Agyat Sanyasi
The Land of Kings is a story or the life of a kid who born and live in difficult conditions but finally rise to rule. The time period of story is very very old, even when the time was not even counted.
Chapter 003 : THE Lake & Diamonds
नवरंग एवम मित्रों के पास रात गुजरने के लिए गुफा एवम खाने की व्यपवस्था के लिए जंगलों से प्राप्त होने वाले फल थे | परन्तु समस्या हर रात आने वाली फोग थी जिससे कोई खतरा था भी या नहीं यह कह पाना तकरीबन नामुमकिन ही था | फोग और उससे जुड़े हुए खतरों के बावजूद अपनी सुरक्षा के लिए नवरंग और उसके दोस्तों के पास गुफा से बेहतर जगह नहीं थी | परन्तु वह अनदेखे खतरों को नज़रअंदाज़ भी नहीं कर सकते थे | काफी सोच विचार के बाद यह फैसला किया गया की वह लोग गुफा से बहार निकलने का कोई अन्य रास्ता तलाश करेंगे अगर ऐसा कोई रास्ता नहीं मिला तो वह अपने रहने की जगह बदल देंगे |
सोच विचार के बाद पूरा समूह दो भागों मैं बाँट दिया गया | पहला ग्रुप जिसमे नवरंग खुद था उसने गुफा से बहार निकलने का अन्य रास्ता तलाश करने अथवा बनाने का काम खुद के जिम्मे लिए एवं दूसरा ग्रुप नज़दीक से अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए त्यार था | जैसे ही सूरज की रोशनी दिखाई दी फोग अपने आप मैं सिमट गयी दोनों समूहों ने अपना अपना रास्ता चल पड़े | नवरंग और उसके सहयोगी को गुफा के अंदर की तरफ रास्ता तय करना था क्योंकि अगर कोई अन्य रास्ता हो सकता था तो गुफा के दूसरे कोने पर ही हो सकता था | परन्तु गुफा बहुत लम्बी थी और अँधेरे के कारन यह जानना नामुमकिन था की दूसरे सिरे पर क्या था
गुफा का लम्बा होना अपने आप मैं एक अच्छा संकेत था क्योंकि अगर दूसरे सिरे पर अन्य रास्ता मिल जाता तो नवरंड जरूरत पड़ने पर अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी से बहुत दूर निकल सकता था बिना गुफा से बहार आये ही | नवरंग ने एक लकड़ी के सिरे पर आग जलाकर उसे मशाल का रूड दिया और गुफा के दूरसे सिरे की तरफ चल पड़ा | सावधानी के लिए उन्होंने कुछ फल और खाने पीने का अन्य सामान भी साथ ले लिए | धीरे धीरे नवरंग गुफा मैं गए की यह अहसास ही ख़तम हो गया की पीछे कोई रास्ता भी है | अँधेरे मैं नवरंग के पास रात दिन का पता करने का भी ध्यान नहीं था वह सिर्फ चल रहे थे | थक जाने पर एक जगह रुक कर नवरंग और उसके सहयोगी ने कुछ फल खाये और कुछ देर आराम भी किया उसके बाद फिर आगे चल पड़े | चलते चलते दोनों इतना थक गए की उन्होंने अपने साथ लाया हुआ सामन वहीँ छोड़ दिया और सिर्फ पानी के साथ आगे बाद गए | कुछ देर बाद जब दोनों थक गए और वापिस लौटने के बारे मैं सोचने लगे | जैसे ही नवरंग अपने मित्र की तरफ पलटा रोशनी मैं उसे एक छोटा छेद दिखाई दिया | छेद दिवार मैं इस तरह बना हुआ था की आगे बढ़ते हुए उसे नहीं देखा जा सकता था परन्तु वापसी के वक़्त आसानी से दिखाई दे जाये | नवरंग को उम्मीद थी की वह छेद उसे गुफा से बहार ले जा सकता है इसी लिए फ़िलहाल वापिस लौटने का इरादा बदल कर नवरंग उस छेद की तरफ चला गया | छेद बहुत बड़ा नहीं था उसमे १ आदमी आराम से लेट कर आगे बाद सकता था | नवरंग और उसके पीछे पीछे उसका सहयोगी मित्रर भी उस छेद मैं आगे रेंग गए | कई घंटो तक छेद मैं रेंगने के बाद नवरंग का सर खुली हवा मैं आ गया | थोड़ी देर बाद नवरंड एक अँधेरी जगह पर अपने पैरों पर खड़ा था |
इस वक़्त जहाँ नवरंग और उसका दोस्त खड़े थे वहां पर पूरा अन्धकार था परन्तु ताज़ी हवा के कारन दोनों जानते थे की जल्द ही दोनों खुली जगह पर होंगे | छोटी गुफा मैं रेंगने के दौरान मशालें बुझ चुकी थी और दोनों को देखने मैं परेशानी हो रही थी परन्तु अंदाज़े से ही दोनों एक तरफ को चल पड़े | कुछ दूर चलने पर ही गुफा मैं हलकी सी रौशनी दिखाई देने लगी | धीरे धीरे दोनों दोस्त खुली हवा मैं एक पहाड़ी के ऊपर खड़े थे | जिस पहाड़ी पर दोनों दोस्त खड़े थे वहां से वह अपनी गुफा का मुँह और गुफा के आस पास फल इकठे करते अपने अन्य दोस्तों को देख सकते थे परन्तु दूरी इतनी ज्यादा थी की ना तो वह उनको पेहचान सकते थे और न ही उनकी आवाज़ वह सुन सकते थे | इसके बावजूद दोनों दोस्तों ने अपने अन्य दोस्तों को कई आवाज़ें लगाई |
अब दोनों दोस्तों को वापिस लौटना था परन्तु वापसी के लिए जरूरी चीज़ों का इंतज़ाम भी करना था | नवरंग ने नयी मशालों का इंतज़ाम किया और अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर दी | दोबारा दोनों दोस्त उन्ही छोटी सुरंगो मैं रेंग रहे थे | माहौल घुटन भरा था परन्तु इस बार दोनों के पास मशालें थी मशालों की रोशनी मैं दोनों दोस्त आस पास देख प् रहे थे | छोटी गुफा वास्तव मैं छोटी छोटी गुफाओं का जाल था जिसमे से कई गुफाएं अलग अलग तरफ जा रही थी | इसके अलावा जगह जगह पर दीवारों के तेज़ चमक भी दिखाई दे रही थी | चमक मशालों की रोशनी के कारन थिस परन्तु जब रोशनी कहीं विशेष जगह पर पड़ती तो चमक अचानक कई गुना बाद जाती |
यह चमक एक विशेष चमकीले टुकड़ों से आ रही थी | उत्सुकतावश नवरंग ने एक टुकड़ा उठा लिया और उसे देखने लगा | जल्द ही नवरंग उन चमकीले पत्रों मैं खो गया और उसने और उसके सहयोगी ने बहुत सरे छोटे और बड़े चमकीले टुकड़े इकठे कर लिए | उन दोनों को नहीं पता था की यह चमकीले पत्थर किस काम आ सकते है परन्तु सिर्फ उत्सुकतावश ही दोनों ने कई टुकड़े इकठे कर लिए |
जल्द ही दोनों बड़ी गुफा मैं आ गए जहाँ से वह अपने दोस्तों के पास जा सकते थे | नवरंग ने लकड़ी के कई निशान बनाये जिससे को वह उस जगह को दुबारा पहचान सके | और एक लाभ यात्रा करते हुए दोनों अपने दोस्तों के पास पहुँच गए | वापिस आने के बाद उन्होंने जाना की उनकी यात्रा तकरीबन ४ दिन लम्बी थी दोनों थके हुए थे परन्तु खुश भी थे क्योंकि जानते थे की उन्होंने एक ऐसा रास्ता तालसक कर लिया है जो किसी मुश्किल के समय उनको सुरक्षित बहुत दूर निकल ले जा सकता था
Sometimes you don’t realize your own strength until you come face to face with your greatest weakness.