THE LAND OF KINGS
Chapter 003
The Lake & Monster
The Land of Kings is a story or the life of a kid who born and live in difficult conditions but finally rise to rule. The time period of story is very very old, even when the time was not even counted.
Chapter 003 : The Lake & Monster
नवरंग जब अपने बाकी दोस्तों के पास वापिस लोटो 4 दिन बीत चुके थे इस 4 दिनों के दौरान नवरंग लगातार मेहनत करता रहा था वह बहुत ज्यादा थका हुआ था इसीलिए वापिस आते ही वह सोने चला गया सोने से पहले उसने पास के चमकीले पत्थर उसने गुफा मैं एक तरफ डाल दिए |
नवरंग के बाकि सब दोस्त नवरंग की वापसी से खुश थे चमकीले पत्थर उनको आकर्षित कर रहे थे परन्तु यह दिन का व्यस्त हिस्सा था रात होने से पहले उनको काफी काम निबटने थे इसीलिए किसी को नवरंग से बातचीत करने का अवसर नहीं थे परन्तु जैसे जैसे दिन बीत रहा था सभी की व्याकुलता बढ़ रही थी | अँधेरा होने से पहले नवरंग भी जाग गया सबने मिल कर रात का खाना ख़तम किया और उसके बाद नवरंग की यात्रा का वर्णन सुनने के लिए आग के चारो तरफ बैठ गए |
नवरंग अपनी यात्रा का वर्णन सुनाता जा रहा था बिच बीच मैं उसका मित्र जो यात्रा में उसके साथ थे भी उसकी सहायता कर रहा था कई दिन की यात्रा का वर्णन सुनाने मैं नवरंग को तकरीबन आधी रात गुजर गयी परन्तु वर्णन सुनने के पश्चात् उसके सभी मित्र सुरक्षित बाहर निकलने के रस्ते तथा रस्ते मैं आने वाली कठिनाइयों से पुरी तरह जानकर हो चुके थे | सभी इस बात पर सहमत थे की तलाश किये गए रस्ते को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता है जिसके लिए उनके पास वक़्त की कमी नहीं थी इसके अलावा उनको गुफा के अंत तक जाकर देखने की उत्सुकता भी थी | परन्तु मुख्य फैसला यही लिया गया की उसी गुफा मैं कुछ बदलाव करते हुए नवरंग अपने मित्रों के साथ वहीं पर लम्बा समय गुजर सकता था इसीलिए २ भागों मैं बंट जाना उचित होगा पहली टीम खाने का इंतज़ाम करेगा जबकि दूसरी टीम गुफा मैं आवश्यक बदलाव और उसके लिए आवश्यक सामान का इंतज़ाम करेगा |
नवरंग उस टीम को नेतृत्व देने वाला था जिसके जिम्मे गुफा मैं सुधर आया था | वह रात सभी ने शांति से गुजारी अगले कुछ दिन भी बिना किसी विशेष कार्य के गुजर गए इन दिनों मैं लगातार धुंध का आना और रात भर गुफा के आगे मंडराते रहना जारी था परन्तु नवरंग और उसके साथी निश्चिन्त थे नवरंग को यात्रा से वापिस आये हुए 1 महीना गुजर चूका था अब तक नवरंग अपने टीम के साथ गुफा को रहने लायक बनाने मैं व्यस्त रहा था उन लोगो ने गुफा के शुरू के हिस्से को पत्थर की दीवारों से कई भागों मैं बाँट लिया था जहां पर वह अपने अलग अलग सामान को सुरक्षित रखते थे | पानी तथा सूखे फलों का बड़ा भंडार इकठा हो गया था इसीलिए उनको चिंता नहीं थी गुफा भी रहने लाया बन गयी थी इसीलिए नवरंग अब दुबारा से यात्रा पर जाने मैं रूचि दिखा रहा था उसका मकसद बहार जाने के तलाश किये गए रस्ते को तेज़ तथा सुरक्षित बनाने के अतिरिक्त गुफा के अंत तक जाकर देखना भी था |
फिर एक दिन नवरंग अपने २ साथियों को लेकर यात्रा पर निकल गया इस बार यात्रा तेज़ और सुरक्षित थी क्योंकि उनको पता थे कहाँ और कैसे जाना है | अगले कई दिन नवरंग ने अपने साथियों के साथ छोटे रस्ते को बड़ा बनाने मैं गुजरे इस दौरान निकलने वाले चमकीले पत्थर जोकि हज़ारों मैं थे उनको गुफा के मुख्य हिस्से मैं इकठा किया गया रस्ते को साफ़ किया गया और उसे बड़ा बना दिया गए इसके पाश्चत रस्ते को छोटे पत्थरों तथा छोटी झाड़ियों से ढक दिया गया |
अब नवरंग ने गुफा के आखिरी हिसे की तरफ यात्रा शुरू की | इस यात्रा के दौरान उनको कई और रस्ते भी दिखाई दिए | कई रास्तों को उन लोगों ने बंद कर दिया और कई दूसरे रास्तों मैं दाखिल होकर वह लोग किसी दूसरे पहाड़ की चोटी पर या किसी पहाड़ के पैर पर भी निकल सकते थे ऐसे कई और रस्ते साफ़ किये गए सुविधा अनुसार उन्हें बड़ा तथा साफ़ बनाया गया जरूरी होने पर कई रास्तों को बंद भी किया गया | कई महीनों की मेहनत के बाद गुफा नवरंग और उसके दोस्तों के लिए सुरक्षित बन गयी थी |
कई दिनों की म्हणत के बाद नवरंग और उसके मित्र इतना जान गए थे की उस गुफा का सम्बन्ध आस पास के तकरीबन सभी पहाड़ों से है | परन्तु अभी नहीं नवरंग गुफा के आखिर तक नहीं जा पाया था | लगातार चलते रहने के बाद आखिर नवरंग अपने मित्रों के साथ एक ऐसी जगह पर पहुँच गया जो की गुफा का अंत लग रही थी परन्तु यह ऐसी जगह नहीं थी को उनको खुले आसमान के निचे ले आयी हो परन्तु यह ऐसी जगह थी जहाँ पर चारो तरफ पानी ही पानी था और चारों तरफ अँधेरा जिसके कारण यह पता लगा पाना की पानी कितनी दूर तक फैला हुआ है तकरीबन नामुमकिन था | नवरंग ने सोचा की शायद रात होने के कारण अँधेरा है इसीलिए उनको इंतज़ार करना चाहिए परन्तु कई घंटों के आराम के बाद भी जब रौशनी दिखाई नहीं दी तब नवरंग सोचने पर मजबूर हुआ की शायद यह जगह पहाड़ के गर्भ मैं छिपा हुआ कोई पानी का बड़ा तालाब है जहां तक सूरज की रौशनी पहुँच नहीं पा रही | तब नवरंग ने अपने दोस्तों के साथ पानी के किनारे किनारे आगे बढ़ना शुरू किया कई घंटो की यात्रा के बाद सभी एक ऐसी जगह पर पहुँच गए जहां पर समतल ज़मीन छोटी छोटी चटानों का रूप ले रही थी जैसे जैसे आगे बड़े चटानों का साइज भी बढ़ने लगा | यहां पर चटानों के बीच कई गहरे गढ़े बने हुए थे गढ़ों की श्रंखला बहुत दूर तक जा रही थी
दिखने मैं गढ़े सामान्य लग रहे थे परन्तु इनकी गहराई का अनुमान लगा पाना लगभग नामुमकिन था | नवरंग ने एक गढ़े के मुँह पर रौशनी करके अंदर देखने की कोशिश की परन्तु उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया उसने अन्य कई गढ़ों के अंदर भी देखा परन्तु कुछ अनुमान लगा पाना नामुमकिन था काफी देर तक चलने के बाद नवरंग को महसूस हुआ की अब गढ़ों मैं से हलकी हलकी हवा बाहर आ रही थी जिसके कारन सिटी जैसी आवाज़ पैदा होने लगी थी | हलाकि आवाज़ मधुर थी और बहुत धीमी थी परन्तु अँधेरे और आस पास के माहौल के कारण एक किस्म का डर पैदा कर रही थी उत्सुकता वश नवरंग ने एक गढ़े के अंदर देखने की कोशिश की तो उसे कुछ हिलता हुआ महसूस हुआ इसके अतिरिख कोई और अनुमान नहीं लगा पाया नवरंग ने अन्य कई गढ़ों मैं भी देखा कुछ उसे पहले की तरह खाली दिखाई दिए जबकि कुछ के अंदर हल्की हलचल महसूस हुई
नवरंग ने गढ़ों के अंदर का हाल जानने के लिए एक प्लान बनाया प्लान के मुताबिक सब लोगों ने मिलकर तालाब के आस पास की ज़मीन को खोद कर इस प्रकार का इंतज़ाम किया की पानी को एक हलचल वाले गढ़े तक लाया जा सके उसके बाद सभी लोग एक नज़दीकी पत्थर के पीछे छिप गए | जब सभी दोस्त अच्छी तरह छिप गए तब नवरंग ने एक आखिरी वार करते हुए तालाब का पानी एक गढ़े मैं डाल दिया |
कुछ ही देर मैं भयानक आवाज़ करता हुआ पानी एक गढ़े मैं ऊपर तक भर गया धीरे धीरे पानी की भयानक आवाज़ बंद हो गयी परन्तु गढ़े के पानी मैं हलचल अभी भी जारी थी कुछ और समय गुजरने के बाद नवरंग के गढ़े के ठीक ऊपर एक भूरे रंग का तकरीबन १ फ़ीट लम्बाई का अजीबो गरीब जानवर देखा ध्यान से देखने पर उसके १ दर्ज़न से ज्यादा पाऊँ दिखे परन्तु सबसे विचित्र उसका पूँछ वाला हिस्सा था पूँछ की लम्बाई का अनुमान लगाना तकरीबन नामुमकिन था नवरंग जितना देख सकता था उसके मुताबिक उसकी पूँछ उसके जिस्म से तकरीबन २ गुनी लम्बी थी और पानी के अंदर कितना हिस्सा है यह बता पाना नामुमकिन था
गढ़े से निकला जीव तेज़ी से एक अन्य गड़े की तरफ जा रहा था उसकी पूँछ का कुछ हिस्सा अभी भी गढ़े के अंदर था कुछ देर पहले तक हवा साफ़ थी परन्तु अब हवा मैं एक विशेष प्रकार की गंध फ़ैल चुकी थी इस गंध को न तो बुरा कहा जा सकता था न ही अच्छा परन्तु ऐसी गंध नवरंग ने पहले कभी नहीं महसूस की थी जीव का ज्यादातर हिस्सा एक अन्य गढ़े के अंदर चला गया था परन्तु पूँछ अभी तक बाहर थी तभी नवरंग ने तालाब के पानी मैं भयानक हलचल महसूस की और किसी बहुत बड़े जानवर ने पानी मैं से ज़मीन पर छलांग लगाई और गढ़े से निकले जीव की पूंछ पकड़ कर उसे खींचते हुए पानी मैं ले गया
पूरे काम मैं बहुत ही काम समय लगा परन्तु नवरंग इतने मैं महसूर कर चूका था की पानी मैं से बाहर आने वाला जानवर अपने आप मैं विशेष था उसका साइज नवरंग के अनुमान से बहुत बड़ा था हलाकि जानवर की सही आकृति का अनुमान एक झलक से लगा पाना नामुमकिन था परन्तु फिर भी नवरंग यह कह सकता था की वह कोई छोटे पैरों वाला तथा बहुत बड़े शरीर वाला बड़ा जानवर था जिसके मुँह मैं दन्त बड़े और तीखे थे जोकि उसे शिकारी जानवर का दर्ज़ा दिलवा सकते थे
यह अनुमान लगाना आसान था की मॉन्स्टर का शिकार गढ़े मैं रहने वाला जीव है परन्तु यह कह पाना नामुमकिन था की नवरंग और उसके दोस्त का भी शिकार हो सकता था या नहीं सब दोस्त पत्थर के पीछे छिपे हुए थे और डर से काँप रहे थे धीरे धीरे हवा मैं मिली हुई गंध भी गायब हो गयी काफी देर बाद नवरंग अपने दोस्तों के साथ वापिस लौट आया अब वह सब तालाब से एक सुरक्षित दूरी बनाये हुए थे और आगे का प्लान बना रहे थे
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