Dr. G.Singh
शर्मा : नमस्कार शर्मा जी
केशव : नमस्कार
शर्मा : केशव जी आप ईश्वर को मानते हैं ?
केशव : ऐसा क्यों पूछ रहे हैं
शर्मा : यह राव साहब हैं नास्तिक हैं भगवान् को नहीं मानते मेने सोचा शायद आप समझा सकें इनको
केशव : पर इन्हे समझने की जरूरत क्यों है
शर्मा : कहना क्या चाहते हैं आप
केशव : अगर राव साहब भगवान् को नहीं मानते तो यह इनका पर्सनल मामला है
शर्मा : मैं आपसे बड़ी उम्मीद ले कर आया था
केशव : हम्म
केशव : हाँ तो राव साहब यह बताइये की आप भगवान् को नहीं मानते इसके पीछे कोई विशेष कारण है
राव : नहीं पर मेरे पास मानने का भी कोई विशेष कारण नहीं है
केशव : सही कहा आपने ज्यादातर हिंदुस्तानी अपने धर्म और भगवान् को मानते हैं क्योंकि उन्हें सिखाया गया है माँ बाप के द्वारा
राव : बिलकुल सही कहा आपने
केशव : ज्यादार लोगों के पास भगवान् को मानने का कोई तार्किक आधार नहीं है
राव : और बिना तर्क के मानना कोई समझदारी नहीं है
केशव : क्षमा करें पर आप भी उसी लाइन मैं है
राव : कैसे
केशव : बाकि लोग मानते हैं बिना तर्क, आप नहीं मानते बिना | तार्किक आधार दोनों के पास नहीं है
राव : चलिए मान ली आपकी बात |
केशव : कोई जबरदस्ती नहीं है अच्छी लगे तो मानिये
राव : यह बताइये की जो भगवान् भूखे को रोटी तक नहीं दे पा रहा उसे भगवान् कहलाने का क्या हक़ है
केशव : कौन भूखा
राव : हिंदुस्तान मैं लाखों लोग भूखे सोते हैं
केशव : हलाकि मैं आपसे सहमत नहीं हूँ फिर भी मान लिया जाये की भूखे सोते हैं तो भी भगवान् का इससे क्या लेना देना
राव : क्या मतलब
केशव : मतलब यह की यह आपसे किसने कहा की भगवान् की ड्यूटी भूखों को खाना खिलाना है
राव : धर्म ग्रंथों ने
केशव : धरम ग्रन्थ सिर्फ इतना कहते हैं की भगवान् कर्मों का लेखा जोखा रखता है उसके हिसाब से फल देता हैं जीवन मृत्यु पर नियंत्रण करता है आदि | परन्तु कहीं भी नहीं लिखा की भगवन 3 वक़्त आ कर भोजन परोसेंगे
राव : तो आपका कहना है की भगवान् का काम रोटी देना नहीं है
केशव : रोटी के लिए 2 हाथ 2 पैर आदि दिए है मेहनत करने से रोटी मिलेगी
राव : फिर भी 2 लोगों को बराबर मेहनत करने के बाद भी एक जैसा भोजन नहीं मिलता
केशव : बिलकुल सही कहा आपने
राव : इसे कैसे एक्सप्लेन करेंगे आप
केशव : हर आदमी इसे अपने तरीके से एक्सप्लेन कर सकता है
राव : आप कैसे करेंगे
केशव : आदमी की अपनी क्षमताओं से
राव : तो आपकी नज़र मैं भगवान् किस लिए है
केशव : कौन जाने मैं तो मानसिक शांति के लिए भगवान् का विश्वास करता हूँ
राव : फिर भी कुछ तो सामाजिक कारण होगा
केशव : समाज को एकजुट रखना |
राव : यह काम तो बिना भगवान् के भी हो सकता है
केशव : मैंने कब कहा नहीं हो सकता
राव : तो जरूरत क्या है भगवन की
केशव : हर इंसान की क्षमता इसके बावजूद भगवान् सब को एक साथ जोड़ कर रखने मैं समर्थ है
राव : जो शायद बिना भगवान के नहीं हो सकता तो आप भगवान् को मानते हैं
केशव : नहीं मैं भगवान् की अवधारणा को मानता हूँ
राव : दोनों मैं क्या फरक है
केशव : आज नहीं फिर कभी | और वह भी तब अगर आप यह समझ सकें की भगवान् का काम रोटी देना नहीं है
राव : तो रोटी देना किसका काम है
केशव : खुद इंसान का काम है रोटी कामना
राव : हम्म