Professor Sahib

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प्रोफेसर साहब आज एक मंच पर पिछले 1 घंटे से लगातार महिलाओं पर हुए अत्याचारों और उनके निदान के लिए बनाये गए जेंडर बैसेड कानून के समर्थन मैं भाषण दे रहे थे | यह कोई पहला अवसर नहीं थे जब प्रोफेसर साहब को भाषण देने का अवसर मिला हो अक्सर साहब सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं मैं अपने भाषण का लोहा मनवा चुके थे बल्कि यह कहना उचित होगा की प्रोफेसर साहब को बायस्ड कानूनों का प्रबल समर्थक और विशेषघ माना जाता था और आज इसी वजह से उन्हें निमंत्रण मिला था | उनके भाषण के पश्चात् बजने वाली तालियों ने सबको बता दिया की उनको निमंत्रण दिया जाना सार्थक था | परन्तु वक़्त पर किसी कर भी नियंत्रण नहीं है शायद प्रोफेसर साहब भी आज वक़्त के शिकार थे और शिकारी ऑडिटोरियम ने निकट ही इंतज़ार मैं था |  कौन जनता है आगे क्या होने वाला है

उस पांच सितारा ऑडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी , प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य सी महिला याचक दृष्टि से उन्हें देखते  हुए पास आयी और बोली ,” साहब, यहां से मुख्य सड़क तक कोई साधन उपलब्ध नही है , मेहरबानी करके वहां तक लिफ्ट दे दीजिए आगे हम बस पकड़ लेंगे । “

रात के साढ़े ग्यारह बजे प्रोफेसर साहब ने गोद मे बच्चा उठाये इस महिला को देख अपने “तात्कालिक कालजयी”  भाषण के प्रभाव में उन्हें अपनी कार में बिठा लिया । ड्राइवर कार दौड़ाने लगा ।

याचक जैसा वह महिला अब कुटिलतापूर्ण मुस्कुराहट से अपना प्लान एक्सीक्यूट करने लगा । महिला ने सीट के पॉकेट मे रखे मूंगफली के पाउच निकालकर खाना शुरू कर दिया बिना प्रोफेसर से पूछे /मांगे । प्रोफेसर साहब भी खुद महिला को रोकने मैं असमर्थ पा रहे थे | और सबसे बड़ी बात मूंगफली का पैकेट ही तो था | परन्तु जल्द ही परिस्थिति असहय हो गयी क्योंकि अब लड़की ने बाकायदा  कार की तलाशी लेने लगी थी | एक शानदार ड्रेस दिखी तो उसने झट से उठा ली और अपने पर लगा कर देखने लगी ।

प्रोफेसर साहब अब सहन नही कर सकते थे ड्राइवर से बोले गाड़ी रोको, जैसे ही ड्राइवर ने गाड़ी रोकी प्रोफेसर साहब ने महिला से उतर जाने के लिए कहा और साथ ही यह भी कहना नहीं भूले की सामने से बस मिल जाएगी |  एक बार पीछे पलटकर महिला ने प्रोफेसर साहब की तरफ देखा और दुबारा कार की तलाशी मैं व्यस्त हो गयी |

प्रोफेसर को झटका लगा परन्तु उन्होंने दुबारा महिला को उतरने के लिए कहा |  इससे पहले की वह कुछ और कर या कह पाते उन्होंने सामने से आती हुई पुलिस की गाड़ी दिखाई दी | प्रोफेसर साहब जल्दी से अपनी कार से उतरे और उन्होंने पुलिस की गाड़ी को रुकने का इशारा किया | पुलिस की गाड़ी के रुकने से पहले ही जब प्रोफेसर साहब ने मुस्कुराते हुए गाड़ी के अंदर झांक कर देखा, उनको उम्मीद थी की अब उस महिला की हालत ख़राब  जाएगी परन्तु जैसे ही साहब ने मुस्कुराते हुए कार के अंदर झांक कर देखा उनके माथे पर पसीने की बूंदें झिलमिला उठी | प्रोफेसर साहब की क्रांति समयपूर्व ही गर्भपात को प्राप्त हुई । जल्दी से प्रोफेसर साहिब ने पुलिस को बहाना बना कर रवाना किया और हफ्ते हुए गाड़ी मैं आ कर बैठ गए |

जब तक प्रोफेसर साहब ने अपनी उखड़ी हुई साँस ठीक की तब तक महिला ने अपने कपडे ठीक कर लिए थे | ड्राइवर ने दुबारा गाड़ी अपने गंतव्य की तरफ रवाना कर दी | अब ना तो प्रोफेसर साहब मैं इतनी हिम्मत बची थी की महिला को गाड़ी से उतरने को कह पाते ना ही रोक प् रहे थे |

जल्द ही गाड़ी प्रोफेसर साहब के बंगले के सामने कड़ी थी |  और इस दौरान महिला पूरी गाड़ी के साथ साथ प्रोफेसर साहब और ड्राइवर के पर्स पर भी हाथ साफ़ कर चुकी थी | परन्तु लग रहा था की अभी महिला कुछ और भी चाहती थी | हिम्मत करके प्रोफेसर साहब ने महिला से पुछा और आखिरकार अपने घर पर रखे हुए 50000 नकद एवं ३ लाख के गहने महिला के हवाले करके पीछा छुड़वाने मैं कामयाब हो गए |

बीती हुई रात प्रोफेसर साहब के लिए  भयानक थी परन्तु फिर भी उस रात उन्होंने आराम से सोते हुए बीते आखिर ३ लाख ७० हज़ार खर्च करके पीछा छुटवाया था | सुबह उठते ही प्रोफेसर साहब ने अपने इष्टदेव को याद किया परन्तु अभी ज्यादा वक़्त नहीं गुजरा थे की पुलिस की एक गाड़ी उनके डरके पर आ कर रुकी | आनन् फानन मैं प्रोफेसर साहब को गाड़ी मैं पटक दिया गया, आस पड़ोस की भीड़ इकठी हो गयी थी परन्तु किसी की समझ मैं कुछ नहीं आ रहा था | अगले १ घंटे मैं प्रोफेसर साहब जेल की सलाखों के पीछे खड़े थे और सामने के ऑफिस मैं वही रात वाली महिले और रात मैं पुलिस गाड़ी मैं स्वर ड्राइवर और उसका सहयोगी अपने बयान दर्ज़ करवा रहे थे | प्रेस रिपोर्टर प्रोफेसर साहब के फोटोग्राफ ले रहे थे और महिला के बयान रिकॉर्ड कर रहे थे | शाम होते होते सब एकबार और TV वालो ने प्रोफेसर साहब को दरिंदा साबित कर दिया जो जलसो मैं महिला उत्थान की बातें करता था परन्तु अंदरि रातों मैं सड़कों पर शिकार की तलाश करता रहता था |

प्रोफेसर साहब समझ चुके थे कि उनके जीवन के खुशियों के पल ऊनि जीवन भर के मेहनत पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है | परन्तु अब प्रोफेसर साहब कुछ भी करने की स्थिति मैं नहीं थे | देर रात तक प्रोफेसर साहब जागते रहे फिर उन्होंने अपनी बेल्ट का इस्तेमाल करके आत्महत्या का प्रयास भी किया परन्तु हवलदार के आने की वजह से उनका यह प्रयास सफल न हो सका | परन्तु अगले दिन अखबार और TV पर सुर्खियां जरूर बदल गयी | अब नयी सुर्खिया थी की किस तरह एक वेह्शी दरिंदे ने अपने अंजाम से डर कर आत्महत्या का प्रयास किया |

यह दसवा दिन था जब प्रोफेसर साहब जेल मैं बाद थे एक व्यक्ति उनके पास आया उसकी आँखों मे आई धूर्ततापूर्ण बेशर्म चमक ने प्रोफेसर साहब को परेशां किया परन्तु उनसे प्रोफेसर साहब को वादा किया की अगर वह ३० लाख दे तो वह व्यक्ति मामले को रफा दफा करवा सकता है |  आगंतुक महिला का वकील था और प्रोफेसर साहब इस हद तक टूट चुके थे की उन्होंने तुरंत ३० लाख देने का वादा  कर लिया | अगले ५ दिन मैं प्रोफेसर साहब ने अपना बांग्ला आधे दामों मैं बेच कर महिला को ३० लाख दिए और अगली पेशी पर प्रोफेसर साहब की जमानत हो गयी क्योंकि महिला ने प्रोफेसर साहब को माफ़ कर दिया था |

प्रोफेसर साहब जेल तो वापिस नहीं जा रहे थे परन्तु अब प्रोफेसर साहब को यह सोचना था की अब कहाँ जाएँ आखिर बांग्ला तो बिक चूका था |