Dr. G.Singh
शर्मा : केशव जी यह देखिये भारत मैं विधवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है
केशव : अच्छा
शर्मा : देखिये 2001 में 18.5 लाख विधवाएं थी जोकी आबादी का 0.7 % था
केशव : अच्छा
शर्मा : जोकि 2011 में बढ़कर 5.6 करोड़ हो गया जोकी आबादी का 4.6 % हो गया
केशव : हम्म
शर्मा : केशव जी सरकार को तुरंत कुछ करने की जरूरत है
केशव : क्या किया जाना चाहिए
शर्मा : विधवा विवाह पर जोर देना चाहिए और भी योजनाएं शुरू करनी चाहिए राहत के लिए
केशव : परन्तु शर्मा जी समस्या तो पुरुषो की मृत्यु दर की है न
शर्मा : क्या फालतू बात करते है केशव जी आप भी मृत्यु को आप कैसे रोक सकते हैं
केशव : शर्मा जी 10 साल मैं कम से कम 5.4 करोड़ पुरुषो की मृत्यु हुई
शर्मा : कैसे
केशव : इतने पुरुषों की मृत्यु हुई तभी तो विधवाओं की संख्या बढ़कर 5.6 करोड़ हुई
शर्मा : ठीक
केशव : इनमे से अधिकांश की मृत्यु आत्महत्या एक्सीडेंट बीमारी आदि कारणों से हुई
शर्मा : कुछ की मृत्यु प्राकृतिक भी हुई होगी
केशव : बिलकुल हुई होगी परन्तु मेरा विश्वास है की ज्यादा अप्राकृतिक हुई होंगी
शर्मा : शायद
केशव : तो अब बताइये विधवाओं का कल्याण कैसे किया जा सकता है
शर्मा : पुरुष कल्याणकारी योजनाएं बना कर जिससे पुरुषो की अप्राकृतिक मृत्यु को काबू किया जा सके
केशव : अरे वाह शर्मा जी आप तो बहुत जल्दी समझ गए
शर्मा : ही ही ही ही ही …. ….
NOTE : Data used in this story are based on the following link
http://www.latestlaws.in/sc-centre-frame-scheme-promote-widow-remarriage-bring-mainstream-society/
DAMAN WELFARE SOCIETY
www.daman4men.in
Good comment on thinking only for women.
Nice joke to mahila Shashakti karan,
अगर आपने व्यंग कहा होता तो शायद मैं आपसे सहमत हो जाता परन्तु जोक नहीं किया है यह निश्चित है