Dr. G.Singh
शर्मा : केशव जी नमस्कार
केशव : नमस्कार शर्मा जी बैठिये | साथ वाले पंडित जी कौन हैं
शर्मा : अरे आपने पहचाना नहीं यह अपने सुधाकर के लड़के हैं महेश
केशव : बिलकुल पहचान मैं ही नहीं आ रहे
शर्मा : जी हाँ आजकल धरम प्रचार मैं लगे हुए हैं सच्चे हिन्दू की तरह
केशव : जहां तक मुझे याद है यह महाशय तो बहुत फॅशनबले हुआ करते थे फिर यह धोती कुरता
महेश : हिन्दू संस्कृति ने सब बदल दिया केशव जी
केशव : क्या बदल दिया और क्यों बदल दिया महेश जी
महेश : केशव जी बचपना था जब जीवन की समस्यांओं को समझा तो समझ आया की हिन्दू संस्कृति ही एकमात्र हल है इसीलिए प्रचार कार्य शुरू किया
केशव : तो आपने हिन्दू संस्कृति को अपनाया क्योंकि आप समस्या मैं फसे हुए थे
महेश : नहीं जनाब समस्या मैं फसा था तब महसूस हुआ की हिन्दू संस्कृति समस्याओं का हल है
केशव : जैसे की
महेश : जैसे की शादी और तलाक | हिन्दू संस्कृति मैं शादी की अवधारणा है पर तलाक की नहीं
केशव : तो उससे क्या
महेश : अगर हम यह समाज ले की शादी 7 जनम का बंधन है तो … …. ….
केशव : ठहरो बर्खुदार जिस हिन्दू संस्कृति की तुम बात कर रहे हो क्या वह आज की संस्कृति है ?
महेश : आज हम उसे भूल चुके हैं इसी लिए ही सब समस्यां हैं
केशव : तो तुम समस्याओं की तलाश मैं 1000 साल पहले चले गए
महेश : हिन्दू संस्कृति लाखों साल पुरानी है
केशव : तो तुम लाखों साल पहले चले गए
महेश : क्योंकि हल वहीँ पर मिलेगा
केशव : हल तो उससे पहले भी मिलेगा करोड़ो साल पहले चले जाते हैं जहाँ पर न शादी की अवधारणा थी न तलाक की
महेश : सभ्य समाज बनाने के लिए ही हिन्दू संस्कृति मैं शादी की अवधारणा बनायीं गयी
केशव : सभ्य क्या है इसे कौन तय करेगा
महेश : समाज
केशव : मैं ही समाज हूँ और मैं कह रहा हूँ की तलाक गलत नहीं है और न ही शादी 7 जमन का बंधन है
महेश : मैं भी समाज का हिस्सा हूँ
केशव : पर तुम तो लाखों साल पुराने समाज का हिस्सा हो
महेश : कैसे
केशव : वर्तमान समाज ने तुम्हारे सामने कुछ समस्याएं राखी
महेश : बिलकुल
केशव : और तुम समस्याओं का हल आज के समाज मैं न तलाश करके लाखों साल पुराने समाज मैं प्रचलित मान्यताओं मैं चले गए
महेश : तो क्या आप कहना कहते हैं की पहले के लोग गलत थे
केशव : नहीं उन लोगों ने अपनी आवश्यकताओं के देखते हुए नए समाज की स्थापना की
महेश : बिलकुल यही किया उन लोगों ने हमे नयी दिशा प्रदान की जिसे हम लोग भूल रहे हैं
केशव : नहीं बर्खुदार उन्होंने अपने समाज के लिए नियम बनाये हमारे लिए नहीं
महेश : उन लोगों ने अपने समाज को evolve किया
केशव : बिलकुल पर उन लोगों ने कहीं नहीं कहा की हमे रुक जाना है हमे भी आगे बढ़ना है | अपने समाज के नियम अपनी जरूरतों के अनुसार बनाने हैं इसे ही evolve होना कहते है
महेश : तो क्या हिन्दू संस्कृति का प्रचार नहीं होना चाहिए
केशव : मैं नहीं जानता हिन्दू संस्कृति क्या है मैं सिर्फ इतना जानता हूँ की नियम बदलते रहे है हम चाहे या न चाहे समय के साथ चलना हमारी जिम्मेद्दारी है पहले के समाज ने शादी बनायीं अपनी सुविधाओं के लिए उसके बाद के समाज ने तलाक बनाया अपनी जरूरतों के लिए हमें भी आगे बढ़ने की आवश्यकता है ना की पीछे जाने की
महेश : मैं आपकी बात पर गौर करूंगा
केशव : जरूर करना
महेश : हम इस मुद्दे पर दोबारा बात करेंगे
केशव : जरूर आइये शर्मा जी चाय पी जाये
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