
Dr. G.Singh
शर्मा : नमस्कार केशव जी
केशव : नमस्कार आपके साथ कौन महाशय हैं
शर्मा : यह रोहित शर्मा हैं इनके विचार आपसे बहुत मिलते हैं इस लिए आपसे परिचय करवाने लाया हूँ
केशव : नमस्कार रोहित जी
रोहित : नमस्कार
केशव : अच्छा रोहित जी आप क्या करते हैं
रोहित : पेशे से इंजीनियर हूँ और आज कर दिल्ली कोर्ट मैं केस लड़ रहा हूँ
केशव : अच्छा तो आपने वकालत की है भाई वाह
रोहित : नहीं वकालत नहीं की बस वाइफ ने झूठा केस कर रखा है उसी को लड़ रहा हूँ
केशव : अच्छा आपका मकसद क्या है
रोहित : झूठ के खिलाफ लड़ना ही मेरा मकसद है
केशव : क्या आपने कभी झूठ नहीं बोला
रोहित : ऐसी तो कोई बात नहीं है मैंने भी कई बार झूठ बोलै है
केशव : तो अब बोलना बंद कर दिया है
रोहित : ऐसा भी नहीं है
केशव : तो आपकी लड़ाई झूठ के खिलाफ कैसे हो सकती है
रोहित : मैंने कभी किसी को जहर देकर झूठ नहीं बोलै
केशव : तो आपकी लड़ाई झूठ के खिलाफ न होकर सिर्फ एक पर्टिकुलर टाइप के झूठ के खिलाफ है
रोहित : क्या मतलब
केशव : चलिए छोड़िये इस बात को और यह बताएं जब आप केस जीत जायेंगे (झूठ को झूठ साबित कर देंगे) तब क्या करेंगे
रोहित : यह तो सोचा नहीं
केशव : तो फिर सोचिये क्योंकि जो लड़ाई आप लड़ रहे हैं वह आज नहीं तो कल ख़तम हो जाएगी
रोहित : आप क्या कहना कहते हैं
केशव : सिर्फ इतना की आप एक छोटी सी लड़ाई लड़ रहे हैं इसे बड़ी लड़ाई बनाइये अपने अधिकार की लड़ाई जो आखिरी सांस तक लड़ी जा सके और जिसमे आपका योगदान बहुमूल्य हो
रोहित : तो क्या मेरी वर्तमान लड़ाई कोई मायने नहीं रखती
केशव : रखती है परन्तु इसका मूल्य दूसरों के लिए उतना नहीं है जितना आपके खुद के लिए
रोहित : तो क्या वर्तमान लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए
केशव : बिलकुल लड़नी पड़ेगी परन्तु इसे जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया जा सकता
रोहित : मैं आपकी बात पर विचार करूंगा
केशव : बहुत बढ़िया आइये अब चाय पी जाये
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