी ,प्रेमिका या लिव –इन साथी ) द्वारा की जाती है जैसे कि पुरुष को अपने पिता माता से अलग रहने की जिद करना ,पुरुष को अपने घर वालों से बात न करने देना ।सरकार पुरुषों पर घरेलू हिंसा के आंकड़े एकत्र नही करती है न ही कोई सर्वे करवाती है। सन् 2007 में सेवइंडियनफैमिलीमूवमेंट के बरिष्ठ सदस्य श्रीमान स्वरुप सरकार जी द्वारा एक सर्वे पुरे भारत वर्ष 1650 पुरुषों पर करवाया गया जिसमे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये जोकि इसप्रकार हैं:-

IndiaTotal%
People Interview1650
Physical Violence41625.21 %
Verbal/Emotional Ciolence36822.30 %
Economic Violence54132.79 %
Sexual Violence29217.70 %
No Violence332.0 %
Total1650

Source: https://ipc498a.files.wordpress.com

उत्तर प्रदेश पुलिस के डायल 100 के वर्ष 2016 के आंकड़ो के अनुसार उनके पास 6000 से अधिक कॉल पुरुषों ने करके घरेलू हिंसा की शिकायत की।
इसके साथ ही यूनाइटेड नेशंस के सर्वे के मुताबिक भारत दुनिया का तीसरा देश है जहाँ पति अपनी पत्नी के द्वारा सबसे अधिक पीटे जाते हैं।

Ref [1]
Ref [2]

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक हर साल भारत देश के अंदर लगभग 91000 पुरुष आत्महत्या करते हैं, जिसमे से 24% आत्महत्या की वजह घरेलू वाद-विवाद है ।

सेव इंडियन फैमिली मूवमेंट के तत्वाधान में सबसे बड़ी एकल पुरुष हेल्पलाइन SIF-ONE चलाई जाती है जिसका नंबर 8882498498 है।जिस पर हर महीने लगभग 6000 से अधिक कॉल्स आती हैं जिसमे पुरुष उनकी साथी द्वारा की गई हिंसा के बारे में भी बताते हैं।

इस प्रकार भारत में पुरुषों के साथ घरेलू हिंसा चरम स्तर पर होने क बावजूद भी घरेलू हिंसा कानून सिर्फ महिलाओ के लिए है जो कि खुलेआम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 21 का उल्लंघन करता है ।इसके साथ साथ भारत United Declaration of Human Right का सदस्य है जिसके अनुच्छेद 6 के अनुसार “सभी व्यक्ति कानून के सामने बराबर हैं”, इस तरीके से भारत का मौजूद घरेलू हिंसा कानून United Declaration of Human Right के अनुच्छेद 6 का भी उल्लंघन करता है ।यहाँ यह भी बताना आवश्यक है की दुनिया के कई देशों के साथ-साथ पाकिस्तान जैसे देश में भी घरेलू हिंसा कानून लिंग पक्षपातीय नहीं है ।

देश क अंदर सेव इंडियन फैमिली मूवमेंट के तत्वाधान में 40 से अधिक गैर सरकारी संगठन पुरुष आयोग के गठन के साथ साथ जेंडर न्यूट्रल कानून की मांग लम्बे वक्त से कर रहे हैं। देश की सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

Reference

  1. https://www.khaleejtimes.com/international/india/india-among-countries-where-women-beat-their-husband
  2. https://www.khaleejtimes.com/international/india/india-among-countries-where-women-beat-their-husbands